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पश्चिम बंगाल : स्कूल में आठ छात्रों पर तीन शिक्षक, स्टूडेंट लाने टीचर जा रहे डोर-टू-डोर - शहीद खुदीराम प्राइमरी स्कूल मिदनापुर

पश्चिम बंगाल के मिदनापुर का शहीद खुदीराम प्राइमरी स्कूल स्टूडेंट की कमी से जूझ रहा है. इस समस्या से उबरने के लिए स्कूल के टीचर छात्रों को स्कूल लाने के लिए डोर-टू-डोर कैंपेन चला रहे हैं. Midnapore primary school,Shahid Khudiram Primary School in Midnapore,, teachers are roaming door to door.

Three teachers on eight students in a school in Midnapore
मिदनापुर के एक स्कूल में आठ छात्रों पर तीन शिक्षक
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 9, 2023, 5:37 PM IST

मिदनापुर : पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के हंसपुकुर शहीद खुदीराम प्राइमरी स्कूल को बच्चों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. हालात यह हैं कि यहां पर आठ छात्र और तीन शिक्षक हैं. इन तीन शिक्षकों में दो शिक्षक के साथ एक पारा शिक्षक है. ऐसे में दो शिक्षकों के द्वारा मोहल्लों में घर-घर जाकर छात्रों का नामांकन किए जाने का काम किया जा रहा है, जिससे स्कूल में छात्रों की संख्या में इजाफा हो सके.

हालांकि रिकॉर्ड में तो 8 छात्र हैं लेकिन औसतन चार छात्र ही स्कूल में उपस्थित रहते हैं. इस वजह से शिक्षकों के पास कोई विकल्प नहीं होने से वे ग्रामीणों के साथ घर-घर जाकर छात्रों को स्कूल लाने की कवायद में जुटे हैं. बताया जाता है कि इसके बाद भी शिक्षकों को इसमें कोई खास मदद नहीं मिली है.

Teachers going door to door to bring students
स्टूडेंट लाने घर-घर जा रहे शिक्षक

इन दिनों मिदनापुर शहर के अधिकांश प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होने का सामना करना पड़ रहा है. एक समय स्कूल में 50-60 छात्र हुआ करते थे लेकिन अब यह संख्या घटकर आठ रह गई है. इतना ही नहीं नियमित रूप से कक्षा में आने वाले तीन-चार बच्चों को भी रोजाना घर से बुलाना पड़ता है. इस बारे में एक शिक्षक ने बताया कि स्थानीय लोग भी चाहते हैं कि उनके बच्चे उच्च स्कूल में पढ़ें. वहीं एक अभिभावक ने कहा कि अगर वे प्राइमरी स्कूल में पढ़ेंगे तो उनके बच्चों को हाई स्कूल से स्नातक करने का मौका नहीं मिलेगा. इस बात को शिक्षक भी बखूबी जानते हैं. यही वजह है कि स्कूल में पढ़ने आने के लिए छात्र नहीं मिल पा रहे हैं.

इसी क्रम में सहायक प्रधानाध्यापिका सारथी कर ने कहा कि एक बार स्कूल में बहुत सारे छात्र थे और प्राथमिक विद्यालय में भीड़ रहती थी. लेकिन दुख की बात है कि यह संख्या घटकर आठ रह गई है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा मैं हर दिन नए छात्रों की तलाश में एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले में जाती हूं लेकिन इससे कोई मदद नहीं मिलती. वहीं प्रधानाध्यापिका नाजिमा खातून ने कहा कि छात्रों की संख्या में इस गिरावट का मुख्य कारण बड़े स्कूल हैं क्योंकि बड़े स्कूलों में प्राइमरी सेक्शन होते हैं. इस वजह से उन स्कूलों में एडमिशन करा देने के बाद माता-पिता को अपने बच्चों के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं रहती है कि क्योंकि उसी स्कूल में वह हाई स्कूल तक पढ़ सकते हैं. लेकिन हमारे पास केवल प्राइमरी सेक्शन है. इस कारण छात्रों के माता-पिता अपने बच्चों को इस स्कूल में नहीं भेजना चाहते हैं. इसलिए हम हर दिन बच्चों की तलाश में निकलते हैं. दूसरी तरफ छात्रा रूबी दुले ने बताया कि उसके बहुत सारे सहपाठी थे लेकिन अब वे नहीं आ रहे हैं. उन्हें दूसरे स्कूल में एडमिशन मिल गया है. लेकिन हम सभी चाहते हैं कि यह स्कूल अपनी पुरानी चमक में वापस लौटे.

ये भी पढ़ें - कोंडागांव में शिक्षकों पर लगे गंभीर आरोप, 25 बच्चियों पर डाला खौलता तेल

मिदनापुर : पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के हंसपुकुर शहीद खुदीराम प्राइमरी स्कूल को बच्चों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. हालात यह हैं कि यहां पर आठ छात्र और तीन शिक्षक हैं. इन तीन शिक्षकों में दो शिक्षक के साथ एक पारा शिक्षक है. ऐसे में दो शिक्षकों के द्वारा मोहल्लों में घर-घर जाकर छात्रों का नामांकन किए जाने का काम किया जा रहा है, जिससे स्कूल में छात्रों की संख्या में इजाफा हो सके.

हालांकि रिकॉर्ड में तो 8 छात्र हैं लेकिन औसतन चार छात्र ही स्कूल में उपस्थित रहते हैं. इस वजह से शिक्षकों के पास कोई विकल्प नहीं होने से वे ग्रामीणों के साथ घर-घर जाकर छात्रों को स्कूल लाने की कवायद में जुटे हैं. बताया जाता है कि इसके बाद भी शिक्षकों को इसमें कोई खास मदद नहीं मिली है.

Teachers going door to door to bring students
स्टूडेंट लाने घर-घर जा रहे शिक्षक

इन दिनों मिदनापुर शहर के अधिकांश प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होने का सामना करना पड़ रहा है. एक समय स्कूल में 50-60 छात्र हुआ करते थे लेकिन अब यह संख्या घटकर आठ रह गई है. इतना ही नहीं नियमित रूप से कक्षा में आने वाले तीन-चार बच्चों को भी रोजाना घर से बुलाना पड़ता है. इस बारे में एक शिक्षक ने बताया कि स्थानीय लोग भी चाहते हैं कि उनके बच्चे उच्च स्कूल में पढ़ें. वहीं एक अभिभावक ने कहा कि अगर वे प्राइमरी स्कूल में पढ़ेंगे तो उनके बच्चों को हाई स्कूल से स्नातक करने का मौका नहीं मिलेगा. इस बात को शिक्षक भी बखूबी जानते हैं. यही वजह है कि स्कूल में पढ़ने आने के लिए छात्र नहीं मिल पा रहे हैं.

इसी क्रम में सहायक प्रधानाध्यापिका सारथी कर ने कहा कि एक बार स्कूल में बहुत सारे छात्र थे और प्राथमिक विद्यालय में भीड़ रहती थी. लेकिन दुख की बात है कि यह संख्या घटकर आठ रह गई है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा मैं हर दिन नए छात्रों की तलाश में एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले में जाती हूं लेकिन इससे कोई मदद नहीं मिलती. वहीं प्रधानाध्यापिका नाजिमा खातून ने कहा कि छात्रों की संख्या में इस गिरावट का मुख्य कारण बड़े स्कूल हैं क्योंकि बड़े स्कूलों में प्राइमरी सेक्शन होते हैं. इस वजह से उन स्कूलों में एडमिशन करा देने के बाद माता-पिता को अपने बच्चों के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं रहती है कि क्योंकि उसी स्कूल में वह हाई स्कूल तक पढ़ सकते हैं. लेकिन हमारे पास केवल प्राइमरी सेक्शन है. इस कारण छात्रों के माता-पिता अपने बच्चों को इस स्कूल में नहीं भेजना चाहते हैं. इसलिए हम हर दिन बच्चों की तलाश में निकलते हैं. दूसरी तरफ छात्रा रूबी दुले ने बताया कि उसके बहुत सारे सहपाठी थे लेकिन अब वे नहीं आ रहे हैं. उन्हें दूसरे स्कूल में एडमिशन मिल गया है. लेकिन हम सभी चाहते हैं कि यह स्कूल अपनी पुरानी चमक में वापस लौटे.

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