हैदराबाद : बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए माता-पिता शिक्षक को ट्यूशन फीस देते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि छात्रों को शिक्षित बनाने के लिए एक शिक्षिका अपना वेतन अभिभावकों के खातों में जमा कराती हैं.
ऐसी एक शिक्षिका आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिला अवनिगड्डा मंडल अंतर्गत गुड़ीवकपालेम गांव की जे पद्मावती हैं. पद्मावती अपने वेतन का कुछ हिस्सा देकर गरीब बच्चों का उज्जवल भविष्य बनाने का प्रयास कर रही हैं.
पढ़ेंः आदिवासियों ने तीन वन आधिकारियों को पीटा, एक को पेड़ से बांधा
छात्रों के आरडी अकाउंट में जमा शिक्षिका का वेतन
गुड़ीवकपालेम गांव के अभिभावक अपने बच्चों को विभिन्न कारणों से सरकारी स्कूल भेजना नहीं चाहते थे. लेकिन पद्मावती ने बच्चों के खातों में अपने वेतन का 30 प्रतिशत जमा कराकर बच्चों को स्कूल भेजने की अपील की. वह वेतन का एक-एक रुपया प्रत्येक छात्रों के आरडी अकाउंट में जमा कराने लगीं, जिससे अभिभावकों का हौसला बढ़े और वह अपने बच्चों को स्कूल भेजें.
शिक्षिका की यह कोशिश रंग लाई और अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना शुरू कर दिया. इस तरह, स्कूल में बच्चों की संख्या अब छह से 45 हो गई है. वह न केवल अपने वेतन का 30 प्रतिशत देती हैं, बल्कि किताबें, पेन-पेंसिल आदि जरूरत के सामान भी उन बच्चों को मुहैया कराती हैं.
यह भी पढ़ेंः आंध्र प्रदेश : श्रीशैलम के लिए निकला श्रद्धालुओं का जत्था
'रुपयी शिक्षिका' के नाम से जानीं जातीं हैं पद्मावती
शिक्षिका के इस निःस्वार्थ सेवा को देखते हुए गांववालों ने उन्हें 'रुपयी शिक्षिका' का नाम दिया है. शिक्षिका की गरीब बच्चों को बेहतरीन शिक्षा देने की प्रतिबद्धता अब छात्रों के भविष्य के लिए सुनहरा मार्ग तैयार कर रही है. पद्मावती अपने इस प्रयास से अब साथी शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों में चर्चा का विषय बन गई हैं.
सेवानिवृत्ति के बाद बुजुर्गों की सेवा करेंगी
पद्मावती जिस स्कूल भी जातीं हैं, वहां बेहतरीन शिक्षा और पैसों की बचत के बारे में सभी को बताती हैं. उनका कहना है कि गरीबों की सेवा के अलावा वह अपने सेवानिवृत्ति के बाद बुजुर्गों की सेवा में समय व्यतीत करेंगी.