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म्यांमार : जेल में बंद 5600 लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारी होंगे रिहा, यह है कारण

अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकते हुए और म्यांमार में बदसूरत गृहयुद्ध के खतरे को दूर करने के लिए सत्तारूढ़ जुंटा ने घोषणा की है कि वह 1 फरवरी के तख्तापलट के बाद जेल में बंद लगभग 7300 लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों में से 5600 को रिहा करेगा. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

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Published : Oct 18, 2021, 10:30 PM IST

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद ऐसे संकेत हैं कि म्यांमार में सत्तारूढ़ जुंटा की जिद्दी स्थिति अंततः आत्मसमर्पण कर सकती है. सीनियर जनरल मिन आंग ह्लाइंग के नेतृत्व वाले टाटमाड (म्यांमार सैन्य जुंटा) शासन ने स्टेट टीवी पर घोषणा की है कि वे 5600 लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों को रिहा करेंगे. जिन्हें लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए जेलों में डाल दिया गया था.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देर शाम तक कैदियों के शुरुआती जत्थे को पहले ही रिहा कर दिया गया था. इस महीने के अंत में अपने आगामी वार्षिक शिखर सम्मेलन से जनरल मिन आंग को बाहर रखने के 10 आसियान देशों (दक्षिणपूर्व एशियाई देशों का संघ) द्वारा निर्णय के बाद यह संभव हुआ है. आसियान की स्थिति अपने सदस्यों के आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप की नीति से एक दुर्लभ प्रस्थान है.

ब्रुनेई के कनिष्ठ विदेश मंत्री को नेपीटाव भेजकर आसियान मध्यस्थता के प्रयास को सैन्य जुंटा ने झिड़क दिया, जिसके बाद हिरासत में ली गई नेता आंग सान सू की से मंत्री को मिलने की अनुमति भी नहीं दी गई.

1 फरवरी के तख्तापलट के बाद से लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर सैन्य कार्रवाई में कम से कम 1178 लोग मारे गए हैं. जबकि नेताओं, कार्यकर्ताओं, पेशेवरों और अन्य लोगों सहित कम से कम 7300 प्रदर्शनकारियों को जेल में डाल दिया गया था. 1 फरवरी 2021 को तख्तापलट से लोकतंत्र के एक दशक पुराने प्रयोग को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया गया था और सेना ने सत्ता संभाल ली थी.

तख्तापलट से पहले नवंबर 2020 में चुनावी फैसले में आंग सान सू की के नेतृत्व वाली नेशनल डेमोक्रेटिक लीग (एनएलडी) को भारी समर्थन मिला था. जिसने कुल 476 में से 396 सीटें हासिल की थी, जबकि जुंटा-समर्थित यूनियन सॉलिडेरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी (यूएसडीपी) को सिर्फ 33 सीटें मिली थीं.

देश में इसके बाद गृहयुद्ध का परिदृश्य दिखने लगा था. जिसमें कई जातीय सशस्त्र संगठनों ने जुंटा के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी. इसमें काचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (केआईए), करेन सहित नेशनल यूनियन (KNU), तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी (TNLA), शान स्टेट आर्मी-नॉर्थ, म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी और अराकान आर्मी विद्रोही जातीय समूह शामिल थे.

यह भी पढ़ें-म्यांमार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव : यूएन के दूत ने UNSC को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा

हालांकि मीडिया रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि जनता का मूड ताटमाड के प्रति क्षमाशील है और सू की, राष्ट्रपति यू विन म्यिंट और अन्य राजनीतिक कैदियों की तत्काल बिना शर्त रिहाई पर जोर दिया जा रहा है.

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद ऐसे संकेत हैं कि म्यांमार में सत्तारूढ़ जुंटा की जिद्दी स्थिति अंततः आत्मसमर्पण कर सकती है. सीनियर जनरल मिन आंग ह्लाइंग के नेतृत्व वाले टाटमाड (म्यांमार सैन्य जुंटा) शासन ने स्टेट टीवी पर घोषणा की है कि वे 5600 लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों को रिहा करेंगे. जिन्हें लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए जेलों में डाल दिया गया था.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देर शाम तक कैदियों के शुरुआती जत्थे को पहले ही रिहा कर दिया गया था. इस महीने के अंत में अपने आगामी वार्षिक शिखर सम्मेलन से जनरल मिन आंग को बाहर रखने के 10 आसियान देशों (दक्षिणपूर्व एशियाई देशों का संघ) द्वारा निर्णय के बाद यह संभव हुआ है. आसियान की स्थिति अपने सदस्यों के आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप की नीति से एक दुर्लभ प्रस्थान है.

ब्रुनेई के कनिष्ठ विदेश मंत्री को नेपीटाव भेजकर आसियान मध्यस्थता के प्रयास को सैन्य जुंटा ने झिड़क दिया, जिसके बाद हिरासत में ली गई नेता आंग सान सू की से मंत्री को मिलने की अनुमति भी नहीं दी गई.

1 फरवरी के तख्तापलट के बाद से लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर सैन्य कार्रवाई में कम से कम 1178 लोग मारे गए हैं. जबकि नेताओं, कार्यकर्ताओं, पेशेवरों और अन्य लोगों सहित कम से कम 7300 प्रदर्शनकारियों को जेल में डाल दिया गया था. 1 फरवरी 2021 को तख्तापलट से लोकतंत्र के एक दशक पुराने प्रयोग को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया गया था और सेना ने सत्ता संभाल ली थी.

तख्तापलट से पहले नवंबर 2020 में चुनावी फैसले में आंग सान सू की के नेतृत्व वाली नेशनल डेमोक्रेटिक लीग (एनएलडी) को भारी समर्थन मिला था. जिसने कुल 476 में से 396 सीटें हासिल की थी, जबकि जुंटा-समर्थित यूनियन सॉलिडेरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी (यूएसडीपी) को सिर्फ 33 सीटें मिली थीं.

देश में इसके बाद गृहयुद्ध का परिदृश्य दिखने लगा था. जिसमें कई जातीय सशस्त्र संगठनों ने जुंटा के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी. इसमें काचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (केआईए), करेन सहित नेशनल यूनियन (KNU), तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी (TNLA), शान स्टेट आर्मी-नॉर्थ, म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी और अराकान आर्मी विद्रोही जातीय समूह शामिल थे.

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हालांकि मीडिया रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि जनता का मूड ताटमाड के प्रति क्षमाशील है और सू की, राष्ट्रपति यू विन म्यिंट और अन्य राजनीतिक कैदियों की तत्काल बिना शर्त रिहाई पर जोर दिया जा रहा है.

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