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Tariq Fatah : तारिक फतेह चाहते थे कि उनकी बेटी का नाम देवी लक्ष्मी पर रखा जाए

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Published : Apr 25, 2023, 2:18 PM IST

लेखक तारिक फतेह जिस मुखरता से कट्टर इस्लामिक सोच का विरोध किया करते थे, उसकी वजह से वह कई बार विवादों में आए. उन पर कई बार हमले भी हुए. खुद उनका दावा है कि कट्टरपंथियों की वजह से उन्हें अपनी बेटी का नाम भी बदलना पड़ा.

tariq Fatah
तारिक फतेह

नई दिल्ली : तारिक फतेह अपनी राय खुलकर रखने के लिए जाने जाते थे. वह एक ऐसे विचारक और लेखक थे, जिन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों से पाकिस्तान को बेनकाब किया था. पाकिस्तान के 'दोहरे' चेहरे पर प्रहार किया था. वह कट्टर इस्लामिक सोच के खिलाफ रहते थे. आप कह सकते हैं कि उनका जन्म भले ही पाकिस्तान में हुआ, पर उनकी सोच हमेशा से 'भारतीय' थी. वह मानते थे कि इस्लाम में राजनीतिक सिद्धान्त हावी होता जा रहा है, जिसकी वजह से यह पूरी दुनिया में अपना वर्चस्व कायम करना चाहता है. फतेह शरिया का खुलकर विरोध करते थे और इसकी वजह से कई बार उनकी जान लेने की भी कोशिश की गई.

  • Dear Tarek: You’ve left us too soon.
    Those lucky to have known your courage, compassion and wit will forever be inspired by you. You always fought the good fight -no matter the price.
    I take solace in knowing that so much of you lives on in your incredible daughter. We love you❤️ pic.twitter.com/KlySyzOpYt

    — Nahayat Tizhoosh (@NahayatT) April 24, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

करीब छह साल पहले (2017) उत्तर प्रदेश के एटीएस ने चार व्यक्ति को गिरफ्तार किया था. चारों आतंकी संगठन आईएस से जुड़े हुए थे. पूछताछ में इन आतंकियों ने खुलासा किया था कि वे तारिक फतेह को जाने से मारने की प्लानिंग कर रहे थे. एटीएस ने मीडिया को बताया था कि उन्होंने यह इनपुट केंद्रीय एजेंसियों को दे दिया.

2017 में ही दिल्ली में 'जश्न ए रेख्ता' एक प्रोग्राम हुआ था. यह कार्यक्रम दिल्ली के इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर ऑफ आर्ट्स में हुआ था. वहां पर उन पर लाठी से वार किया गया. उनकी पीठ और पैर में चोटें भी लगीं. कट्टरपंथियों ने उन्हें 'मोदी का कु@$%, तारेक फतेह' तक कहा. वहां पर 'डेथ टू तारिक फतेह' जैसे नारे लगाए गए. उस कार्यक्रम के दौरान आयोजकों ने भी हमलावरों को नहीं रोका.

तारिक फतेह उग्र इस्लामवाद के हमेशा से खिलाफ थे. उन्होंने कई मंचों से इसकी आलोचना की थी. वह कहते थे कि वह इस्लाम के विरोधी नहीं हैं, बल्कि शरिया का विरोध करते हैं. उनका मानना था कि शरिया 'पंगु' है. उनकी राय में शरिया की वजह से मुस्लिम पीछे रह जाते हैं. वह बार-बार कहते थे कि इस्लाम की निगेटिव छवि शरिया के कारण ही बनी है.

एक भारतीय मीडिया चैनल पर उनका प्रोग्राम 'फतह का फतवा' आता था. इसमें वह मुस्लिम समाज और इस्लामिक आस्था संबंधित विषयों को उठाया करते थे. इसकी वजह से भी वे बार-बार निशाने पर आ जाते थे. उनके इस कार्यक्रम पर एक बार कोलकाता के टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम ने गला काटने की धमकी दे दी थी. ऑल इंडिया फैजान ए मदीना काउंसल ने उन पर इनाम की घोषणा कर दी थी. वैसे, जब फतेह से पूछा गया था, तो उन्होंने कहा था कि वह मुस्लिम हैं, लेकिन साथ-साथ प्रोग्रेसिव भी हैं. उन्होंने कहा था कि वह आगे की सोचते हैं और हमेशा से विकास की बात करते हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम कट्टरपंथी उन्हें 'एक्स मुस्लिम' कहते हैं. तब फतेह ने कहा कि आपने कभी एक्स हिंदू, एक्स ईसाई के बारे में सुना है, और नहीं सुना है, तो एक्स मुस्लिम क्या होता है. 2013 में जामिया मिलिया इस्लामिया में उन्हें एक लेक्चर देना था, लेकिन कट्टरपंथियों ने उन्हें वहां पर बोलने ही नहीं दिया. लेकिन तब किसी लिबरल सोसाइटी ने उनका बचाव नहीं किया था.

तारिक फतेह चाहते थे कि उनकी बेटी का नाम देवी लक्ष्मी पर रखा जाए. उन्होंने अपने परिवार में इस पर विचार किया. उन्हें लक्ष्मी और पुष्पा नाम बहुत ही पसंद था. लेकिन जैसे ही इसकी जानकारी कट्टरपंथियों को लगी, वे उन पर टूट पड़े. बाद में तारिक फतेह ने लिखा कि उनका परिवार डर गया था, इसलिए उन्होंने अपनी बेटियों का नाम नताशा और नाजिया रखा.

ये भी पढ़ें : Tariq Fatah : क्यों तारिक फतेह अपने आप को बताते थे भारतीय ?

नई दिल्ली : तारिक फतेह अपनी राय खुलकर रखने के लिए जाने जाते थे. वह एक ऐसे विचारक और लेखक थे, जिन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों से पाकिस्तान को बेनकाब किया था. पाकिस्तान के 'दोहरे' चेहरे पर प्रहार किया था. वह कट्टर इस्लामिक सोच के खिलाफ रहते थे. आप कह सकते हैं कि उनका जन्म भले ही पाकिस्तान में हुआ, पर उनकी सोच हमेशा से 'भारतीय' थी. वह मानते थे कि इस्लाम में राजनीतिक सिद्धान्त हावी होता जा रहा है, जिसकी वजह से यह पूरी दुनिया में अपना वर्चस्व कायम करना चाहता है. फतेह शरिया का खुलकर विरोध करते थे और इसकी वजह से कई बार उनकी जान लेने की भी कोशिश की गई.

  • Dear Tarek: You’ve left us too soon.
    Those lucky to have known your courage, compassion and wit will forever be inspired by you. You always fought the good fight -no matter the price.
    I take solace in knowing that so much of you lives on in your incredible daughter. We love you❤️ pic.twitter.com/KlySyzOpYt

    — Nahayat Tizhoosh (@NahayatT) April 24, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

करीब छह साल पहले (2017) उत्तर प्रदेश के एटीएस ने चार व्यक्ति को गिरफ्तार किया था. चारों आतंकी संगठन आईएस से जुड़े हुए थे. पूछताछ में इन आतंकियों ने खुलासा किया था कि वे तारिक फतेह को जाने से मारने की प्लानिंग कर रहे थे. एटीएस ने मीडिया को बताया था कि उन्होंने यह इनपुट केंद्रीय एजेंसियों को दे दिया.

2017 में ही दिल्ली में 'जश्न ए रेख्ता' एक प्रोग्राम हुआ था. यह कार्यक्रम दिल्ली के इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर ऑफ आर्ट्स में हुआ था. वहां पर उन पर लाठी से वार किया गया. उनकी पीठ और पैर में चोटें भी लगीं. कट्टरपंथियों ने उन्हें 'मोदी का कु@$%, तारेक फतेह' तक कहा. वहां पर 'डेथ टू तारिक फतेह' जैसे नारे लगाए गए. उस कार्यक्रम के दौरान आयोजकों ने भी हमलावरों को नहीं रोका.

तारिक फतेह उग्र इस्लामवाद के हमेशा से खिलाफ थे. उन्होंने कई मंचों से इसकी आलोचना की थी. वह कहते थे कि वह इस्लाम के विरोधी नहीं हैं, बल्कि शरिया का विरोध करते हैं. उनका मानना था कि शरिया 'पंगु' है. उनकी राय में शरिया की वजह से मुस्लिम पीछे रह जाते हैं. वह बार-बार कहते थे कि इस्लाम की निगेटिव छवि शरिया के कारण ही बनी है.

एक भारतीय मीडिया चैनल पर उनका प्रोग्राम 'फतह का फतवा' आता था. इसमें वह मुस्लिम समाज और इस्लामिक आस्था संबंधित विषयों को उठाया करते थे. इसकी वजह से भी वे बार-बार निशाने पर आ जाते थे. उनके इस कार्यक्रम पर एक बार कोलकाता के टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम ने गला काटने की धमकी दे दी थी. ऑल इंडिया फैजान ए मदीना काउंसल ने उन पर इनाम की घोषणा कर दी थी. वैसे, जब फतेह से पूछा गया था, तो उन्होंने कहा था कि वह मुस्लिम हैं, लेकिन साथ-साथ प्रोग्रेसिव भी हैं. उन्होंने कहा था कि वह आगे की सोचते हैं और हमेशा से विकास की बात करते हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम कट्टरपंथी उन्हें 'एक्स मुस्लिम' कहते हैं. तब फतेह ने कहा कि आपने कभी एक्स हिंदू, एक्स ईसाई के बारे में सुना है, और नहीं सुना है, तो एक्स मुस्लिम क्या होता है. 2013 में जामिया मिलिया इस्लामिया में उन्हें एक लेक्चर देना था, लेकिन कट्टरपंथियों ने उन्हें वहां पर बोलने ही नहीं दिया. लेकिन तब किसी लिबरल सोसाइटी ने उनका बचाव नहीं किया था.

तारिक फतेह चाहते थे कि उनकी बेटी का नाम देवी लक्ष्मी पर रखा जाए. उन्होंने अपने परिवार में इस पर विचार किया. उन्हें लक्ष्मी और पुष्पा नाम बहुत ही पसंद था. लेकिन जैसे ही इसकी जानकारी कट्टरपंथियों को लगी, वे उन पर टूट पड़े. बाद में तारिक फतेह ने लिखा कि उनका परिवार डर गया था, इसलिए उन्होंने अपनी बेटियों का नाम नताशा और नाजिया रखा.

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