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जम्मू कश्मीर में टारगेट किलिंग चिंता का विषय : सीआरपीएफ डीजी - जम्मू कश्मीर में टारगेट किलिंग

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में भारी कमी आने के बावजूद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक सुजॉय लाल थाउसेन (CRPF DG Sujoy Lal Thaosen) ने कहा है कि टारगेट किलिंग केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) में चिंता का विषय है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

CRPF DG Sujoy Lal Thaosen
सीआरपीएफ डीजी
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Published : Dec 31, 2022, 6:04 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक सुजॉय लाल थाउसेन (CRPF DG Sujoy Lal Thaosen) ने ईटीवी भारत के साथ विशेष साक्षात्कार में कहा कि 'जम्मू-कश्मीर में हमने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर काम किया और उन्हें सेना विशेषकर राष्ट्रीय राइफल्स द्वारा मदद की जाती है. अगर आप देखें तो आतंकी घटनाओं में कमी आई है साथ ही नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों के मारे जाने की संख्या में भारी कमी आई है. हालांकि जम्मू-कश्मीर में चिंता का विषय गैर-स्थानीय लोगों को निशाना बनाया जाना है.'

उन्होंने कहा कि बाग, कृषि क्षेत्र आदि में काम करने वाले लोग जो ओडिशा, यूपी या अन्य जगहों से दैनिक मजदूरी के लिए आते हैं, उनकी पहचान की जाती है और उन्हें निशाना बनाया जाता है. थाउसेन ने कहा, 'यह डर की भावना पैदा करता है, जो चिंता का विषय है. हम हर तरह की सुरक्षा देने के लिए तैयार हैं. हालांकि, व्यक्तिगत सुरक्षा देना संभव नहीं है.'

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने हाल ही में संसद में बताया कि जनवरी 2022 से इस साल नवंबर तक जम्मू-कश्मीर में 3 कश्मीरी पंडितों सहित अल्पसंख्यकों के 14 लोग मारे गए हैं.

सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि 2022 में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में 184 आतंकवादी मारे गए हैं, जबकि 124 आतंकवादी घटनाएं हुईं जिनमें 31 सुरक्षाकर्मी और 31 नागरिक मारे गए हैं. 2021 में जम्मू-कश्मीर में 229 आतंकवादी घटनाएं हुईं, जिसमें 42 सुरक्षाकर्मियों और 41 नागरिकों की जान गई थी.

यह कहते हुए कि जम्मू-कश्मीर में हाइब्रिड आतंकवादी भी एक प्रमुख मुद्दा बन गए हैं, थाउसेन ने कहा कि ऐसे आतंकवादियों को केवल तभी नियंत्रित किया जा सकता है, जब हम राष्ट्र-विरोधी भावनाओं और अभाव की भावना को समाप्त कर दें. उन्होंने कहा कि अब लोग ऑनलाइन कट्टरपंथी हो रहे हैं. आपको ऐसी व्यवस्था की आवश्यकता है जहां देश के हितों के खिलाफ जाने वाले सभी लोगों के लिए कानून बहुत कठोर हो. उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेज में देशभक्ति की भावना आनी चाहिए.

पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों की भारत में घुसपैठ के बारे में पूछे जाने पर थाउसेन ने कहा कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के घुसपैठ की संभावना तब तक बनी रहती है जब तक ये संगठन सक्रिय रहते हैं. जो आतंकवादी संगठन उस देश में सक्रिय और स्वीकृत हैं, उन्हें राजनीतिक, वित्तीय और रसद समर्थन मिलता है.

डीजी ने कहा कि 'यहां नियमित शिविर होते हैं जहां लोगों को विध्वंसक गतिविधियों का संचालन करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है इसलिए, हमें इसे खत्म करने की जरूरत है. यहां आतंकवाद को भड़काने और उसका समर्थन करने वाले उस तरह के ईको सिस्टम को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की बहुत जरूरत है.' डीजी ने कहा कि 'जब तक फंडिंग बंद नहीं की जाती, वे आतंकी गतिविधियां जारी रखेंगे.'

माओवाद का भी किया जिक्र : मध्य प्रदेश कैडर के 1988 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी थाउसेन ने वामपंथी चरमपंथी (एलडब्ल्यूई) क्षेत्रों का जिक्र करते हुए कहा कि 8-10 साल पहले जो स्थिति थी, अब उसमें काफी सुधार हुआ है.

उन्होंने कहा कि 'बिहार और झारखंड में हमने चक्रबंदा, बुरापहाड़ (मुक्त क्षेत्र माने जाने वाले) नामक क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है, अब वे स्थान माओवादियों से मुक्त हैं. ऐसा माना जाता था कि बहुत सारी खदानें लगाई गई थीं और अब हमने इस क्षेत्र पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है और लोग बहुत खुश हैं. सरकार गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए भी उपाय कर रही है.'

अधिकांश वामपंथी उग्रवाद क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी, पीडीएस खोलने, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने, आंगनवाड़ी गतिविधियों, परिवहन सेवाओं के संदर्भ में सरकारी सेवाओं ने लगभग सामान्य रूप से काम करना शुरू कर दिया है.

उन्होंने कहा कि अगर हम स्थानीय पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के साथ मिलकर दबाव बनाए रखते हैं तो हम माओवादी इलाकों को और सीमित कर सकते हैं. थाउसेन ने कहा 'अब उन्हें एक छोटे से भौगोलिक क्षेत्र तक सीमित किया जा सकता है और उसके बाद ऑपरेशन शुरू किया जा सकता है और हम समस्या के पूर्ण उन्मूलन की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं.'

पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा परिदृश्य के बारे में बात करते हुए थाउसेन ने कहा कि मणिपुर और नागालैंड में कुछ घटनाओं को छोड़कर इस क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण समय देखा गया है. थाउसेन ने कहा कि असम में भी असम पुलिस के साथ सीआरपीएफ लगातार इलाके में दबदबा बनाए हुए है. उन्होंने कहा कि 'जो भी उग्रवादी और विद्रोही सक्रिय हैं, हम उन पर कार्रवाई कर रहे हैं. हम नई रणनीतियां अपनाने की प्रक्रिया में हैं ताकि हम और प्रभावी हो सकें. हम शेष उग्रवाद के मुद्दों से निपटने के लिए और अधिक रणनीतियों पर काम कर रहे हैं.'

यह स्वीकार करते हुए कि ऊपरी असम में कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां विद्रोहियों के साथ सहानुभूति है, थाउसेन ने कहा कि असम के कुछ हिस्सों में उग्रवादी समूहों के कुछ तत्वों का अस्तित्व बहुत अधिक है. हमें उग्रवाद के इको सिस्टम को रोकना होगा.

अक्टूबर में सीआरपीएफ के 37वें डीजी के रूप में कार्यभार संभालने वाले थाउसेन ने कहा कि वह सीआरपीएफ कर्मियों और उनके परिवार के सदस्यों के कल्याण पर भी अधिक जोर दे रहे हैं.

थाउसेन ने कहा कि 'मेरी चिंता हमारे कर्मियों के बच्चों की भी है. चूंकि, वे जीवन भर अपने परिवारों से दूर रहते हैं और अपने परिवार की जरूरतों का ध्यान रखने में असमर्थ होते हैं, इसलिए हम उनके जीवनसाथी और बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे हैं. हम दूसरों के बीच कौशल विकास पहल प्रदान करने के अलावा बच्चों के लिए करियर काउंसलिंग जैसी व्यवस्था करने जा रहे हैं.'

पढ़ें- 2022 में कश्मीर में 172 आतंकवादी मारे गए : जम्मू-कश्मीर पुलिस

नई दिल्ली : केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक सुजॉय लाल थाउसेन (CRPF DG Sujoy Lal Thaosen) ने ईटीवी भारत के साथ विशेष साक्षात्कार में कहा कि 'जम्मू-कश्मीर में हमने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर काम किया और उन्हें सेना विशेषकर राष्ट्रीय राइफल्स द्वारा मदद की जाती है. अगर आप देखें तो आतंकी घटनाओं में कमी आई है साथ ही नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों के मारे जाने की संख्या में भारी कमी आई है. हालांकि जम्मू-कश्मीर में चिंता का विषय गैर-स्थानीय लोगों को निशाना बनाया जाना है.'

उन्होंने कहा कि बाग, कृषि क्षेत्र आदि में काम करने वाले लोग जो ओडिशा, यूपी या अन्य जगहों से दैनिक मजदूरी के लिए आते हैं, उनकी पहचान की जाती है और उन्हें निशाना बनाया जाता है. थाउसेन ने कहा, 'यह डर की भावना पैदा करता है, जो चिंता का विषय है. हम हर तरह की सुरक्षा देने के लिए तैयार हैं. हालांकि, व्यक्तिगत सुरक्षा देना संभव नहीं है.'

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने हाल ही में संसद में बताया कि जनवरी 2022 से इस साल नवंबर तक जम्मू-कश्मीर में 3 कश्मीरी पंडितों सहित अल्पसंख्यकों के 14 लोग मारे गए हैं.

सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि 2022 में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में 184 आतंकवादी मारे गए हैं, जबकि 124 आतंकवादी घटनाएं हुईं जिनमें 31 सुरक्षाकर्मी और 31 नागरिक मारे गए हैं. 2021 में जम्मू-कश्मीर में 229 आतंकवादी घटनाएं हुईं, जिसमें 42 सुरक्षाकर्मियों और 41 नागरिकों की जान गई थी.

यह कहते हुए कि जम्मू-कश्मीर में हाइब्रिड आतंकवादी भी एक प्रमुख मुद्दा बन गए हैं, थाउसेन ने कहा कि ऐसे आतंकवादियों को केवल तभी नियंत्रित किया जा सकता है, जब हम राष्ट्र-विरोधी भावनाओं और अभाव की भावना को समाप्त कर दें. उन्होंने कहा कि अब लोग ऑनलाइन कट्टरपंथी हो रहे हैं. आपको ऐसी व्यवस्था की आवश्यकता है जहां देश के हितों के खिलाफ जाने वाले सभी लोगों के लिए कानून बहुत कठोर हो. उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेज में देशभक्ति की भावना आनी चाहिए.

पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों की भारत में घुसपैठ के बारे में पूछे जाने पर थाउसेन ने कहा कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के घुसपैठ की संभावना तब तक बनी रहती है जब तक ये संगठन सक्रिय रहते हैं. जो आतंकवादी संगठन उस देश में सक्रिय और स्वीकृत हैं, उन्हें राजनीतिक, वित्तीय और रसद समर्थन मिलता है.

डीजी ने कहा कि 'यहां नियमित शिविर होते हैं जहां लोगों को विध्वंसक गतिविधियों का संचालन करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है इसलिए, हमें इसे खत्म करने की जरूरत है. यहां आतंकवाद को भड़काने और उसका समर्थन करने वाले उस तरह के ईको सिस्टम को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की बहुत जरूरत है.' डीजी ने कहा कि 'जब तक फंडिंग बंद नहीं की जाती, वे आतंकी गतिविधियां जारी रखेंगे.'

माओवाद का भी किया जिक्र : मध्य प्रदेश कैडर के 1988 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी थाउसेन ने वामपंथी चरमपंथी (एलडब्ल्यूई) क्षेत्रों का जिक्र करते हुए कहा कि 8-10 साल पहले जो स्थिति थी, अब उसमें काफी सुधार हुआ है.

उन्होंने कहा कि 'बिहार और झारखंड में हमने चक्रबंदा, बुरापहाड़ (मुक्त क्षेत्र माने जाने वाले) नामक क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है, अब वे स्थान माओवादियों से मुक्त हैं. ऐसा माना जाता था कि बहुत सारी खदानें लगाई गई थीं और अब हमने इस क्षेत्र पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है और लोग बहुत खुश हैं. सरकार गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए भी उपाय कर रही है.'

अधिकांश वामपंथी उग्रवाद क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी, पीडीएस खोलने, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने, आंगनवाड़ी गतिविधियों, परिवहन सेवाओं के संदर्भ में सरकारी सेवाओं ने लगभग सामान्य रूप से काम करना शुरू कर दिया है.

उन्होंने कहा कि अगर हम स्थानीय पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के साथ मिलकर दबाव बनाए रखते हैं तो हम माओवादी इलाकों को और सीमित कर सकते हैं. थाउसेन ने कहा 'अब उन्हें एक छोटे से भौगोलिक क्षेत्र तक सीमित किया जा सकता है और उसके बाद ऑपरेशन शुरू किया जा सकता है और हम समस्या के पूर्ण उन्मूलन की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं.'

पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा परिदृश्य के बारे में बात करते हुए थाउसेन ने कहा कि मणिपुर और नागालैंड में कुछ घटनाओं को छोड़कर इस क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण समय देखा गया है. थाउसेन ने कहा कि असम में भी असम पुलिस के साथ सीआरपीएफ लगातार इलाके में दबदबा बनाए हुए है. उन्होंने कहा कि 'जो भी उग्रवादी और विद्रोही सक्रिय हैं, हम उन पर कार्रवाई कर रहे हैं. हम नई रणनीतियां अपनाने की प्रक्रिया में हैं ताकि हम और प्रभावी हो सकें. हम शेष उग्रवाद के मुद्दों से निपटने के लिए और अधिक रणनीतियों पर काम कर रहे हैं.'

यह स्वीकार करते हुए कि ऊपरी असम में कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां विद्रोहियों के साथ सहानुभूति है, थाउसेन ने कहा कि असम के कुछ हिस्सों में उग्रवादी समूहों के कुछ तत्वों का अस्तित्व बहुत अधिक है. हमें उग्रवाद के इको सिस्टम को रोकना होगा.

अक्टूबर में सीआरपीएफ के 37वें डीजी के रूप में कार्यभार संभालने वाले थाउसेन ने कहा कि वह सीआरपीएफ कर्मियों और उनके परिवार के सदस्यों के कल्याण पर भी अधिक जोर दे रहे हैं.

थाउसेन ने कहा कि 'मेरी चिंता हमारे कर्मियों के बच्चों की भी है. चूंकि, वे जीवन भर अपने परिवारों से दूर रहते हैं और अपने परिवार की जरूरतों का ध्यान रखने में असमर्थ होते हैं, इसलिए हम उनके जीवनसाथी और बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे हैं. हम दूसरों के बीच कौशल विकास पहल प्रदान करने के अलावा बच्चों के लिए करियर काउंसलिंग जैसी व्यवस्था करने जा रहे हैं.'

पढ़ें- 2022 में कश्मीर में 172 आतंकवादी मारे गए : जम्मू-कश्मीर पुलिस

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