चेन्नई: तमिलनाडु सरकार ने सोमवार को 'स्कूल ऑफ एक्सीलेंस एंड मॉडल स्कूल' योजना (Delhi model school) की शुरुआत की जो दिल्ली के उन्नत बुनियादी ढांचे वाले स्कूलों पर आधारित है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तमिलनाडु के अपने समकक्ष एम के स्टालिन की उपस्थिति में चेन्नई में योजना की शुरुआत करते हुए कहा कि राज्यों को दलगत राजनीति से परे अच्छी पहलों पर एक-दूसरे से सीखना चाहिए. उन्होंने स्कूली शिक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए केंद्र-राज्यों के सहयोग का आह्वान किया.
केजरीवाल ने कहा कि अगर राज्य और केंद्र सरकारें एक साथ आती हैं तो पांच साल के भीतर देश के सभी सरकारी स्कूल छात्रों को सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्रदान कर सकते हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने यहां सरकारी भारती महिला कॉलेज में आयोजित एक कार्यक्रम में इस योजना का उद्घाटन किया. केजरीवाल ने कहा कि हर कोई चाहता है कि देश विकसित हो, लेकिन उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि अगर देश के सरकारी स्कूलों में 66 फीसदी बच्चों को 'ठीक से शिक्षा' नहीं मिलेगी तो क्या यह संभव हो पाएगा.
इस योजना के तहत शुरुआती चरण में 26 उत्कृष्टता स्कूल और 15 मॉडल स्कूल शामिल किए गए हैं. 'थगैसल पल्लीगल' और 'मथिरी पल्लीगल'- स्कूल ऑफ एक्सीलेंस तथा मॉडल स्कूलों के आधिकारिक तमिल नाम हैं. स्टालिन ने तमिल संत मुवलुर रामामिरथम अम्मायार की स्मृति में 'पुथुमाई पेन' (आधुनिक महिला) योजना की शुरुआत की, जिसके तहत उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली छात्राओं को 1,000 रुपये की मासिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने वित्तीय सहायता योजना शुरू करने के अवसर पर लाभार्थियों को बैंक डेबिट कार्ड वितरित किए. अपने संबोधन में केजरीवाल ने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि राज्य सरकारें एक-दूसरे की अच्छी पहलों को सीखें. उन्होंने कहा कि ‘पुथुमाई पेन’ योजना आने वाले समय में न केवल तमिलनाडु, बल्कि पूरे देश की महिलाओं के लिए पथप्रदर्शक और क्रांतिकारी साबित होगी. उन्होंने कहा कि इस योजना से छात्राओं की शिक्षा को प्रोत्साहन मिलेगा और कम उम्र में विवाह को भी रोका जा सकेगा. उन्होंने कहा कि देश भर में लगभग 66 प्रतिशत विद्यार्थी सरकारी स्कूलों में जाते हैं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि अच्छी शिक्षा प्रदान करने की पहल करने वाले दिल्ली, तमिलनाडु और अन्य राज्यों को छोड़कर देश भर के अधिकतर अन्य सरकारी स्कूलों की स्थिति 'वास्तव में दयनीय' है. उन्होंने कहा कि जब तक निजी संस्थानों के समान अच्छी शिक्षा उपलब्ध नहीं हो जाती, विकसित देश बनने का सपना हमेशा दूर ही रहेगा. केजरीवाल ने कहा कि निःशुल्क और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक बच्चे का अधिकार है और इसे उपलब्ध कराना प्रत्येक सरकार का कर्तव्य होना चाहिए. उन्होंने कहा, 'यह 1947 में ही हो जाना चाहिए था.' उन्होंने कहा कि आजादी के पिछले 75 वर्षों में शिक्षा पर अपेक्षित जोर नहीं दिया गया है.
दिल्ली और तमिलनाडु के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार एवं उन्नयन की पहल का उल्लेख करते हुए उन्होंने सभी राज्य और केंद्र सरकार से देश भर के सरकारी स्कूलों में उत्कृष्ट शैक्षिक अवसर प्रदान करने के लिए आपस में हाथ मिलाने की वकालत की. उन्होंने कहा कि अगर राज्य और केंद्र सरकारें एक साथ आती हैं, तो पांच साल के भीतर देश के सभी सरकारी स्कूल छात्रों को सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्रदान कर सकते हैं. केजरीवाल ने कहा कि उन्हें यह जानकर दुख हुआ कि कुछ सरकारी स्कूल बंद हो गए हैं जबकि अन्य में फीस बढ़ाई जा रही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पूछा कि ऐसे में क्या गरीब व्यक्ति अपने बच्चों को पढ़ाने का खर्चा उठा सकता है तथा इसका तो यह भी मतलब है कि देश में लगभग दो-तिहाई बच्चे अनपढ़ रहेंगे और परिणामस्वरूप राष्ट्र प्रगति नहीं कर पाएगा.
केजरीवाल ने शिक्षक दिवस पर तमिलनाडु सरकार की नई शैक्षिक योजनाओं की शुरुआत की सराहना की. राष्ट्रीय राजधानी में सरकारी स्कूलों और मोहल्ला क्लिनिक में स्टालिन की अप्रैल की यात्रा और एसओई पहल को दोहराने के तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के संकल्प को याद करते हुए केजरीवाल ने कहा कि उन्हें लगा था कि तमिलनाडु को दिल्ली मॉडल का अनुकरण करने में दो-तीन साल लग सकते हैं. केजरीवाल ने कहा कि लेकिन उन्हें सुखद आश्चर्य हुआ कि स्टालिन ने छह महीने के भीतर कार्य पूरा कर लिया.
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अप्रैल में, केजरीवाल के साथ, स्टालिन ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों का दौरा किया था और ऐसे संस्थानों में बुनियादी ढांचे की प्रशंसा की थी. उन्होंने तब कहा था कि उनकी सरकार तमिलनाडु में इसी तरह की शैक्षणिक सुविधाएं स्थापित करेगी. उन्होंने काम पूरा होने के बाद केजरीवाल को उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया था. वर्ष 2022-23 के बजट में, राज्य सरकार ने कहा था कि 'मूवलुर रामामिरथम अम्मैयार मेमोरियल मैरिज असिस्टेंस स्कीम' को 'मूवलुर रामामिरथम अम्मैयार हायर एजुकेशन एश्योरेंस स्कीम' के रूप में तब्दील किया जा रहा है.
उच्च शिक्षा में सरकारी स्कूलों की छात्राओं का नामांकन अनुपात बहुत कम है जिसे देखते हुए इस योजना में बदलाव किया गया है. इस योजना के तहत, सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 से 12 तक पढ़ने वाली सभी छात्राओं को उनकी स्नातक डिग्री, डिप्लोमा और आईटीआई पाठ्यक्रमों के निर्बाध रूप से पूरा होने तक सीधे उनके बैंक खाते में प्रति माह 1,000 रुपये का भुगतान किया जाएगा. छात्राएं अन्य छात्रवृत्तियों के अलावा इस सहायता की पात्र होंगी. इस कार्यक्रम के माध्यम से, लगभग 6,00,000 छात्राओं को हर साल लाभ मिल सकता है. इस नई योजना के लिए बजट में 698 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई थी.
(PTI)