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मेकेदातु परियोजना पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची तमिलनाडु सरकार

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Published : Aug 28, 2021, 5:14 PM IST

कावेरी नदी पर मेकेदातु पेयजल परियोजना (Mekedatu project) को रोकने के लिए तमिलनाडु सरकार (Tamil Nadu Govt) ने कर्नाटक सरकार के खिलाफ उच्चतम न्यायालय (Supreme court) का दरवाजा खटखटाया है.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: तमिलनाडु सरकार ने कर्नाटक सरकार की महत्वाकांक्षी मेकेदातु परियोजना (Mekedatu project) के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. तमिलनाडु सरकार ने शीर्ष कोर्ट में कहा है कि 67.16 टीएमसी फीट की क्षमता वाली मेकादातु परियोजना की योजना बनाना और 9000 करोड़ रुपये की लागत से 400 मेगावाट बिजली का उत्पादन कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण के निर्णय का घोर उल्लंघन है.

'एकतरफा रिपोर्ट सीडब्ल्यूसी को भेजी'
तमिलनाडु ने अदालत को बताया कि कर्नाटक ने मेकेदातु परियोजना से जुड़ी जो रिपोर्ट केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) को भेजी वह एकतरफा है. सीडब्ल्यूसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने के बजाय प्रस्ताव पर विचार किया. इसमें कहा गया है कि इस परियोजना के परिणामस्वरूप कावेरी जलाशय के काबिनी उप बेसिन के अनियंत्रित जलग्रहण से कावेरी में उत्पन्न प्रवाह, केआरएस बांध के नीचे की ओर कावेरी नदी का जलग्रहण, शिमशा, अर्कावती और सुवर्णावती उप-घाटियों और विभिन्न अन्य से अनियंत्रित प्रवाह को रोक दिया जाएगा.

तमिलनाडु का कहना है कि कर्नाटक द्वारा प्रस्तावित निर्माण का जून से सितंबर के महत्वपूर्ण महीनों के दौरान नदी के दैनिक और मासिक प्रवाह पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा. जैसा कि ट्रिब्यूनल के अंतिम आदेश में और इस अदालत का भी मानना है कि नदी से जुड़े जल पर लाखों निवासियों की आजीविका निर्भर करती है. तमिलनाडु का कहना है कि परियोजना के निर्माण से नदी के प्रवाह पर असर पड़ेगा. ऐसे में किसी नई योजना पर विचार किया जाना चाहिए.

तमिलनाडु ने सीडब्ल्यूसी को कर्नाटक द्वारा भेजी गई मेकादातु परियोजना रिपोर्ट को खारिज करने और पर्यावरण और वन मंत्रालय को परियोजना को मंजूरी देने से रोकने के लिए निर्देश देने की अपील की है.

क्या है मेकेदातु परियोजना?
यह पेयजल और बिजली उत्पादन पर 9,000 करोड़ रुपये की बांध परियोजना (dam project) है. मेकेदातु बांध का निर्माण कावेरी नदी (Kaveri River) पर मुग्गुरु वन क्षेत्र (Mugguru forest zone) के वॉचिंग टॉवर (watching tower) और रामनगर जिले (Ramanagar district) के हनूर वन क्षेत्र (Hanur forest zone) के बीच एक एकांत भूमि में किया जाएगा.

यह एकान्त स्थान मेकेदातु और संगम के मध्य में है. बांध के स्थल से 2 किमी दूर मेकेदाडु के पास जल विद्युत स्टेशन ( hydro power station) के स्थान की पहचान की गई है.

परियोजना की वर्तमान स्थिति क्या है ?

केंद्र सरकार (central government) ने मेकेदातु परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. 18-01-2019 में अनुमोदन के लिए केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission) को 9,000 करोड़ की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है.

केंद्रीय जल आयोग ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (Kaveri Water Management Authority) को दिनांक 25-01-2019 को इस पर टिप्पणी का अनुरोध करते हुए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भेजी है.

पढ़ें- जानिए क्या हैं मेकेदातु परियोजना में आने वाली बाधांए?

पढ़ें- तमिलनाडु के विरोध के बावजूद मेकेदातु परियोजना को लागू करेंगे : बोम्मई

नई दिल्ली: तमिलनाडु सरकार ने कर्नाटक सरकार की महत्वाकांक्षी मेकेदातु परियोजना (Mekedatu project) के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. तमिलनाडु सरकार ने शीर्ष कोर्ट में कहा है कि 67.16 टीएमसी फीट की क्षमता वाली मेकादातु परियोजना की योजना बनाना और 9000 करोड़ रुपये की लागत से 400 मेगावाट बिजली का उत्पादन कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण के निर्णय का घोर उल्लंघन है.

'एकतरफा रिपोर्ट सीडब्ल्यूसी को भेजी'
तमिलनाडु ने अदालत को बताया कि कर्नाटक ने मेकेदातु परियोजना से जुड़ी जो रिपोर्ट केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) को भेजी वह एकतरफा है. सीडब्ल्यूसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने के बजाय प्रस्ताव पर विचार किया. इसमें कहा गया है कि इस परियोजना के परिणामस्वरूप कावेरी जलाशय के काबिनी उप बेसिन के अनियंत्रित जलग्रहण से कावेरी में उत्पन्न प्रवाह, केआरएस बांध के नीचे की ओर कावेरी नदी का जलग्रहण, शिमशा, अर्कावती और सुवर्णावती उप-घाटियों और विभिन्न अन्य से अनियंत्रित प्रवाह को रोक दिया जाएगा.

तमिलनाडु का कहना है कि कर्नाटक द्वारा प्रस्तावित निर्माण का जून से सितंबर के महत्वपूर्ण महीनों के दौरान नदी के दैनिक और मासिक प्रवाह पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा. जैसा कि ट्रिब्यूनल के अंतिम आदेश में और इस अदालत का भी मानना है कि नदी से जुड़े जल पर लाखों निवासियों की आजीविका निर्भर करती है. तमिलनाडु का कहना है कि परियोजना के निर्माण से नदी के प्रवाह पर असर पड़ेगा. ऐसे में किसी नई योजना पर विचार किया जाना चाहिए.

तमिलनाडु ने सीडब्ल्यूसी को कर्नाटक द्वारा भेजी गई मेकादातु परियोजना रिपोर्ट को खारिज करने और पर्यावरण और वन मंत्रालय को परियोजना को मंजूरी देने से रोकने के लिए निर्देश देने की अपील की है.

क्या है मेकेदातु परियोजना?
यह पेयजल और बिजली उत्पादन पर 9,000 करोड़ रुपये की बांध परियोजना (dam project) है. मेकेदातु बांध का निर्माण कावेरी नदी (Kaveri River) पर मुग्गुरु वन क्षेत्र (Mugguru forest zone) के वॉचिंग टॉवर (watching tower) और रामनगर जिले (Ramanagar district) के हनूर वन क्षेत्र (Hanur forest zone) के बीच एक एकांत भूमि में किया जाएगा.

यह एकान्त स्थान मेकेदातु और संगम के मध्य में है. बांध के स्थल से 2 किमी दूर मेकेदाडु के पास जल विद्युत स्टेशन ( hydro power station) के स्थान की पहचान की गई है.

परियोजना की वर्तमान स्थिति क्या है ?

केंद्र सरकार (central government) ने मेकेदातु परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. 18-01-2019 में अनुमोदन के लिए केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission) को 9,000 करोड़ की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है.

केंद्रीय जल आयोग ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (Kaveri Water Management Authority) को दिनांक 25-01-2019 को इस पर टिप्पणी का अनुरोध करते हुए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भेजी है.

पढ़ें- जानिए क्या हैं मेकेदातु परियोजना में आने वाली बाधांए?

पढ़ें- तमिलनाडु के विरोध के बावजूद मेकेदातु परियोजना को लागू करेंगे : बोम्मई

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