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तमिलनाडु: सरकार ने बच्चे के हाथ गंवाने के मामले में लापरवाही से किया इनकार

चेन्नई के राजीव गांधी सरकारी अस्पताल में 18 महीने के बच्चे का हाथ काटने के मामले में सरकार ने चिकित्सकीय लापरवाही से इनकार कर दिया है. स्वास्थ्य मंत्री एक जांच समिति का गठन किया है और इसकी रिपोर्ट मांगी है. अस्पताल प्रशासन ने भी बयान जारी कर कहा है कि बच्चे के इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है.

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Published : Jul 4, 2023, 7:25 AM IST

चेन्नई: तमिलनाडु सरकार ने सोमवार को राज्य सरकार के एक अस्पताल में 18 महीने के बच्चे के मामले में चिकित्सकीय लापरवाही से इनकार किया और कहा कि बच्चे के माता-पिता को दूसरी राय लेने का विकल्प दिया गया है. आरोप है कि चिकित्सकीय लापरवाही के कारण बच्चे को अपना दाहिना हाथ खोना पड़ा. वहीं, विपक्षी दलों ने अस्पताल में कथित चूक के लिये पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की.

स्वास्थ्य मंत्री एम सुब्रमण्यम ने दावा किया कि सरकारी चिकित्सक उस लड़के को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं. बच्चे को कई जटिलताओं के कारण राजीव गांधी सरकारी अस्पताल (आरजीजीएच) में रेफर किया गया था. डॉ. थेरानीराजन ने कहा कि बच्चे को दिल का दौरा भी पड़ा था. उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही तीन सर्जन की एक उच्च स्तरीय चिकित्सा समिति गठित की है. समिति आज अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी.

दरअसल, चेन्नई के राजीव गांधी सरकारी अस्पताल में लापरवाही से इलाज के कारण डेढ़ साल के बच्चे का हाथ काटने के आरोपों के बीच बच्चे की मां ने सरकार पर छिपाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. बच्ची की मां अजीशा ने कहा कि हमने बच्चे को इलाज के लिए चेन्नई के राजीव गांधी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया था. उसने नर्स को बताया कि वह बच्चे के हाथ की उंगली वाले हिस्से को देखकर चौंक गई थीं. फिर पिछले गुरुवार तक जब बेबी के दाहिने हाथ पर इंजेक्शन लगाया गया तो वह लाल हो गया था.

मां ने बताया कि उन्होंने नर्सों को बताया था कि बच्चे का हाथ दुखता है लेकिन नर्सों ने उसके हाथ से सुई नहीं निकाली और कोई कार्रवाई न करके लापरवाही बरती. हालांकि, बच्चे के लगातार रोने के बाद एक अन्य नर्स ने कहा कि उसने सुई हटा दी है. इसके बाद, उसने कहा कि उसके बच्चे की आधी बांह लाल और गतिहीन हो गई, और फिर पूरी बांह काली पड़ गई. मां अजीशा ने बताया कि जब एक डॉक्टर को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने कहा कि बिना कोई जरूरी कदम उठाए मरहम लगाने से यह ठीक हो जाएगा.

बच्चे के पिता अस्तगिर ने कहा कि बच्चे का डेढ़ साल से कई तरह का इलाज चल रहा था और इसके बाद उसे चेन्नई के राजीव गांधी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया. उन्होंने बताया कि वहां ड्रिप चढ़ाने के बाद बच्चे का हाथ काला पड़ गया और बताने के बाद भी डॉक्टरों ने इस पर ध्यान नहीं दिया.

ये भी पढ़ें-

इस संबंध में राजीव गांधी सरकारी अस्पताल ने एक बयान में कहा है कि रामनाथपुरम का 1.5 वर्षीय लड़का मोहम्मद माहिर, 1.5 किलोग्राम वजन के साथ समय से पहले पैदा हुआ था. बच्चे को गंभीर हाइड्रोसिफ़लस, मस्तिष्क द्रव रिसाव विकार था. इसके लिए पांच महीने में तरल पदार्थ के रिसाव को सोखने के लिए वीपी शंट दिया गया. बच्चा कुपोषित और बौना था. सर्जरी के बाद बच्चे के दाहिने हाथ में खून का थक्का जम गया. गंभीर प्रयासों के बाद दाहिना हाथ फैल गया और उसे काटना पड़ा. स्वास्थ्य मंत्री के आदेश के अनुसार एक जांच समिति का गठन किया गया है और इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी.

चेन्नई: तमिलनाडु सरकार ने सोमवार को राज्य सरकार के एक अस्पताल में 18 महीने के बच्चे के मामले में चिकित्सकीय लापरवाही से इनकार किया और कहा कि बच्चे के माता-पिता को दूसरी राय लेने का विकल्प दिया गया है. आरोप है कि चिकित्सकीय लापरवाही के कारण बच्चे को अपना दाहिना हाथ खोना पड़ा. वहीं, विपक्षी दलों ने अस्पताल में कथित चूक के लिये पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की.

स्वास्थ्य मंत्री एम सुब्रमण्यम ने दावा किया कि सरकारी चिकित्सक उस लड़के को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं. बच्चे को कई जटिलताओं के कारण राजीव गांधी सरकारी अस्पताल (आरजीजीएच) में रेफर किया गया था. डॉ. थेरानीराजन ने कहा कि बच्चे को दिल का दौरा भी पड़ा था. उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही तीन सर्जन की एक उच्च स्तरीय चिकित्सा समिति गठित की है. समिति आज अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी.

दरअसल, चेन्नई के राजीव गांधी सरकारी अस्पताल में लापरवाही से इलाज के कारण डेढ़ साल के बच्चे का हाथ काटने के आरोपों के बीच बच्चे की मां ने सरकार पर छिपाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. बच्ची की मां अजीशा ने कहा कि हमने बच्चे को इलाज के लिए चेन्नई के राजीव गांधी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया था. उसने नर्स को बताया कि वह बच्चे के हाथ की उंगली वाले हिस्से को देखकर चौंक गई थीं. फिर पिछले गुरुवार तक जब बेबी के दाहिने हाथ पर इंजेक्शन लगाया गया तो वह लाल हो गया था.

मां ने बताया कि उन्होंने नर्सों को बताया था कि बच्चे का हाथ दुखता है लेकिन नर्सों ने उसके हाथ से सुई नहीं निकाली और कोई कार्रवाई न करके लापरवाही बरती. हालांकि, बच्चे के लगातार रोने के बाद एक अन्य नर्स ने कहा कि उसने सुई हटा दी है. इसके बाद, उसने कहा कि उसके बच्चे की आधी बांह लाल और गतिहीन हो गई, और फिर पूरी बांह काली पड़ गई. मां अजीशा ने बताया कि जब एक डॉक्टर को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने कहा कि बिना कोई जरूरी कदम उठाए मरहम लगाने से यह ठीक हो जाएगा.

बच्चे के पिता अस्तगिर ने कहा कि बच्चे का डेढ़ साल से कई तरह का इलाज चल रहा था और इसके बाद उसे चेन्नई के राजीव गांधी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया. उन्होंने बताया कि वहां ड्रिप चढ़ाने के बाद बच्चे का हाथ काला पड़ गया और बताने के बाद भी डॉक्टरों ने इस पर ध्यान नहीं दिया.

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इस संबंध में राजीव गांधी सरकारी अस्पताल ने एक बयान में कहा है कि रामनाथपुरम का 1.5 वर्षीय लड़का मोहम्मद माहिर, 1.5 किलोग्राम वजन के साथ समय से पहले पैदा हुआ था. बच्चे को गंभीर हाइड्रोसिफ़लस, मस्तिष्क द्रव रिसाव विकार था. इसके लिए पांच महीने में तरल पदार्थ के रिसाव को सोखने के लिए वीपी शंट दिया गया. बच्चा कुपोषित और बौना था. सर्जरी के बाद बच्चे के दाहिने हाथ में खून का थक्का जम गया. गंभीर प्रयासों के बाद दाहिना हाथ फैल गया और उसे काटना पड़ा. स्वास्थ्य मंत्री के आदेश के अनुसार एक जांच समिति का गठन किया गया है और इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी.

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