चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (tamil nadu CM MK Stalin) ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर सेंट जॉर्ज किले में राष्ट्रीय ध्वज फहराया. इस दौरान उन्होंने उन सभी विषयों को, जिनका लोगों से सीधा जुड़ाव है उसे संविधान की राज्य सूची में शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि शिक्षा को राज्य विषय में स्थानांतरित कर दिया जाता है तो राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) जैसी योग्यता परीक्षाओं को खत्म किया जा सकता है.
स्टालिन ने कहा कि शिक्षा को संविधान की समवर्ती सूची से राज्य सूची में स्थानांतरित किया जाना चाहिए. बता दें कि इससे पहले नीट के दूसरे प्रयास में असफल होने पर एक छात्र ने आत्महत्या कर ली थी. वहीं इस घटना के बाद उसके पिता ने भी आत्महत्या कर ली थी.
वहीं घटना से एक दिन पहले राज्यपाल आरएन रवि ने स्नातक चिकित्सा कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (एनईईटी) को उचित ठहराया था. वहीं राष्ट्रपति के पास लंबित बिल पर बोलते हुए राज्यपाल ने कहा कि मैं इस विधेयक पर कभी भी हस्ताक्षर नहीं करुंगा. उन्होंने कहा कि मैं इसे मंजूरी देने वाला आखिरी व्यक्ति होऊंगा. मैं नहीं चाहता कि मेरे बच्चे बौद्धिक रूप से अक्षम महसूस करें. मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे प्रतिस्पर्धा करें और सर्वश्रेष्ठ बनें. एनईईटी को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में कोई बदलाव नहीं होगा.
मुख्यमंत्री ने शासन के द्रविड़ मॉडल का पालन करके राज्य के विकास पर भी जोर दिया, जो सभी को समान विकास और अवसर प्रदान करता है. स्टालिन ने कवि सुब्रमण्यम भारती सहित राज्य के नायकों की यादें ताजा कीं, जिनके लेखन ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जनता को एकजुट करने में मदद की. उन्होंने यह भी कहा कि द्रमुक के तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्रियों सी.एन. अन्नादुराई और कलैग्नार करुणानिधि ने पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध सहित आपात स्थितियों के दौरान हमेशा केंद्र सरकार का समर्थन किया.
स्टालिन ने कहा कि राज्यों द्वारा एकजुट भारत को विभिन्न भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों के सभी लोगों के विकास के साथ आगे बढ़ना चाहिए. साथ ही, वे भारत में सामाजिक न्याय, समता, बंधुत्व, समानता, धर्मनिरपेक्षता और पीड़ितों के कल्याण के उच्चतम आदर्शों के साथ निर्माण करना उन शहीदों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने हमारे देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी.