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पंजशीर घाटी पर हमला करने की तैयारी कर रहा है तालिबान - पंजशीर घाटी पर हमला

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल को अपने कब्जे में लेने के बाद तालिबान पंजशीर घाटी पर हमला करने के लिए तैयारी कर रहा है. भारत में अफगान राइट्स एक्टिविस्ट निसार अहमद शेरजई ने बताया कि तालिबान ने पंजशीर घाटी के उत्तरी गठबंधन को आत्मसमर्पण करने के लिए चार घंटे का समय दिया है.

पंजशीर घाटी पर हमला करने के लिए तैयारी कर रहा है तालिबान
पंजशीर घाटी पर हमला करने के लिए तैयारी कर रहा है तालिबान
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Published : Aug 22, 2021, 7:32 PM IST

Updated : Aug 22, 2021, 7:46 PM IST

हैदराबाद : तालिबान पंजशीर घाटी पर हमला करने के लिए तैयारी कर रहा है. भारत में अफगान राइट्स एक्टिविस्ट निसार अहमद शेरजई ने एक ऑडियो संदेश में यह बात कही है. शेरजई ने तालिबान ने पंजशीर घाटी के उत्तरी गठबंधन को आत्मसमर्पण करने के लिए चार घंटे का समय दिया है.

पंजशीर घाटी ने अफगानिस्तान के सैन्य इतिहास में बार-बार निर्णायक भूमिका निभाई है, क्योंकि इसकी भौगोलिक स्थिति इसे देश के बाकी हिस्सों से लगभग पूरी तरह से अलग बनाती है. इस क्षेत्र तक एकमात्र पहुंच बिंदु पंजशीर नदी द्वारा बनाए गए एक संकीर्ण मार्ग के माध्यम से है, जिसे आसानी से सैन्य रूप से बचाया जा सकता है.

अपनी प्राकृतिक सुरक्षा के लिए प्रसिद्ध, हिंदू कुश पहाड़ों में बसा यह क्षेत्र 1990 के गृह युद्ध के दौरान भी तालिबान के हाथों में नहीं आया और न ही इसे उस पर एक दशक पहले सोवियत संघ (रूस) जीत हासिल कर का. डीडब्ल्यू ने बताया कि यह अब अफगानिस्तान का आखिरी बचा हुआ होल्डआउट है. यानी तालिबान अभी तक इस क्षेत्र पर अपना नियंत्रण स्थापित नहीं कर सका है.

पंजशीर घाटी पर हमला करने के लिए तैयारी कर रहा है तालिबान

बता दें कि अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से एक और काबुल से लगभग 70 मील उत्तर में,पंजशीर घाटी प्रतिरोध का दूसरा नाम है.

उबड़-खाबड़ और ऊंचे पहाड़ों से घिरी, गड़गड़ाहट वाली पंजशीर नदी से कटी गहरी घाटियां, बर्फ से ढकी चोटियों के सर्वव्यापी दृश्य के साथ, पंजशीर घाटी केवल पहाड़ों में एक संकीर्ण रास्ते के माध्यम से बाहरी लोगों के लिए खुलती है - यही कारण है कि इसे सैन्य दृष्टिकोण से एक अभेद्य किला ( impregnable fortress) माना जाता है.

हालांकि दुर्गम इलाके और ऊबड़-खाबड़ भूमि ने लोगों को स्थानीय ताजिकों के बीच लड़ाकों का समुदाय बना दिया है, जो गुरिल्ला युद्ध (guerrilla warfare) में उत्कृष्ट थे. यह इलाका 'हिट-एंड-रन' रणनीति के लिए, घात लगाकर हमला करने के लिए और दुश्मन को छिपाने और इंतजार करने के लिए एकदम सही है.

पढ़ें - तालिबान के खिलाफ पंजशीर घाटी ने फिर फूंका प्रतिरोध का बिगुल

जो चीज इस जगह को प्रतिरोध का केंद्र बिंदु बनाती है, वह यह है कि अफगानिस्तान में फारसी दारी-भाषी ताजिकों की सबसे घनी आबादी है. अफगानिस्तान की कुल 3.8 करोड़ आबादी में ताजिकों की संख्या 37 प्रतिशत है, तो वहीं दूसरी तरफ 37 प्रतिशत पश्तूनों हैं, जबकि यहां 10 प्रतिशत हजारा और उजबेक्स 9 प्रतिशत हैं.

हालांकि तालिबान बड़े पैमाने पर पश्तून बहुल है, अफगान सेना में ताजिकों का वर्चस्व है

हैदराबाद : तालिबान पंजशीर घाटी पर हमला करने के लिए तैयारी कर रहा है. भारत में अफगान राइट्स एक्टिविस्ट निसार अहमद शेरजई ने एक ऑडियो संदेश में यह बात कही है. शेरजई ने तालिबान ने पंजशीर घाटी के उत्तरी गठबंधन को आत्मसमर्पण करने के लिए चार घंटे का समय दिया है.

पंजशीर घाटी ने अफगानिस्तान के सैन्य इतिहास में बार-बार निर्णायक भूमिका निभाई है, क्योंकि इसकी भौगोलिक स्थिति इसे देश के बाकी हिस्सों से लगभग पूरी तरह से अलग बनाती है. इस क्षेत्र तक एकमात्र पहुंच बिंदु पंजशीर नदी द्वारा बनाए गए एक संकीर्ण मार्ग के माध्यम से है, जिसे आसानी से सैन्य रूप से बचाया जा सकता है.

अपनी प्राकृतिक सुरक्षा के लिए प्रसिद्ध, हिंदू कुश पहाड़ों में बसा यह क्षेत्र 1990 के गृह युद्ध के दौरान भी तालिबान के हाथों में नहीं आया और न ही इसे उस पर एक दशक पहले सोवियत संघ (रूस) जीत हासिल कर का. डीडब्ल्यू ने बताया कि यह अब अफगानिस्तान का आखिरी बचा हुआ होल्डआउट है. यानी तालिबान अभी तक इस क्षेत्र पर अपना नियंत्रण स्थापित नहीं कर सका है.

पंजशीर घाटी पर हमला करने के लिए तैयारी कर रहा है तालिबान

बता दें कि अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से एक और काबुल से लगभग 70 मील उत्तर में,पंजशीर घाटी प्रतिरोध का दूसरा नाम है.

उबड़-खाबड़ और ऊंचे पहाड़ों से घिरी, गड़गड़ाहट वाली पंजशीर नदी से कटी गहरी घाटियां, बर्फ से ढकी चोटियों के सर्वव्यापी दृश्य के साथ, पंजशीर घाटी केवल पहाड़ों में एक संकीर्ण रास्ते के माध्यम से बाहरी लोगों के लिए खुलती है - यही कारण है कि इसे सैन्य दृष्टिकोण से एक अभेद्य किला ( impregnable fortress) माना जाता है.

हालांकि दुर्गम इलाके और ऊबड़-खाबड़ भूमि ने लोगों को स्थानीय ताजिकों के बीच लड़ाकों का समुदाय बना दिया है, जो गुरिल्ला युद्ध (guerrilla warfare) में उत्कृष्ट थे. यह इलाका 'हिट-एंड-रन' रणनीति के लिए, घात लगाकर हमला करने के लिए और दुश्मन को छिपाने और इंतजार करने के लिए एकदम सही है.

पढ़ें - तालिबान के खिलाफ पंजशीर घाटी ने फिर फूंका प्रतिरोध का बिगुल

जो चीज इस जगह को प्रतिरोध का केंद्र बिंदु बनाती है, वह यह है कि अफगानिस्तान में फारसी दारी-भाषी ताजिकों की सबसे घनी आबादी है. अफगानिस्तान की कुल 3.8 करोड़ आबादी में ताजिकों की संख्या 37 प्रतिशत है, तो वहीं दूसरी तरफ 37 प्रतिशत पश्तूनों हैं, जबकि यहां 10 प्रतिशत हजारा और उजबेक्स 9 प्रतिशत हैं.

हालांकि तालिबान बड़े पैमाने पर पश्तून बहुल है, अफगान सेना में ताजिकों का वर्चस्व है

Last Updated : Aug 22, 2021, 7:46 PM IST
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