काबुल : अल-जजीरा न्यूज नेटवर्क पर प्रसारित वीडियो फुटेज के अनुसार, काबुल स्थित अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर तालिबान लड़ाकों का कब्जा हो गया है. फुटेज में तालिबान लड़ाकों का एक बड़ा समूह राजधानी काबुल में स्थित राष्ट्रपति भवन के भीतर नजर आ रहा है.
तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर अपने कब्जे की घोषणा राष्ट्रपति भवन से करने और देश को फिर से 'इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान' का नाम देने की उम्मीद है.
20 साल की लंबी लड़ाई के बाद अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से निकलने के कुछ ही दिनों के भीतर लगभग पूरे देश पर फिर से तालिबान का कब्जा हो गया है.
काबुल में दूतावास से अमेरिका का झंडा उतारा गया
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अफगानिस्तान से अपने लोगों को निकालने के बीच काबुल में अमेरिकी दूतावास से अमेरिकी झंडा उतार लिया गया है.
अधिकारी ने बताया कि दूतावास के लगभग सभी अधिकारियों को शहर के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पहुंचा दिया गया है, जहां पर हजारों अमेरिकी तथा अन्य लोग विमानों का इंतजार कर रहे हैं. अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी झंडा दूतावास के अधिकारियों में से एक के पास है.
रविवार रात को विदेश मंत्रालय और पेंटागन ने संयुक्त बयान में कहा कि काबुल हवाईअड्डे से लोगों की सुरक्षित रवानगी के लिए वे कदम उठा रहे हैं. इसमें कहा गया कि अगले दो दिन में अमेरिका के 6,000 सुरक्षाकर्मी वहां मौजूद होंगे और वे हवाई यातायात नियंत्रण अपने कब्जे में ले लेंगे.
बीते दो हफ्तों में विशेष वीजा धारक करीब 2,000 लोग काबुल से अमेरिका पहुंच चुके हैं.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) एस्टोनिया और नॉर्वे के अनुरोध पर अफगानिस्तान की स्थिति पर सोमवार को आपात बैठक करेगी. परिषद के राजनयिकों ने रविवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस परिषद के सदस्यों को राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद के ताजा हालात से अवगत कराएंगे.
गौरतलब है कि रविवार सुबह काबुल पर तालिबान लड़ाकों की दस्तक के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया. वहीं देशवासी और विदेशी भी युद्धग्रस्त देश से निकलने को प्रयासरत हैं, हालांकि काबुल हवाईअड्डे से वाणिज्यिक उड़ानें बंद होने के कारण लोगों की इन कोशिशों को झटका लगा है.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के अनुसार, अमेरिका काबुल स्थित अपने दूतावास से शेष कर्मचारियों को व्यवस्थित तरीके से बाहर निकाल रहा है. हालांकि, उन्होंने जल्दीबाजी में अमेरिका के वहां से निकलने के आरोपों को तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि यह वियतनाम की पुनरावृत्ति नहीं है,
एबीसी चैनल पर रविवार को ब्लिंकन ने कहा, हमारे लोग परिसर को छोड़ रहे हैं और हवाईअड्डा जा रहे हैं.
उन्होंने इसकी पुष्टि भी की कि अमेरिकी दूतावास के कर्मचारी परिसर खाली करने से पहले दस्तावेज और अन्य सामग्री को नष्ट कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह बहुत सोच-समझकर और सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है. यह सबकुछ अमेरिकी बलों की उपस्थिति में हो रहा है, जो वहां हमारी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं.
काबुल स्थिति अमेरिकी दूतावास खाली करने के क्रम में रविवार को परिसर से सैन्य हेलीकॉप्टर लगातार उड़ान भरते रहे.
नागरिक इस भय से देश छोड़ना चाहते हैं कि तालिबान उस क्रूर शासन को फिर से लागू कर सकता है जिसमें महिलाओं के अधिकार खत्म हो जाएंगे. नागरिक अपने जीवन भर की बचत को निकालने के लिए नकद मशीनों के बाहर खड़े हो गए. वहीं, काबुल में अधिक सुरक्षित माहौल के लिए देश के ग्रामीण क्षेत्रों में अपने घरों को छोड़कर आये हजारों की संख्या में आम लोग पूरे शहर में उद्यानों और खुले स्थानों में शरण लिये हुए दिखे.
अफगानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर खर्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने आश्चर्यजनक रूप से एक सप्ताह में लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. कुछ ही दिन पहले, एक अमेरिकी सैन्य आकलन ने अनुमान लगाया था कि राजधानी के तालिबान के दबाव में आने में एक महीना लगेगा.
(पीटीआई-भाषा)