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शंकराचार्य Swami Swaroopanand Saraswati को राजकीय सम्मान के साथ दी गई भू-समाधि, MP में राजकीय शोक, शिवराज बोले-सूना हुआ मध्य प्रदेश - शंकराचार्य का परमहंसी गंगा आश्रम में भू समाधि

द्वारिका एवं ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी 99 वर्ष की उम्र में ब्रह्मलीन हो गए. उन्होंने परमहंसी गंगा आश्रम में अंतिम सांस ली. उनके निधन के बाद सीएम शिवराज ने श्रद्धांजलि देते हुए एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. द्वारका पीठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का सोमवार को राजकीय सम्मान के साथ मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में उनके आश्रम के परिसर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भू-समाधि दी गई. one day state mourning, swami swaroopanand saraswati died, Swaroopanand Saraswati Successor

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शंकराचार्य को दी गई भू समाधि
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Published : Sep 12, 2022, 6:30 PM IST

नरसिंहपुर। द्वारका पीठ शंकराचार्य का राजकीय सम्मान के साथ हजारों लोगों की उपस्थिति में परमहंसी गंगा आश्रम के परिसर में भू समाधि दी गई. इस दौरान संत और देश के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालु भी मौजूद रहे. गुरु समाधि के समय मंत्रोच्चार के साथ पवित्र नदियों के जल से उनका अभिषेक किया गया और भू-समाधि दी गई. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. भू-समाधि के समय आश्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, सहित उनके अनुयायी मौजूद थे. one day state mourning, swami swaroopanand saraswati died

शंकराचार्य को दी गई भू समाधि

एक दिन का राजकीय शोक: नरसिंहपुर पहुंचे सीएम शिवराज ने शंकराचार्य के अंतिम दर्शन किए और श्रद्धांजलि दी. वहीं सीएम ने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के ब्रह्मलीन होने पर एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को निर्देश दिए हैं. इस दौरान सीएम शिवराज ने कहा कि परम पूज्य शंकराचार्य सनातन धर्म के सूर्य थे. उनके जाने से मध्यप्रदेश सूना हो गया है. उन्होंने बताया कि शंकराचार्य स्वतंत्रता संग्राम सैनानी भी थे. उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. सीएम ने कहा कि उन्होंने हमे जो राह दिखाई है हम उस पर चलने का प्रयास करेंगे.

सीएम और पूर्व सीएम ने दी श्रद्धांजलि

पूर्व सीएम ने दी श्रद्धांजलि: वहीं पूर्व सीएम कमलनाथ ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के ना रहने से राष्ट्र के लिए ये बहुत बड़ी क्षति और हानि है. उनका आशीर्वाद देश और प्रदेश के साथ हमेशा रहेगा.

क्रांतिकारी साधू के रूप में भी जाने जाते थे: स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए उन्हें एक बार क्रांतिकारी साधु के रूप में जाना जाता था. वे अक्सर धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपने मन की बात कहते थे. उन्होंने शिरडी के साईबाबा के "देवता" पर भी सवाल उठाया था. स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 1924 में मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में पोथीराम उपाध्याय के रूप में हुआ था. उन्होंने 9 साल की उम्र में भगवान की खोज में अपना घर छोड़ दिया था. वे 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में एक स्वतंत्रता सेनानी बन गए और उन्हें "क्रांतिकारी साधु" कहा गया. उन्हें दो बार जेल हुई, एक बार 9 महीने की और दूसरी को छह महीने के लिए. वह 1981 में द्वारका पीठ के शंकराचार्य बने, उनके अनुयायियों ने कहा था.

नेहरु-गांधी परिवार के करीबी थे Shankaracharya Swaroopanand Saraswati, सोनिया गांधी ने किया था आश्रम का उद्घाटन

उत्तराधिकारी का हुआ फैसला: बता दें द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का उत्तराधिकारी कौन होगा इसका फैसला भी हो गया है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी को ज्योतिषपीठ बद्रीनाथ और स्वामी सदानंद सरस्वती जी को द्वारका शारदा पीठ का प्रमुख घोषित किया गया है. इन दोनों के नाम की घोषणा शंकराचार्य जी की पार्थिव देह के सामने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निजी सचिव स्वामी सुबुधानंद सरस्वती ने की. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अपने दो शिष्य को दंडी स्वामी परंपरा के अनुरूप शिक्षा दी थी. जिसमें पहले और बड़े शिष्य स्वामी सदानंद सरस्वती और दूसरे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती हैं. यह दोनों ही उनके उत्तराधिकारी की रेस में शामिल थे. बड़े शिष्य के रुप में स्वामी सदानंद सरस्वती को उन्होंने कई अहम कर्तव्य सौंपे और उन्हें शास्त्र सम्मत किस्म के धार्मिक अनुष्ठानों से जोड़ा. स्वामी सदानंद सरस्वती को जीवित रहते शंकराचार्य ने द्वारका शारदा पीठ के प्रमुख के तौर पर नियुक्त किया. यही नहीं वहां की जिम्मेदारियां भी सौंपी थी.

swami swaroopanand saraswati
उत्तराधिकारी का हुआ फैसला

Swaroopanand Saraswati Successor: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और स्वामी सदानंद सरस्वती होंगे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी

गौरतलब है कि रविवार को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने नरसिंहपुर जिले के परमहंसी गंगा आश्रम में अंतिम सांस ली, वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे.सीएम और पूर्व सीएम से लेकर कई हस्तियां उन्हें श्रद्धांजलि देने नरसिंहपुर पहुंचे. (CM Shivraj declared one day state mourning)(one day state mourning) (swami swaroopanand saraswati died) (Swaroopanand Saraswati Successor)

नरसिंहपुर। द्वारका पीठ शंकराचार्य का राजकीय सम्मान के साथ हजारों लोगों की उपस्थिति में परमहंसी गंगा आश्रम के परिसर में भू समाधि दी गई. इस दौरान संत और देश के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालु भी मौजूद रहे. गुरु समाधि के समय मंत्रोच्चार के साथ पवित्र नदियों के जल से उनका अभिषेक किया गया और भू-समाधि दी गई. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. भू-समाधि के समय आश्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, सहित उनके अनुयायी मौजूद थे. one day state mourning, swami swaroopanand saraswati died

शंकराचार्य को दी गई भू समाधि

एक दिन का राजकीय शोक: नरसिंहपुर पहुंचे सीएम शिवराज ने शंकराचार्य के अंतिम दर्शन किए और श्रद्धांजलि दी. वहीं सीएम ने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के ब्रह्मलीन होने पर एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को निर्देश दिए हैं. इस दौरान सीएम शिवराज ने कहा कि परम पूज्य शंकराचार्य सनातन धर्म के सूर्य थे. उनके जाने से मध्यप्रदेश सूना हो गया है. उन्होंने बताया कि शंकराचार्य स्वतंत्रता संग्राम सैनानी भी थे. उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. सीएम ने कहा कि उन्होंने हमे जो राह दिखाई है हम उस पर चलने का प्रयास करेंगे.

सीएम और पूर्व सीएम ने दी श्रद्धांजलि

पूर्व सीएम ने दी श्रद्धांजलि: वहीं पूर्व सीएम कमलनाथ ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के ना रहने से राष्ट्र के लिए ये बहुत बड़ी क्षति और हानि है. उनका आशीर्वाद देश और प्रदेश के साथ हमेशा रहेगा.

क्रांतिकारी साधू के रूप में भी जाने जाते थे: स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए उन्हें एक बार क्रांतिकारी साधु के रूप में जाना जाता था. वे अक्सर धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपने मन की बात कहते थे. उन्होंने शिरडी के साईबाबा के "देवता" पर भी सवाल उठाया था. स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 1924 में मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में पोथीराम उपाध्याय के रूप में हुआ था. उन्होंने 9 साल की उम्र में भगवान की खोज में अपना घर छोड़ दिया था. वे 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में एक स्वतंत्रता सेनानी बन गए और उन्हें "क्रांतिकारी साधु" कहा गया. उन्हें दो बार जेल हुई, एक बार 9 महीने की और दूसरी को छह महीने के लिए. वह 1981 में द्वारका पीठ के शंकराचार्य बने, उनके अनुयायियों ने कहा था.

नेहरु-गांधी परिवार के करीबी थे Shankaracharya Swaroopanand Saraswati, सोनिया गांधी ने किया था आश्रम का उद्घाटन

उत्तराधिकारी का हुआ फैसला: बता दें द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का उत्तराधिकारी कौन होगा इसका फैसला भी हो गया है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी को ज्योतिषपीठ बद्रीनाथ और स्वामी सदानंद सरस्वती जी को द्वारका शारदा पीठ का प्रमुख घोषित किया गया है. इन दोनों के नाम की घोषणा शंकराचार्य जी की पार्थिव देह के सामने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निजी सचिव स्वामी सुबुधानंद सरस्वती ने की. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अपने दो शिष्य को दंडी स्वामी परंपरा के अनुरूप शिक्षा दी थी. जिसमें पहले और बड़े शिष्य स्वामी सदानंद सरस्वती और दूसरे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती हैं. यह दोनों ही उनके उत्तराधिकारी की रेस में शामिल थे. बड़े शिष्य के रुप में स्वामी सदानंद सरस्वती को उन्होंने कई अहम कर्तव्य सौंपे और उन्हें शास्त्र सम्मत किस्म के धार्मिक अनुष्ठानों से जोड़ा. स्वामी सदानंद सरस्वती को जीवित रहते शंकराचार्य ने द्वारका शारदा पीठ के प्रमुख के तौर पर नियुक्त किया. यही नहीं वहां की जिम्मेदारियां भी सौंपी थी.

swami swaroopanand saraswati
उत्तराधिकारी का हुआ फैसला

Swaroopanand Saraswati Successor: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और स्वामी सदानंद सरस्वती होंगे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी

गौरतलब है कि रविवार को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने नरसिंहपुर जिले के परमहंसी गंगा आश्रम में अंतिम सांस ली, वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे.सीएम और पूर्व सीएम से लेकर कई हस्तियां उन्हें श्रद्धांजलि देने नरसिंहपुर पहुंचे. (CM Shivraj declared one day state mourning)(one day state mourning) (swami swaroopanand saraswati died) (Swaroopanand Saraswati Successor)

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