वाराणसी : मंदिरों के शहर कहे जाने वाले वाराणसी में भी ड्रेस कोड की मांग उठने लगी है. इस पर साधु-संतों और अखिल भारतीय संत समिति ने अपना समर्थन दिया है. साधु-संतों ने एक स्वर में इस बात को स्वीकारा है कि मंदिर में भी निश्चित ड्रेस कोड के साथ ही प्रवेश होना चाहिए. अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने अखाड़ों के इस निर्णय का स्वागत करने के साथ इसका समर्थन भी किया है.
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विभिन्न मंदिरों में इस तरह के बोर्ड भी अब लगाए जाने लगे हैं. पिछले कुछ दिनों से लगातार मठ मंदिरों के मठाधीशों द्वारा इस तरह का आदेश पारित किया गया है कि मंदिर में लोग आचरण युक्त और भारतीय परिधान पहनकर आएं. आए दिन यह देखने को मिलता है कि छोटे कपड़े पहन कर लड़कियां और लड़के भी मंदिर में दर्शन पूजन करने के लिए पहुंच जाते हैं, जिससे वहां पर मौजूद लोगों को काफी दिक्कत महसूस होती है. इस तरह उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के वृंदावन, अयोध्या और काशी के संत समाज मंदिरों में ड्रेस कोड की बात कर रहे हैं.
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि समाज का कई वर्ग अपने संतानों को अर्धनग्न अवस्था में मंदिर भी भेजता है. जब आपको विभिन्न क्लबों के ड्रेस कोड का पालन करने में असुविधा नहीं है, तो मंदिरों के ड्रेस कोड में क्या असुविधा हो सकती है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी और महानिर्वाणी अखाड़ा के मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किए जाने का पुरजोर समर्थन करता हूं. महाराज ने एक रास्ता दिखाया है, हमें पूर्ण विश्वास है कि देशभर के मंदिर जो विभिन्न अखाड़ों के द्वारा संचालित हैं. सुसंगत ड्रेस पहनकर ही मंदिरों में लड़के और लड़कियां प्रवेश करने की अपेक्षा रहेगी.
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