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प. बंगाल पंचायत चुनाव की घोषणा से पहले सुवेंदु अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

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Published : Mar 30, 2023, 1:54 PM IST

पंचायत चुनाव की घोषणा होने से पहले सुवेंदु अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने पंचायत चुनाव के दौरान पर्याप्त सुरक्षा, केंद्रीय बलों की तैनाती, पर कदम उठाने को लेकर अपील की है. वह आरक्षण के मुद्दे पर स्पष्टीकरण चाहते हैं.

suvendhu adhikari
सुवेंदु अधिकारी

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने गुरुवार को पंचायत चुनाव के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के पहले के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली के लिए चुनाव कराने के लिए पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया था.

28 मार्च को, कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने विपक्ष के नेता द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि चुनाव आयोग चुनाव से संबंधित सभी निर्णय लेगा और मामले में अदालत हस्तक्षेप नहीं करेगी. हालांकि शीर्ष अदालत 4 अप्रैल तक बंद है.

विपक्ष के नेता ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की उसी खंडपीठ में एक अपील के साथ एक समानांतर अपील की ताकि चुनाव आयोग अगले सात दिनों तक, जब तक शीर्ष अदालत नियमित सुनवाई के लिए फिर से नहीं खुलती, चुनाव की तारीखों की घोषणा न करे. मामले की सुनवाई कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ में गुरुवार को दोपहर भोजन के बाद के सत्र में होगी.

उल्लेखनीय है कि अधिकारी ने दो आधारों पर जनहित याचिका दायर की. पहला आधार यह था कि राज्य में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की वर्तमान जनसंख्या का आंकड़ा घरेलू सर्वेक्षण के आधार पर निकाला जाना चाहिए, जैसा कि अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के मामले में किया गया था. जनहित याचिका में उन्होंने तर्क दिया कि दो अलग-अलग मानदंड नहीं हो सकते, एक एससी/एसटी के मामले में और दूसरा ओबीसी के मामले में. याचिका में उजागर किया गया दूसरा आधार ग्रामीण नागरिक निकाय के लिए केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती से संबंधित है. हालांकि न्यायमूर्ति श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति भारद्वाज की खंडपीठ ने 28 मार्च को जनहित याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन विपक्ष के नेता को केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती के बिंदु पर एक अलग याचिका दायर करने की अनुमति दे दी.

ये भी पढ़ें : सारदा घोटाले के लाभार्थियों में शुभेंदु अधिकारी का भी नाम, उनपर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई : टीएमसी

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने गुरुवार को पंचायत चुनाव के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के पहले के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली के लिए चुनाव कराने के लिए पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया था.

28 मार्च को, कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने विपक्ष के नेता द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि चुनाव आयोग चुनाव से संबंधित सभी निर्णय लेगा और मामले में अदालत हस्तक्षेप नहीं करेगी. हालांकि शीर्ष अदालत 4 अप्रैल तक बंद है.

विपक्ष के नेता ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की उसी खंडपीठ में एक अपील के साथ एक समानांतर अपील की ताकि चुनाव आयोग अगले सात दिनों तक, जब तक शीर्ष अदालत नियमित सुनवाई के लिए फिर से नहीं खुलती, चुनाव की तारीखों की घोषणा न करे. मामले की सुनवाई कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ में गुरुवार को दोपहर भोजन के बाद के सत्र में होगी.

उल्लेखनीय है कि अधिकारी ने दो आधारों पर जनहित याचिका दायर की. पहला आधार यह था कि राज्य में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की वर्तमान जनसंख्या का आंकड़ा घरेलू सर्वेक्षण के आधार पर निकाला जाना चाहिए, जैसा कि अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के मामले में किया गया था. जनहित याचिका में उन्होंने तर्क दिया कि दो अलग-अलग मानदंड नहीं हो सकते, एक एससी/एसटी के मामले में और दूसरा ओबीसी के मामले में. याचिका में उजागर किया गया दूसरा आधार ग्रामीण नागरिक निकाय के लिए केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती से संबंधित है. हालांकि न्यायमूर्ति श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति भारद्वाज की खंडपीठ ने 28 मार्च को जनहित याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन विपक्ष के नेता को केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती के बिंदु पर एक अलग याचिका दायर करने की अनुमति दे दी.

ये भी पढ़ें : सारदा घोटाले के लाभार्थियों में शुभेंदु अधिकारी का भी नाम, उनपर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई : टीएमसी

(आईएएनएस)

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