रायपुरः छत्तीसगढ़ के निलंबित IPS जीपी सिंह को कोर्ट ने (Suspended IPS GP Singh sent on remand) दो दिनों की रिमांड पर भेज दिया है. EOW ने कोर्ट से जीपी सिंह की 7 दिन की रिमांड मांगी थी. लेकिन कोर्ट ने दो दिन की रिमांड अभी दी है. अदालत में जाने से पहले जीपी सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, मुझे फंसाया गया है. मेरे खिलाफ जो भी सबूत दिखाए गए हैं वह मनगढ़ंत हैं.
जीपी सिंह को रिमांड पर देने की बहस करीब 45 मिनट तक अदालत में चली. दिल्ली से जीपी सिंह को रायपुर लाने के बाद सबसे पहले उनका कोरोना टेस्ट किया गया. फिर उनसे EOW और एसीबी के ऑफिस में एक घंटे से ज्यादा देर तक पूछताछ की गई. रिमांड के मुताबिक ACB/EOW को 14 जनवरी की शाम 5 बजे तक जीपी सिंह को कोर्ट में पेश करना होगा.
मंगलवार को गुरुग्राम में हुई जीपी सिंह की गिरफ्तारी
रायपुर पुलिस ने मंगलवार को दिल्ली से सटे गुरुग्राम से जीपी सिंह (GP Singh arrested in Gurugram) की गिरफ्तारी की थी. जीपी सिंह को उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वह अपने वकील से चैंबर से बाहर निकल रहे थे. गिरफ्तारी के बाद उन्हें सड़क मार्ग से रायपुर लाया गया. बताया जा रहा है कि रायपुर लाने के बाद जब उनसे EOW और एसीबी ने पूछताछ की तो उन्होंने पूछताछ में सहयोग नहीं किया. जीपी सिंह जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे. उन्हें कई बार नोटिस भी दिया गया था. लेकिन वह हाजिर नहीं हुए. उसके बाद मामला कोर्ट में गया. वहां से भी जीपी सिंह को राहत नहीं मिली. उसके बाद EOW और एसीबी ने उन्हें गिरफ्तार किया.
जिस ACB/EOW ने किया गिरफ्तार, उसके चीफ रह चुके हैं जीपी सिंह
बता दें कि आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह के मामले में फंसे निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह एक समय में ACB/EOW के चीफ रहे हैं. जीपी सिंह जब ACB/EOW के चीफ थे. उस दौरान उन पर आरोप है कि वे कुछ लोगों से अवैध वसूली करते थे. लोगों को धमकियां देते थे. जीपी सिंह पर मौजूदा सरकार के खिलाफ साजिश रचने का भी आरोप है.
मुझे कुछ भी नहीं पता-जीपी सिंह
जीपी सिंह को जब ACB/EOW को कोर्ट ने दो दिनों की रिमांड पर भेजा. उस दौरान कोर्ट से बाहर निकलते ही मीडिया ने उन्हें घेर लिया. इस बीच सवाल पूछे जाने पर जीपी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. वहीं जब उनसे कार्रवाई को लेकर पूछा गया तो, उन्होंने कहा कि मुझे कुछ नहीं पता. फिलहाल ACB/EOW को कोर्ट ने दो दिनों की रिमांड दी है. जहां जीपी सिंह से पूछताछ की जाएगी. उन पर बेनामी संपत्ति के आरोप लगे हैं उसमें बहुत कुछ खुलासा होने की आशंका है.
लंबे समय से चल रहे थे फरार
आपको बता दें कि जीपी सिंह लंबे समय से फरार चल रहे थे. ACB/EOW ने उनके खिलाफ धारा 201, 468, 471 के तहत मामला पंजीबद्ध किया था. जीपी सिंह को विवेचना में उपस्थित होने के लिए ACB/EOW कई नोटिस जारी कर चुकी थी. लेकिन उन्होंने एक बार भी एजेंसियों का सहयोग नहीं किया.
छापे के बाद दर्ज हुए थे जीपी सिंह पर कई मामले
ईओडब्ल्यू और एसीबी ने जीपी सिंह के पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले पर 1 जुलाई की सुबह 6 बजे छापा मारा था. इस दौरान राजनांदगांव, ओडिशा समेत 15 अन्य ठिकानों पर एक साथ एसीबी की टीम ने छापेमार कार्रवाई की थी. करीब 68 घंटे तक चली कार्रवाई के दौरान 10 करोड़ से अधिक की अघोषित संपत्ति के साथ बंगले के पीछे गटर से कई अहम दस्तावेज मिले थे. इन्हीं को राजद्रोह का साक्ष्य माना गया था.
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छापे से मिली संपत्ति के आधार पर उन पर एसीबी ने भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज करवाई. इसके आधार पर शासन ने 5 जुलाई को उन्हें सस्पेंड किया. उसके बाद 8 जुलाई की रात जीपी सिंह के घर से मिले दस्तावेज के आधार पर उनके खिलाफ कोतवाली थाने में राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया.
कोर्ट से भी जीपी सिंह को नहीं मिली थी राहत
आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह के मामले में फंसे निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह के खिलाफ कोतवाली पुलिस 19 अगस्त को बिना गिरफ्तारी के कोर्ट पहुंच गई थी. न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी न्यायाधीश ओम प्रकाश साहू की अदालत में उस दिन पुलिस ने 400 पन्नों का चालान पेश किया था. कोर्ट में पेश किए गए चालान में पुलिस ने दावा किया था कि आईपीएस के रायपुर स्थित सरकारी बंगले पर प्रदेश के सभी विधानसभाओं की सर्वे रिपोर्ट मिली है. इसके बाद कोर्ट से जीपी सिंह को राहत नहीं मिली. उसके बाद वह हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट गए वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली
1994 बैच के आईपीएस अफसर हैं जीपी सिंह
जीपी सिंह भारतीय पुलिस सेवा के 1994 बैच के अधिकारी रहे हैं. वह राज्य पुलिस अकादमी के निदेशक भी रह चुके हैं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद एसीबी के प्रमुख भी रहे थे.
जीपी सिंह पर ऐसे चला कार्रवाई चाबुक
- 1 जुलाई की सुबह 6:00 बजे यूपी के सरकारी बंगले पर छापा
- राजनांदगांव, भिलाई, ओडिशा समेत 15 ठिकानों पर करीब 68 घंटे लगातार चली कार्रवाई
- 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति के साथ बंगले से कई अहम दस्तावेज मिले
- 5 जुलाई को ईओडब्ल्यू ने भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज करवाई
- एफआईआर के बाद देर रात शासन ने 5 जुलाई को जीपी सिंह को सस्पेंड किया
- 8 जुलाई को जीपी के घर से मिले दस्तावेज के आधार पर उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया
- 9 जुलाई को जीपी में हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की जिसमें सीबीआई जांच की मांग की थी
- जीपी सिंह की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने पिछले दिनों उनके कई ठिकानों पर छापे मारे
- इसके बाद पूछताछ के लिए थाने आकर बयान दर्ज कराने के लिए तीन बार नोटिस जारी किया
- उसके बाद कोतवाली पुलिस ने रायपुर कोर्ट में 19 अगस्त को 400 पन्नों का चालान पेश किया