नई दिल्ली : कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि 2019 के मानहानि मामले में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की सजा पर सूरत सत्र अदालत का आदेश 'गलत' है, इसे जल्द ही गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी.
एआईसीसी के प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने कहा,'सत्र न्यायालय का आदेश प्रथम दृष्टया संदिग्ध है और इसका कोई कानूनी आधार नहीं है. यह एक गलत आदेश है और इसे निकट भविष्य में राज्य उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी.' सिंघवी के मुताबिक, सत्र अदालत के आदेश में कई कानूनी कमियां थीं, जिन्हें हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि 'सत्र न्यायालय के आदेश में उच्च न्यायालयों के पिछले कई आदेशों का हवाला दिया गया है जिसमें अपराध गंभीर प्रकृति का था. ये संदर्भ राहुल के मामले पर लागू नहीं होते हैं जो मानहानि का मामला है. यह एक कॉमेडी की तरह है और हम हाई कोर्ट में इसका हवाला देंगे.'
कांग्रेस प्रवक्ता गुरुवार को सूरत सत्र अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसने राहुल गांधी की दोषसिद्धि और दो साल की जेल की सजा को रद्द करने की अपील को खारिज कर दिया. ट्रायल कोर्ट ने 23 मार्च को फैसला सुनाया था. आपराधिक मानहानि का मामला राहुल के 2019 के कर्नाटक के कोलार में दिए गए भाषण से संबंधित है जिसमें उन्होंने कहा था कि कैसे 'सभी चोरों का सरनेम मोदी है'
इस बयान को लेकर भाजपा नेता पूर्णेश मोदी ने याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता ने कहा था कि राहुल ने पूरे मोदी समुदाय को बदनाम किया. बाद में भाजपा ने इसे ओबीसी विरोधी टिप्पणी के रूप में ब्रांडेड किया था.
सिंघवी ने दावा किया कि राहुल के खिलाफ केस राजनीतिक कारणों से नेता को निशाना बनाने के लिए है और पूर्व सांसद ने कुछ भी गलत नहीं कहा है. उन्होंने कहा कि 'राहुल गांधी जनता की अदालत में बोलते हैं और कुछ भी गलत नहीं कहा. यह मामला उन्हें निशाना बनाने, उन्हें ट्रोल करने और उन्हें संसद में बोलने से रोकने के लिए है. इससे पता चलता है कि राहुल सरकार और पीएम मोदी से जो सवाल पूछ रहे हैं, उससे बीजेपी चिंतित है.'
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि 'सत्र न्यायालय का आदेश प्रधानमंत्री के उच्च कार्यालय से प्रभावित प्रतीत होता है, जो इस मामले में एक याचिकाकर्ता भी नहीं हैं.' सिंघवी ने कहा कि 'सत्र अदालत के आदेश में कहा गया है कि अपीलकर्ता ने पीएम मोदी और समुदाय के 30 करोड़ सदस्यों को बदनाम किया लेकिन पीएम शिकायतकर्ता तक नहीं हैं.'
सुप्रीम कोर्ट के वकील ने यह भी कहा कि राहुल द्वारा उठाए गए अधिकार क्षेत्र के मुद्दे को सत्र अदालत ने तवज्जो नहीं दी. भाषण कोलार में दिया था लेकिन केस सूरत में फाइल किया गया. क्षेत्राधिकार पर नियमों के अनुसार एक मजिस्ट्रेट द्वारा प्रारंभिक जांच की जानी चाहिए थी, लेकिन सत्र न्यायालय के आदेश में उस मुद्दे को संबोधित नहीं किया गया. कांग्रेस नेता ने कहा कि मानहानि का मामला था जो 'ओबीसी के मुद्दे पर गुमराह' है.
सिंघवी ने कहा कि 'एक सामान्य मानहानि के मामले में निचली अदालत ने अभियुक्त के राजनीतिक कद को ध्यान में रखते हुए कुछ महीने की जेल की सजा दी होगी, न कि दो साल की जेल की सजा, जो लोकसभा से उसकी अयोग्यता का कारण बने.'
उन्होंने कहा कि 'भाजपा के हित में राहुल के भाषण को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया. जिस तेजी से बीजेपी इस मामले में आगे बढ़ी है, वह राहुल के खिलाफ राजनीतिक दुश्मनी को दर्शाता है.'
सिंघवी ने कहा कि सत्र अदालत ने राहुल की स्थगन की अपील को खारिज करते हुए 'दोषसिद्धि के परिणामों' का उल्लेख किया, लेकिन परिणाम स्पष्ट हैं कि कांग्रेस नेता ने लोकसभा कार्य दिवसों को मिस किया है, जिसे अब वापस नहीं लाया जा सकता है. राहुल को 24 मार्च को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. सिंघवी ने कहा कि 'अपूरणीय क्षति हुई है. उनके लोकसभा कार्यकाल का नुकसान हुआ है. इसे अभी वापस नहीं लाया जा सकता है.'
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