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Railway Land Encroachment: 8 हफ्ते और नहीं टूटेंगे वनभूलपुरा के 4000 से ज्यादा घर, SC में अब 2 मई को सुनवाई

वनभूलपुर रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खबर है. सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले पर सुनवाई हुई. SC ने लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था पर काम करने और रेलवे की आवश्यकता पर विचार करने के लिए उन्हें 8 सप्ताह का समय देने के अधिकारियों के अनुरोध को स्वीकार कर लिया. अब 2 मई को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी है.

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Published : Feb 7, 2023, 2:04 PM IST

नई दिल्ली/नैनीताल: नैनीताल जिले में हल्द्वानी के वनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी की तारीख दी थी. आज सुनवाई शुरू होते ही एएसजी एश्वर्या भाटी ने अपनी बात रखी. उत्तराखंड के लिए हल्द्वानी वनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण मामला एएसजी एश्वर्या भाटी के अनुरोध पर अगली सुनवाई तक स्थगित किया गया. एश्वर्या भाटी ने समाधान निकालने के लिए 8 सप्ताह का समय देने का सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट ने उनके अनुरोध को मान लिया.

सुप्रीम कोर्ट में आज क्या हुआ: उत्तराखंड के लिए एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने और समय देने का सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया. एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि समाधान निकालने के लिए सरकार को और समय चाहिए. एएसजी ने कहा कि हमें 8 सप्ताह का और समय दे दीजिए.

सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंसाल्विस ने क्या कहा: सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंसाल्विस ने का कहना था कि यह कृत्रिम रूप से बनाई गई समस्या है. इसे तुरंत हल किया जा सकता है. इस पर जस्टिस कौल ने उनसे एएसजी से बात करने और मंथन करने को कहा. एसएजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि पत्र (स्थगन के लिए) चार सप्ताह के लिए है. लेकिन कृपया हमें एक व्यावहारिक समाधान खोजने के लिए आठ सप्ताह दें. इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि यदि यह पहले हो सकता है तो. इस पर अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि टाइटल से पता चलता है कि जमीन हमारी है.
पढ़ें-Haldwani Stone Pelting: अतिक्रमण हटाने गई टीम पर हमला करने वाले 200 लोगों पर मुकदमा दर्ज

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा: SC ने कहा कि अगर किसी के पास टाइटल है, अगर कोई अतिक्रमण कर रहा है, तो उसे एक व्यावहारिक समाधान की आवश्यकता होगी.इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में रोचक समय भी आया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा आप एक वरिष्ठ हैं, उन्हें एक कप कॉफी के लिए आमंत्रित करें और विचार करें. विचार-मंथन करने में कोई बुराई नहीं है. एएसजी ने इस पर खुशी जताई. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कौल ने कहा जो भी पहल करना चाहता है, सैंडविच मंगवाए. इसके बाद जज साहब ने मामले को मई में सूची करने का आदेश सुना दिया.

नैनीताल हाईकोर्ट ने क्या कहा था: हल्द्वानी के वनभूलपुरा भूमि अतिक्रमण मामले पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही ये केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. नैनीताल हाईकोर्ट ने वनभूलपुरा में रेलवे भूमि पर से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे. अतिक्रमण वाली जमीन पर 4365 परिवारों ने अपने घर बनाए हुए हैं. अतिक्रमण हटाने पर इन घरों को तोड़ना होता.

हाईकोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला: नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के फैसले के बात मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में उत्तराखंड सरकार से पूछा था कि लोग 50 सालों से वनभूलपुरा में रह रहे हैं. उनके पुनर्वास के लिए कोई योजना होनी चाहिए. हमें कोई प्रैक्टिकल समाधान निकालना होगा. समाधान का ये तरीका नहीं है. सुप्रीम ने कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 7 फरवरी 2023 की तारीख दी थी. तब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वनभूलपुरा के लोगों ने राहत की सांस ली थी.

संबंधित विभागों ने किया सर्वे: सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण की गई जमीन पर अपना दावा जताने वालों से डिटेल्ड सर्वे रिपोर्ट मांगी थी. इसके बाद उत्तराखंड राजस्व विभाग, रेलवे, नगर निगम और वन विभाग की संयुक्त टीम ने दोबारा विवादित भूमि का सर्वे किया है. इसी सर्वे रिपोर्ट को आज सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया.

नई दिल्ली/नैनीताल: नैनीताल जिले में हल्द्वानी के वनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी की तारीख दी थी. आज सुनवाई शुरू होते ही एएसजी एश्वर्या भाटी ने अपनी बात रखी. उत्तराखंड के लिए हल्द्वानी वनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण मामला एएसजी एश्वर्या भाटी के अनुरोध पर अगली सुनवाई तक स्थगित किया गया. एश्वर्या भाटी ने समाधान निकालने के लिए 8 सप्ताह का समय देने का सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट ने उनके अनुरोध को मान लिया.

सुप्रीम कोर्ट में आज क्या हुआ: उत्तराखंड के लिए एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने और समय देने का सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया. एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि समाधान निकालने के लिए सरकार को और समय चाहिए. एएसजी ने कहा कि हमें 8 सप्ताह का और समय दे दीजिए.

सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंसाल्विस ने क्या कहा: सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंसाल्विस ने का कहना था कि यह कृत्रिम रूप से बनाई गई समस्या है. इसे तुरंत हल किया जा सकता है. इस पर जस्टिस कौल ने उनसे एएसजी से बात करने और मंथन करने को कहा. एसएजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि पत्र (स्थगन के लिए) चार सप्ताह के लिए है. लेकिन कृपया हमें एक व्यावहारिक समाधान खोजने के लिए आठ सप्ताह दें. इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि यदि यह पहले हो सकता है तो. इस पर अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि टाइटल से पता चलता है कि जमीन हमारी है.
पढ़ें-Haldwani Stone Pelting: अतिक्रमण हटाने गई टीम पर हमला करने वाले 200 लोगों पर मुकदमा दर्ज

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा: SC ने कहा कि अगर किसी के पास टाइटल है, अगर कोई अतिक्रमण कर रहा है, तो उसे एक व्यावहारिक समाधान की आवश्यकता होगी.इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में रोचक समय भी आया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा आप एक वरिष्ठ हैं, उन्हें एक कप कॉफी के लिए आमंत्रित करें और विचार करें. विचार-मंथन करने में कोई बुराई नहीं है. एएसजी ने इस पर खुशी जताई. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कौल ने कहा जो भी पहल करना चाहता है, सैंडविच मंगवाए. इसके बाद जज साहब ने मामले को मई में सूची करने का आदेश सुना दिया.

नैनीताल हाईकोर्ट ने क्या कहा था: हल्द्वानी के वनभूलपुरा भूमि अतिक्रमण मामले पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही ये केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. नैनीताल हाईकोर्ट ने वनभूलपुरा में रेलवे भूमि पर से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे. अतिक्रमण वाली जमीन पर 4365 परिवारों ने अपने घर बनाए हुए हैं. अतिक्रमण हटाने पर इन घरों को तोड़ना होता.

हाईकोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला: नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के फैसले के बात मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में उत्तराखंड सरकार से पूछा था कि लोग 50 सालों से वनभूलपुरा में रह रहे हैं. उनके पुनर्वास के लिए कोई योजना होनी चाहिए. हमें कोई प्रैक्टिकल समाधान निकालना होगा. समाधान का ये तरीका नहीं है. सुप्रीम ने कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 7 फरवरी 2023 की तारीख दी थी. तब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वनभूलपुरा के लोगों ने राहत की सांस ली थी.

संबंधित विभागों ने किया सर्वे: सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण की गई जमीन पर अपना दावा जताने वालों से डिटेल्ड सर्वे रिपोर्ट मांगी थी. इसके बाद उत्तराखंड राजस्व विभाग, रेलवे, नगर निगम और वन विभाग की संयुक्त टीम ने दोबारा विवादित भूमि का सर्वे किया है. इसी सर्वे रिपोर्ट को आज सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया.

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