ETV Bharat / bharat

मुसलमानों में बहुविवाह, निकाह-हलाला प्रथा पर सुनवाई के लिए नई पीठ का गठन करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि मुसलमानों में बहुविवाह, निकाह-हलाला प्रथा पर सुनवाई के लिए 'सही समय पर' पांच न्यायाधीशों की नई संविधान पीठ का गठन करेंगे.

author img

By

Published : Mar 23, 2023, 1:35 PM IST

supreme court
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह मुसलमानों में बहुविवाह और 'निकाह-हलाला' की प्रथा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की नई संविधान पीठ का गठन 'सही समय पर' करेगा. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ से वकील अश्विनी उपाध्याय ने मामले पर नई संविधान पीठ के गठन का अनुरोध किया है.

अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया कि भारतीय दंड संहिता की धारा-494 बहुविवाह, हलाला आदि की अनुमति देती है और इसे खत्म किए जाने की जरूरत है. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'मैं इस पर गौर करूंगा, सही समय पर मैं संविधान पीठ का गठन करूंगा.'

पिछली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गत 30 अगस्त 2022 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) को जनहित याचिकाओं में पक्षकार बनाया था और उनसे जवाब मांगा था. तत्कालीन संविधान पीठ की अध्यक्षता न्यायमूर्ति बनर्जी कर रही थीं और न्यायमूर्ति गुप्ता, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया इसमें शामिल थे.

हालांकि, न्यायमूर्ति बनर्जी और न्यायमूर्ति गुप्ता पिछले साल क्रमशः 23 सितंबर और छह अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो गए, जिससे बहुविवाह और 'निकाह हलाला' की प्रथाओं के खिलाफ आठ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के पुनर्गठन की आवश्यकता पड़ी.

ये भी पढ़ें- Rahul Gandhi defamation Case : मानहानि मामले में राहुल को दो साल की सजा, जमानत पर रिहा

उपाध्याय ने अपनी जनहित याचिका में बहुविवाह और 'निकाह हलाला' को असंवैधानिक और अवैध घोषित करने का निर्देश देने का आग्रह किया है. शीर्ष अदालत ने जुलाई 2018 में उनकी याचिका पर विचार किया था और इस मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया था, जो पहले से ही ऐसी ही याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी.
(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह मुसलमानों में बहुविवाह और 'निकाह-हलाला' की प्रथा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की नई संविधान पीठ का गठन 'सही समय पर' करेगा. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ से वकील अश्विनी उपाध्याय ने मामले पर नई संविधान पीठ के गठन का अनुरोध किया है.

अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया कि भारतीय दंड संहिता की धारा-494 बहुविवाह, हलाला आदि की अनुमति देती है और इसे खत्म किए जाने की जरूरत है. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'मैं इस पर गौर करूंगा, सही समय पर मैं संविधान पीठ का गठन करूंगा.'

पिछली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने गत 30 अगस्त 2022 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) को जनहित याचिकाओं में पक्षकार बनाया था और उनसे जवाब मांगा था. तत्कालीन संविधान पीठ की अध्यक्षता न्यायमूर्ति बनर्जी कर रही थीं और न्यायमूर्ति गुप्ता, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया इसमें शामिल थे.

हालांकि, न्यायमूर्ति बनर्जी और न्यायमूर्ति गुप्ता पिछले साल क्रमशः 23 सितंबर और छह अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो गए, जिससे बहुविवाह और 'निकाह हलाला' की प्रथाओं के खिलाफ आठ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के पुनर्गठन की आवश्यकता पड़ी.

ये भी पढ़ें- Rahul Gandhi defamation Case : मानहानि मामले में राहुल को दो साल की सजा, जमानत पर रिहा

उपाध्याय ने अपनी जनहित याचिका में बहुविवाह और 'निकाह हलाला' को असंवैधानिक और अवैध घोषित करने का निर्देश देने का आग्रह किया है. शीर्ष अदालत ने जुलाई 2018 में उनकी याचिका पर विचार किया था और इस मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया था, जो पहले से ही ऐसी ही याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी.
(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.