नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध (mullaperiyar dam) से जुड़ी याचिकाओं पर 15 दिसंबर को सुनवाई करेगा.
केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर 1895 में निर्मित इस बांध के बारे में मुद्दों को उठाने वाली याचिकाएं शुक्रवार को न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थीं.
मामले में पेश हुए वकीलों में से एक ने पीठ को बताया कि कुछ नए आवेदन दायर किए गए हैं और मामले की सुनवाई अगले मंगलवार या बुधवार को हो सकती है.
पीठ ने मामले को 15 दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि पक्ष नए आवेदनों पर जवाब दाखिल कर सकते हैं.
केरल सरकार ने उच्चतम न्यायालय से हाल में अनुरोध किया था कि वह बांध से भोर पहर बड़ी मात्रा में पानी नहीं छोड़ने का तमिलनाडु सरकार को निर्देश दे क्योंकि ऐसा करने से बांध के निचले क्षेत्रों (डाउनस्ट्रीम) में रहने वाले लोगों को बहुत नुकसान होता है.
अधिवक्ता जी. प्रकाश के माध्यम से दायर एक आवेदन में केरल सरकार ने तमिलनाडु सरकार को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया था कि वह पर्याप्त समय दिए बिना तड़के भारी मात्रा में पानी छोड़ने के बजाय दिनभर बांध से पानी छोड़कर जल स्तर को नियंत्रित करे.
आवेदन में कहा गया, पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से बिना किसी सूचना के भोर पहर बड़ी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण मुल्लापेरियार बांध के निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और उनकी संपत्तियों को बहुत नुकसान पहुंचा है.
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आवेदन में कहा गया कि शीर्ष अदालत ने 28 अक्टूबर को आदेश दिया था कि फिलहाल विशेषज्ञ समिति द्वारा अधिसूचित जल स्तर का सभी पक्ष पालन करेंगे.
तमिलनाडु सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा था कि मुल्लापेरियार बांध को बंद करने के लिए केरल सरकार का बार-बार किये जाने वाला दावा पूरी तरह से अस्वीकार्य है क्योंकि बांध को जलविज्ञान (हाइड्रोलॉजिकल), संरचनात्मक और भूकंपीय रूप से सुरक्षित पाया गया है.
मुल्लापेरियार बांध मामले पर केरल सरकार के एक हलफनामे के जवाब में, तमिलनाडु राज्य ने उच्चतम न्यायालय को बताया था कि बांध को जल विज्ञान संबंधी नजरिये, संरचनात्मक और भूकंपीय रूप से सुरक्षित पाया गया है.
(पीटीआई-भाषा)