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उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के सांसद का चुनाव रद्द करने के कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

कर्नाटक के हासन से जद-एस सांसद प्रज्वल रेवन्ना का चुनाव रद्द करने की घोषणा कर्नाटक उच्च न्यायालय ने की थी. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी.

Supreme Court
उच्चतम न्यायालय
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 18, 2023, 9:08 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के 1 सितंबर के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें हासन से जद-एस सांसद प्रज्वल रेवन्ना का चुनाव रद्द घोषित कर दिया गया था. प्रज्वल पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा के पोते हैं.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि प्रज्वल अपना वोट डालने और एक सांसद के रूप में कोई भत्ता प्राप्त करने के हकदार नहीं होंगे, लेकिन वह संसद की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और केके वेणुगोपाल पेश हुए.

शीर्ष अदालत ने प्रज्वल के वकील की उस याचिका को भी स्वीकार कर लिया कि वह अगले साल आगामी संसद चुनाव लड़ने के हकदार होंगे. अपने चुनावी हलफनामे में अपनी संपत्तियों सहित पूर्ण अपेक्षित विवरण का खुलासा नहीं करने के लिए उच्च न्यायालय ने प्रज्वल के 2019 के चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया था. उच्च न्यायालय का फैसला तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार और अब जद-एस विधायक ए मंजू और एक अन्य व्यक्ति द्वारा दायर चुनाव याचिकाओं पर आया था.

23 मई, 2019 को 6,76,606 वोट हासिल कर प्रज्वल को विजेता घोषित किया गया. प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वाली मंजू 5,35,282 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं. मंजू, जिन्होंने प्रज्वल के खिलाफ भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन असफल रहीं, उन्होंने अरकलगुड निर्वाचन क्षेत्र से जेडीएस उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के 1 सितंबर के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें हासन से जद-एस सांसद प्रज्वल रेवन्ना का चुनाव रद्द घोषित कर दिया गया था. प्रज्वल पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा के पोते हैं.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि प्रज्वल अपना वोट डालने और एक सांसद के रूप में कोई भत्ता प्राप्त करने के हकदार नहीं होंगे, लेकिन वह संसद की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और केके वेणुगोपाल पेश हुए.

शीर्ष अदालत ने प्रज्वल के वकील की उस याचिका को भी स्वीकार कर लिया कि वह अगले साल आगामी संसद चुनाव लड़ने के हकदार होंगे. अपने चुनावी हलफनामे में अपनी संपत्तियों सहित पूर्ण अपेक्षित विवरण का खुलासा नहीं करने के लिए उच्च न्यायालय ने प्रज्वल के 2019 के चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया था. उच्च न्यायालय का फैसला तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार और अब जद-एस विधायक ए मंजू और एक अन्य व्यक्ति द्वारा दायर चुनाव याचिकाओं पर आया था.

23 मई, 2019 को 6,76,606 वोट हासिल कर प्रज्वल को विजेता घोषित किया गया. प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वाली मंजू 5,35,282 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं. मंजू, जिन्होंने प्रज्वल के खिलाफ भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन असफल रहीं, उन्होंने अरकलगुड निर्वाचन क्षेत्र से जेडीएस उम्मीदवार के रूप में कर्नाटक विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

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