नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी है. किसानों के साथ बातचीत करने के लिए कोर्ट ने चार सदस्यीय एक समिति गठित की है. इस समिति में अर्थशास्त्री के अलावा किसान यूनियन नेता और इंटरनेशनल पॉलिसी हेड भी शामिल हैं.
- भूपिंदर सिंह मान, अध्यक्ष बीकेयू
- डॉ प्रमोद कुमार जोशी, इंटरनेशनल पॉलिसी हेड
- अशोक गुलाटी, कृषि अर्थशास्त्री
- अनिल घनवंत, शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि कोई ताकत उसे नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती, तथा उसे समस्या का समाधान करने के लिए कानून को निलंबित करने का अधिकार है.
कोर्ट ने किसानों के प्रदर्शन पर कहा, हम जनता के जीवन और संपत्ति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं.
न्यायालय ने साथ ही किसान संगठनों से सहयोग मांगते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर 'जो लोग सही में समाधान चाहते हैं, वे समिति के पास जाएंगे'.
कोर्ट ने किसान संगठनों से कहा, 'यह राजनीति नहीं है. राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है और आपको सहयोग करना ही होगा.'
एपी सिंह का बयान
सुप्रीम कोर्ट में किसान यूनियनों में से एक यूनियन की ओर से पेश हुए वकील एपी सिंह ने कहा कि उनके मुवक्किल इस बात पर सहमत हैं कि कोई भी बुजुर्ग, महिला या बच्चे विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं लेंगे. किसानों के दिल्ली मार्च से पहले 26 जनवरी को दिल्ली में हिंसा भड़कने की आशंका के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों के लिए भोजन उगाने वाले और अलग-अलग कारणों से आत्महत्या करने वाले लोग कभी भी हिंसा का हिस्सा नहीं हो सकते.
प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुये यहां तक संकेत दिया था कि अगर सरकार इन कानूनों का अमल स्थगित नहीं करती है तो वह उन पर रोक लगा सकती है.
न्यायालय ने कहा कि कोई ताकत हमें नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती तथा हमें समस्या का समाधान करने के लिए कानून को निलंबित करने का अधिकार है.