ETV Bharat / bharat

गुजारा भत्ता और तलाक के मामले 'बड़ी सावधानी के साथ' देखें : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुजारा भत्ता और तलाक के मामले 'बड़ी सावधानी के साथ' देखने के लिए नोटिस जारी किया है. शीर्ष कोर्ट ने ये नोटिस एक याचिका पर जारी किया, जिसमें ऐसे मामले धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान का भेदभाव किए बिना देखने की मांग की गई है.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट
author img

By

Published : Dec 16, 2020, 5:15 PM IST

नई दिल्ली : मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने गुजारा भत्ता और तलाक के मामलों को लेकर केंद्न को नोटिस जारी किया है कि ऐसे मामले बड़ी सावधानी के साथ देखे जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने ये नोटिस भाजपा सदस्य और अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय की याचिका पर जारी किया.

हालांकि साथ ही सीजेआई ने सवाल किया कि क्या याचिका के माध्यम से वे पर्नसल लॉ को खत्म करना चाहते हैं, क्योंकि इसके बिना भेदभाव को हटाया नहीं जा सकता. उन्होंने सवाल किया कि कैसे हम पर्नसल लॉ में दखल दे सकते हैं.

तलाक के मामलों में हो एक समान राहत
याचिकाकर्ता के वकील ने ट्रिपल तलाक मामले का उल्लेख किया, जिस पर सीजेआई ने कहा कि वह आम बात नहीं थी और संसद ने इस पर कानून पारित किया था. सायराबानो केस का भी जिक्र हुआ, जिसमें अनुच्छेद 146 के तहत कहा था कि कानून पारित होने तक दिशा-निर्देश मौजूद रहेंगे.

महिलाओं की याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता, मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि हम एक समान राहत चाहते हैं, अगर हम मुस्लिम कानून के कुछ प्रावधानों को देखें, तो रखरखाव केवल बिदअत की अवधि के लिए ही हो सकता है. इस पर सीजेआई ने कहा, 'अलग-अलग धर्म महिलाओं के साथ अलग तरह से व्यवहार करते हैं. याचिकाकर्ता को हिंदू महिला और मुस्लिम महिला की परिस्थितियों की तुलना के औचित्य को साबित करना होगा.'

पढ़ें- बाल संरक्षण केंद्रों में आनलाइन शिक्षा के साधन उपलब्ध कराएं राज्य : सुप्रीम कोर्ट

धर्मों के आधार पर अलग व्यवहार क्यों?
मीनाक्षी अरोड़ा ने पूछा कि अलग अलग धर्मों में तलाक के बाद महिलाओं के साथ अलग अलग व्यवहार क्यों किया जाता है. उन्होंने तर्क दिया कि धार्मिक व्यवहार एक चीज है लेकिन मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए.

सीजेआई ने कहा कि वह याचिका पर सुनवाई की मंजूरी दे सकते हैं, लेकिन तात्कालिक समस्या जो वे देखते हैं कि इसमें हिंदू और मुस्लिम को क्यों लाया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता के पक्ष में उन्होंने कैथोलिकों में तलाक के सीमित आधार का हवाला दिया कि अनुच्छेद 14 और 15 के तहत उन्हें कैसे बढ़ाया गया. कोर्ट छुट्टियों के बाद मामले की सुनवाई करेगा.

नई दिल्ली : मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने गुजारा भत्ता और तलाक के मामलों को लेकर केंद्न को नोटिस जारी किया है कि ऐसे मामले बड़ी सावधानी के साथ देखे जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने ये नोटिस भाजपा सदस्य और अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय की याचिका पर जारी किया.

हालांकि साथ ही सीजेआई ने सवाल किया कि क्या याचिका के माध्यम से वे पर्नसल लॉ को खत्म करना चाहते हैं, क्योंकि इसके बिना भेदभाव को हटाया नहीं जा सकता. उन्होंने सवाल किया कि कैसे हम पर्नसल लॉ में दखल दे सकते हैं.

तलाक के मामलों में हो एक समान राहत
याचिकाकर्ता के वकील ने ट्रिपल तलाक मामले का उल्लेख किया, जिस पर सीजेआई ने कहा कि वह आम बात नहीं थी और संसद ने इस पर कानून पारित किया था. सायराबानो केस का भी जिक्र हुआ, जिसमें अनुच्छेद 146 के तहत कहा था कि कानून पारित होने तक दिशा-निर्देश मौजूद रहेंगे.

महिलाओं की याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता, मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि हम एक समान राहत चाहते हैं, अगर हम मुस्लिम कानून के कुछ प्रावधानों को देखें, तो रखरखाव केवल बिदअत की अवधि के लिए ही हो सकता है. इस पर सीजेआई ने कहा, 'अलग-अलग धर्म महिलाओं के साथ अलग तरह से व्यवहार करते हैं. याचिकाकर्ता को हिंदू महिला और मुस्लिम महिला की परिस्थितियों की तुलना के औचित्य को साबित करना होगा.'

पढ़ें- बाल संरक्षण केंद्रों में आनलाइन शिक्षा के साधन उपलब्ध कराएं राज्य : सुप्रीम कोर्ट

धर्मों के आधार पर अलग व्यवहार क्यों?
मीनाक्षी अरोड़ा ने पूछा कि अलग अलग धर्मों में तलाक के बाद महिलाओं के साथ अलग अलग व्यवहार क्यों किया जाता है. उन्होंने तर्क दिया कि धार्मिक व्यवहार एक चीज है लेकिन मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए.

सीजेआई ने कहा कि वह याचिका पर सुनवाई की मंजूरी दे सकते हैं, लेकिन तात्कालिक समस्या जो वे देखते हैं कि इसमें हिंदू और मुस्लिम को क्यों लाया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता के पक्ष में उन्होंने कैथोलिकों में तलाक के सीमित आधार का हवाला दिया कि अनुच्छेद 14 और 15 के तहत उन्हें कैसे बढ़ाया गया. कोर्ट छुट्टियों के बाद मामले की सुनवाई करेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.