नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को गुजरात से जवाब मांगा कि क्या उसने राज्य के अस्पतालों में आग की घटनाओं पर आयोग की रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष रखी या नहीं. कोर्ट ने राज्य में आग की घटनाओं को रोकने के लिए अपडेटेड कार्रवाई रिपोर्ट भी मांगी. न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ कोविड रोगियों के उचित उपचार और अस्पतालों में शवों के सम्मानजनक संचालन के संबंध में एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी.
अदालत सोमवार को गुजरात राज्य के मामले में सुनवाई कर रही थी, जहां अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं में कुछ मरीजों की जान चली गई और कुछ घायल हो गए थे. इससे पहले भी कोर्ट ने इस मामले में जवाब मांगा था. सोमवार को सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कोर्ट से कहा कि एक बार के लिए कुछ न कुछ कहें ताकि सुरक्षा उपायों के बारे में एक कड़ा संदेश अधिकारियों तक पहुंचे. उन्होंने कहा कि एक सरकार घटना के मामले में अधिकतम 5 लाख रुपये का मुआवजा देती है, जो कि जीवन के नुकसान, परिवार के सदस्यों द्वारा सहन किए गए आघात के लिए पर्याप्त नहीं है.
उन्होंने कहा कि सभी अवैध संरचनाओं के लिए नगरपालिका अधिकारी जिम्मेदार हैं और उनके खिलाफ कोई प्राथमिकी या आरोप नहीं है, भले ही यह गैर इरादतन हत्या के तहत आता हो. दवे ने कहा कि कोई भी पर्याप्त अस्पताल होने से इनकार नहीं कर सकता है लेकिन निवास और अस्पतालों के लिए क्षेत्रों का सीमांकन करना होगा.
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दवे ने कहा कि गुजरात के अस्पतालों और यहां तक कि पटाखों की दुकानें रिहायशी इलाकों में हैं. जे चंद्रचूड़ ने कहा कि हम इसे शुक्रवार को रखेंगे. उन्हें पहले आयोग की जांच की रिपोर्ट के बारे में बताएं और मामले को 7 दिसंबर के बाद सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया.