नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु में बिहार से आए प्रवासी कामगारों पर हमलों को लेकर फर्जी खबरें फैलाने के आरोप में एक समाचार पोर्टल के संपादक और मालिक के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में उन्हें संभावित दंडात्मक कार्रवाई से शुक्रवार को संरक्षण प्रदान किया.
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने तमिलनाडु में दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और पोर्टल 'ऑपइंडिया' के संपादक एवं मालिक से राहत के लिए मद्रास उच्च न्यायालय जाने को कहा.
शीर्ष अदालत ने समाचार पोर्टल की प्रधान संपादक नूपुर जे. शर्मा और मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल रौशन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी की इन दलीलों पर गौर किया कि इस समाचार को पहले ही वापस ले लिया गया है और अब उन दोनों की गिरफ्तारी की आशंका है. पीठ ने कहा, 'हम निर्देश देते हैं कि चार सप्ताह के लिए उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए.'
उसने कहा कि इस बीच प्राथमिकी खारिज करने के अनुरोध वाली याचिका संबंधित अदालत के समक्ष दायर की जा सकती है. पीठ ने कहा, 'जेठमलानी, हम संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दर्ज प्राथमिकी को खारिज कैसे कर सकते हैं? कृपया, आप मद्रास उच्च न्यायालय जाइए.' राज्य में बिहार से आए प्रवासी कामगारों संबंधी फर्जी समाचार प्रसारित करने के आरोप में तमिलनाडु में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
(पीटीआई-भाषा)