ETV Bharat / bharat

आंध्र-तेलंगाना के बीच बिजली कंपनियों के कार्मिकों की बंटवारा रिपोर्ट सही : सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच बिजली कपनियों और निगमों के कर्मचारियों के बंटवारे को लेकर तेलंगाना की आपत्तियां खारिज कर दीं. कोर्ट ने कहा कि कानून के तहत ये कर्मचारी उचित मंच पर दावा कर सकते हैं.

उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालय
author img

By

Published : Dec 7, 2020, 10:35 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच बिजली कपनियों और निगमों के कर्मचारियों के बंटवारे के बारे में शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीएम धर्माधिकारी की एक सदस्यीय समिति की अंतिम रिपोर्ट को सोमवार को सही ठहराया और इसे लेकर तेलंगाना की आपत्तियां अस्वीकार कर दीं.

शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे 20 जून, 2020 की रिपोर्ट पर आपत्तियों में कोई दम नजर नहीं आया. कोर्ट ने कहा, दोनों ही राज्यों की बिजली कंपनियों तथा सभी संबंधित प्राधिकारियों के लिये समिति की रिपोर्ट पर अमल करना उनका दायित्व है.

कोर्ट ने बनाई थी एक सदस्यीय समिति

शीर्ष अदालत ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन कानून, 2014 के तहत दो राज्यों के बंटवारे के बाद से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच विद्युत सुविधाओं के कर्मचारियों के आबंटन को लेकर चल रहे विवाद का निबटारा करने के लिये 28 नवंबर, 2018 को इस समिति का गठन किया था.

पढ़ें- कृष्णा-गोदावरी विवाद : सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस लेने को तैयार तेलंगाना

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि सारे पहलुओं पर विचार के बाद उनका यह मत है कि एक सदस्यीय समिति ने दोनों पक्षों द्वारा उसके समक्ष रखे गये सारे तथ्यों, कर्मचारियों और कर्मचारी संगठनों के प्रतिवेदनों और आपत्तियों पर विचार किया था.

पीठ ने कहा कि 26 दिसंबर, 2019 को अंतिम रिपोर्ट पेश करने बाद शुरू हुई प्रक्रिया के दौरान 11 मार्च, 2020 को एक पूरक रिपोर्ट और फिर 20 जून, 2020 को समाप्ति रिपोर्ट पेश की गई थी.

उचित मंच पर दावा कर सकते हैं कर्मचारी

पीठ ने तेलंगाना राज्य बिजली सुविधा का आवेदन खारिज करते हुए कहा कि सुविधाओं और कर्मचारियों के बारे में संलग्न अंतिम सूची एकदम स्पष्ट है. पीठ ने विभिन्न आवेदनों में वेतन और भत्तों को लेकर किए गए दावों के बारे में कहा कि इन कार्यवाही में उस पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है और ये कर्मचारी कानून के अनुसार उचित मंच पर अपने दावे कर सकते हैं.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच बिजली कपनियों और निगमों के कर्मचारियों के बंटवारे के बारे में शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीएम धर्माधिकारी की एक सदस्यीय समिति की अंतिम रिपोर्ट को सोमवार को सही ठहराया और इसे लेकर तेलंगाना की आपत्तियां अस्वीकार कर दीं.

शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे 20 जून, 2020 की रिपोर्ट पर आपत्तियों में कोई दम नजर नहीं आया. कोर्ट ने कहा, दोनों ही राज्यों की बिजली कंपनियों तथा सभी संबंधित प्राधिकारियों के लिये समिति की रिपोर्ट पर अमल करना उनका दायित्व है.

कोर्ट ने बनाई थी एक सदस्यीय समिति

शीर्ष अदालत ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन कानून, 2014 के तहत दो राज्यों के बंटवारे के बाद से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच विद्युत सुविधाओं के कर्मचारियों के आबंटन को लेकर चल रहे विवाद का निबटारा करने के लिये 28 नवंबर, 2018 को इस समिति का गठन किया था.

पढ़ें- कृष्णा-गोदावरी विवाद : सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस लेने को तैयार तेलंगाना

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि सारे पहलुओं पर विचार के बाद उनका यह मत है कि एक सदस्यीय समिति ने दोनों पक्षों द्वारा उसके समक्ष रखे गये सारे तथ्यों, कर्मचारियों और कर्मचारी संगठनों के प्रतिवेदनों और आपत्तियों पर विचार किया था.

पीठ ने कहा कि 26 दिसंबर, 2019 को अंतिम रिपोर्ट पेश करने बाद शुरू हुई प्रक्रिया के दौरान 11 मार्च, 2020 को एक पूरक रिपोर्ट और फिर 20 जून, 2020 को समाप्ति रिपोर्ट पेश की गई थी.

उचित मंच पर दावा कर सकते हैं कर्मचारी

पीठ ने तेलंगाना राज्य बिजली सुविधा का आवेदन खारिज करते हुए कहा कि सुविधाओं और कर्मचारियों के बारे में संलग्न अंतिम सूची एकदम स्पष्ट है. पीठ ने विभिन्न आवेदनों में वेतन और भत्तों को लेकर किए गए दावों के बारे में कहा कि इन कार्यवाही में उस पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है और ये कर्मचारी कानून के अनुसार उचित मंच पर अपने दावे कर सकते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.