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जजों को लंबित मामलों पर साक्षात्कार देने का अधिकार नहीं : CJI

बीते साल कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने एक लंबित मामले को लेकर एक टीवी चैनल के साक्षात्कार में बयान दिया था. इसे लेकर अब भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने उसे लेकर टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उन्हें इसका अधिकार नहीं है.

Supreme Court News
सुप्रीम कोर्ट की न्यूज
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Published : Apr 24, 2023, 3:15 PM IST

Updated : Apr 24, 2023, 4:02 PM IST

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा एक टीवी चैनल को नौकरी के लिए स्कूल पर लंबित मामले पर एक साक्षात्कार देने और एक राजनीतिक व्यक्तित्व के खिलाफ बोलने को लेकर टिप्पणी की है. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीशों के पास लंबित मामलों पर समाचार चैनलों को साक्षात्कार देने का कोई अधिकार नहीं है. अगर यह सच है तो वह अब इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते.

उन्होंने आगे कहा कि यदि उन्होंने ऐसा कर लिया है तो वह अब इस मामले की सुनवाई में भाग नहीं ले सकते. हम जांच को हाथ नहीं लगाएंगे, लेकिन जब एक जज, जो टीवी डिबेट पर याचिकाकर्ता पर राय देता है....तो वो सुन नहीं पाता. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को तब एक नई बेंच का गठन करना होता है. लेकिन यह राजनीतिक शख्सियत का मामला है और जज ने मामले को जिस तरह से हैंडल किया, उस पर हमने विचार किया. यह तरीका नहीं हो सकता.

उन्होंने कहा कि अदालत जानना चाहती है कि क्या उन्होंने साक्षात्कार में भाग लिया है, यह टीवी पर कही गई बात है और इसका गलत अर्थ नहीं लगाया जा सकता है, अगर अदालत में यह कुछ कहा गया होता तो हम इसमें नहीं पड़ते लेकिन यह टीवी साक्षात्कार है. न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने भी कलकत्ता उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय से व्यक्तिगत रूप से सत्यापित करने का निर्देश दिया है कि क्या उनका श्री सुमन डे द्वारा साक्षात्कार लिया गया था और शुक्रवार को अदालत के समक्ष एक हलफनामा दायर किया गया था.

कोर्ट शुक्रवार को फिर मामले की सुनवाई करेगा. अदालत कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी के खिलाफ नौकरी के मामले में स्कूल में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच की मांग की गई थी. अदालत ने इससे पहले 13 अप्रैल के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें सीबीआई और ईडी को सरकारी स्कूलों में शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितताओं में अभिषेक बनर्जी की भूमिका की जांच करने का निर्देश दिया गया था.

बनर्जी ने आरोप लगाया था कि केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों पर उन्हें आरोपी बनाने के लिए दबाव डाला जा रहा था. एक अन्य आरोपी कुंतल घोष ने भी आरोप लगाया था कि उन पर बनर्जी का नाम लेने के लिए दबाव डाला जा रहा था. बनर्जी ने शीर्ष अदालत के समक्ष एक अपील दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उन पर निराधार आक्षेप लगाए थे और न्यायाधीश ने पिछले साल एक टीवी चैनल को दिए एक साक्षात्कार में उनके खिलाफ बयान भी दिए थे.

पढ़ें: अतीक, अशरफ की हत्या की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका पर 28 अप्रैल को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

यह भी आरोप लगाया कि सीबीआई और ईडी द्वारा उनके खिलाफ जांच का निर्देश देने वाला आदेश पक्षपातपूर्ण था. उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला था कि सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ भी बयान दिए गए थे. जब वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी द्वारा अपील का उल्लेख किया गया था, उसी दिन उस पर सुनवाई हुई थी और जब सिंघवी हाईकोर्ट के न्यायाधीश द्वारा दिए गए बयानों को पढ़ रहे थे, तो सुप्रीम कोर्ट ने उनसे सामग्री को जोर से नहीं पढ़ने को कहा था.

नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा एक टीवी चैनल को नौकरी के लिए स्कूल पर लंबित मामले पर एक साक्षात्कार देने और एक राजनीतिक व्यक्तित्व के खिलाफ बोलने को लेकर टिप्पणी की है. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीशों के पास लंबित मामलों पर समाचार चैनलों को साक्षात्कार देने का कोई अधिकार नहीं है. अगर यह सच है तो वह अब इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते.

उन्होंने आगे कहा कि यदि उन्होंने ऐसा कर लिया है तो वह अब इस मामले की सुनवाई में भाग नहीं ले सकते. हम जांच को हाथ नहीं लगाएंगे, लेकिन जब एक जज, जो टीवी डिबेट पर याचिकाकर्ता पर राय देता है....तो वो सुन नहीं पाता. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को तब एक नई बेंच का गठन करना होता है. लेकिन यह राजनीतिक शख्सियत का मामला है और जज ने मामले को जिस तरह से हैंडल किया, उस पर हमने विचार किया. यह तरीका नहीं हो सकता.

उन्होंने कहा कि अदालत जानना चाहती है कि क्या उन्होंने साक्षात्कार में भाग लिया है, यह टीवी पर कही गई बात है और इसका गलत अर्थ नहीं लगाया जा सकता है, अगर अदालत में यह कुछ कहा गया होता तो हम इसमें नहीं पड़ते लेकिन यह टीवी साक्षात्कार है. न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने भी कलकत्ता उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय से व्यक्तिगत रूप से सत्यापित करने का निर्देश दिया है कि क्या उनका श्री सुमन डे द्वारा साक्षात्कार लिया गया था और शुक्रवार को अदालत के समक्ष एक हलफनामा दायर किया गया था.

कोर्ट शुक्रवार को फिर मामले की सुनवाई करेगा. अदालत कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी के खिलाफ नौकरी के मामले में स्कूल में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच की मांग की गई थी. अदालत ने इससे पहले 13 अप्रैल के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें सीबीआई और ईडी को सरकारी स्कूलों में शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितताओं में अभिषेक बनर्जी की भूमिका की जांच करने का निर्देश दिया गया था.

बनर्जी ने आरोप लगाया था कि केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों पर उन्हें आरोपी बनाने के लिए दबाव डाला जा रहा था. एक अन्य आरोपी कुंतल घोष ने भी आरोप लगाया था कि उन पर बनर्जी का नाम लेने के लिए दबाव डाला जा रहा था. बनर्जी ने शीर्ष अदालत के समक्ष एक अपील दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उन पर निराधार आक्षेप लगाए थे और न्यायाधीश ने पिछले साल एक टीवी चैनल को दिए एक साक्षात्कार में उनके खिलाफ बयान भी दिए थे.

पढ़ें: अतीक, अशरफ की हत्या की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका पर 28 अप्रैल को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

यह भी आरोप लगाया कि सीबीआई और ईडी द्वारा उनके खिलाफ जांच का निर्देश देने वाला आदेश पक्षपातपूर्ण था. उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला था कि सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ भी बयान दिए गए थे. जब वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी द्वारा अपील का उल्लेख किया गया था, उसी दिन उस पर सुनवाई हुई थी और जब सिंघवी हाईकोर्ट के न्यायाधीश द्वारा दिए गए बयानों को पढ़ रहे थे, तो सुप्रीम कोर्ट ने उनसे सामग्री को जोर से नहीं पढ़ने को कहा था.

Last Updated : Apr 24, 2023, 4:02 PM IST
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