नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी को आय से अधिक संपत्ति मामले में दी गई जमानत रद्द करने की याचिका पर नोटिस जारी किया. अदालत ने मुकदमे के दौरान पेशी से उन्हें दी गई स्थायी छूट पर सवाल उठाने वाली याचिका पर भी उनसे प्रतिक्रिया मांगी.
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने वाईएसआर कांग्रेस सांसद रघु रामकृष्ण राजू द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर रेड्डी और सीबीआई से जवाब मांगा. वकील बालाजी श्रीनिवासन और रोहन दीवान की ओर से प्रस्तुत याचिकाकर्ता ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के 26 अगस्त, 2022 और 28 अक्टूबर, 2022 के आदेशों की वैधता को चुनौती दी.
उनकी याचिका में, अन्य आधारों के अलावा, यह तर्क दिया गया कि उच्च न्यायालय का आदेश आपराधिक मुकदमों में अभियुक्तों को छूट देने के सिद्धांतों के खिलाफ है. याचिका में उच्च न्यायालय के 28 अक्टूबर, 2022 के आदेश की वैधता को भी चुनौती दी गई है. जिसमें जमानत रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया गया था. यह तर्क देते हुए कि आदेश बिना इस बात को ध्यान में रखे यांत्रिक रूप से पारित किया गया था कि आरोपी ने आपराधिक मुकदमे में कभी उपस्थित नहीं होने और गवाहों को प्रलोभन और धमकी देकर अपनी जमानत शर्तों का उल्लंघन किया था.
अदालत ने मामले की जांच करने का फैसला करते हुए मामले की सुनवाई को हैदराबाद के बाहर, अधिमानतः दिल्ली में स्थानांतरित करने की मांग वाली लंबित याचिका के साथ वर्तमान याचिका को टैग करने का आदेश दिया. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि आंध्र प्रदेश के सीएम ने अवैध और अन्यायपूर्ण से 40,000 करोड़ रुपये की संपत्ति बनायी है.
सीएम जगन के ऊपर यह भी आरोप लगाया गया है कि संपत्ति बनाने के लिए उन्होंने राज्य मशीनरी का इस्तेमाल किया. और अब मामले को दबाने के लिए भी वह राज्य मिशनरी का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे सरकारी खजाने को काफी नुकसान हुआ है.
उनकी याचिका में आरोप लगाया गया है कि सीएम ने यह सुनिश्चित किया है कि उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे निष्क्रिय रहें और उनके खिलाफ कोई सार्थक कदम नहीं उठाया जाए. याचिका में कहा गया है कि चौंकाने वाली बात है कि राज्य मशीनरी अदालतों की प्रक्रियाओं के इस दुरुपयोग की मूक दर्शक बनी हुई है.