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SC on Sewer Death: सुप्रीम कोर्ट ने सीवर में मौत का मुआवजा किया 30 लाख, कहा- हाथ से मैला ढोने की प्रथा हो खत्म

हाथ से मैला उठाने की प्रथा पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है. इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने सरकारी अधिकारियों को यह निर्देश भी दिए कि सीवर सफाई के दौरान मरने वालों के परिजनों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिया. SC on Sewer Death, Sewer Death Compensation, Supreme Court on Sewer Death Compensation.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 20, 2023, 5:43 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सरकारी अधिकारियों को सीवर सफाई के दौरान मरने वालों के परिजनों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने हाथ से मैला उठाने की प्रथा पर गंभीर नाराजगी व्यक्त की, जो अभी भी जारी है.

पीठ ने निर्देश दिया कि सीवर की सफाई के दौरान मौत के मामले में मुआवजा 30 लाख रुपये होना चाहिए और जो लोग सीवर की सफाई के दौरान स्थायी विकलांगता का शिकार होते हैं, उन्हें न्यूनतम मुआवजे के रूप में 20 लाख रुपये का भुगतान किया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति भट ने कहा कि यदि सफाईकर्मी अन्य विकलांगता से ग्रस्त है तो अधिकारियों को 10 लाख रुपये तक का भुगतान करना होगा.

पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा पूरी तरह खत्म हो जाए और कई निर्देश जारी किए जाएं. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि सरकारी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के लिए समन्वय करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं न हों और उच्च न्यायालयों को सीवर में होने वाली मौतों से संबंधित मामलों की निगरानी करने से रोका न जाए.

यह फैसला डॉ. बलराम सिंह बनाम भारत संघ मामले में आया, जो हाथ से मैला ढोने की प्रथा के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका है. पीठ ने कहा कि लोग आबादी के इस बड़े हिस्से के ऋणी हैं, जो व्यवस्थित रूप से अमानवीय परिस्थितियों में फंसे हुए, अनदेखे, अनसुने और मूक बने हुए हैं.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सरकारी अधिकारियों को सीवर सफाई के दौरान मरने वालों के परिजनों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने हाथ से मैला उठाने की प्रथा पर गंभीर नाराजगी व्यक्त की, जो अभी भी जारी है.

पीठ ने निर्देश दिया कि सीवर की सफाई के दौरान मौत के मामले में मुआवजा 30 लाख रुपये होना चाहिए और जो लोग सीवर की सफाई के दौरान स्थायी विकलांगता का शिकार होते हैं, उन्हें न्यूनतम मुआवजे के रूप में 20 लाख रुपये का भुगतान किया जाना चाहिए. न्यायमूर्ति भट ने कहा कि यदि सफाईकर्मी अन्य विकलांगता से ग्रस्त है तो अधिकारियों को 10 लाख रुपये तक का भुगतान करना होगा.

पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा पूरी तरह खत्म हो जाए और कई निर्देश जारी किए जाएं. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि सरकारी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के लिए समन्वय करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं न हों और उच्च न्यायालयों को सीवर में होने वाली मौतों से संबंधित मामलों की निगरानी करने से रोका न जाए.

यह फैसला डॉ. बलराम सिंह बनाम भारत संघ मामले में आया, जो हाथ से मैला ढोने की प्रथा के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका है. पीठ ने कहा कि लोग आबादी के इस बड़े हिस्से के ऋणी हैं, जो व्यवस्थित रूप से अमानवीय परिस्थितियों में फंसे हुए, अनदेखे, अनसुने और मूक बने हुए हैं.

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