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दुष्कर्म मामले में बंद कमरे में सुनवाई की मांग वाली तरुण तेजपाल की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज - तहलका पत्रिका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तहलका पत्रिका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल द्वारा गोवा में बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया. इस याचिका में 2013 के यौन उत्पीड़न मामले में बंद कमरे में सुनवाई के लिए आवेदन किया गया था, जिसे खारिज कर दिया गया था.

Tarun Tejpal, former editor-in-chief of Tehelka magazine
तहलका पत्रिका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल
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Published : Nov 28, 2022, 5:14 PM IST

Updated : Nov 28, 2022, 7:27 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को पत्रकार तरुण तेजपाल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 2013 के बलात्कार के मामले में उन्हें बरी किए जाने के खिलाफ दायर अपील पर बंबई उच्च न्यायालय में बंद कमरे में सुनवाई का अनुरोध किया गया था. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने तेजपाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और अमित देसाई की इस दलील को स्वीकर नहीं किया कि पत्रकार की प्रतिष्ठा और निजता की सुररक्षा के लिए सुनवाई बंद कमरे में की जाए.

पीठ ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 327 का हवाला दिया, जिसका जिक्र तेजपाल के वकीलों ने किया था. पीठ ने कहा कि आमतौर पर किसी आपराधिक मामले में सुनवाई खुली होना चाहिए और सुनवाई अदालत के न्यायाधीश को यह सुनिश्चित करने के लिए बंद कमरे में कार्यवाही का आदेश देने का अधिकार है कि महिला 'निडर होकर' अपना बयान दे. पीठ ने कहा कि किसी आरोपी या पुरुष के लिए ऐसा नहीं किया जा सकता है.

पढ़ें: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में धर्मांतरण का अधिकार शामिल नहीं'

सिब्बल ने तेजपाल की ओर से कहा, 'मैं मामले में बरी हो चुका हूं. प्रथम दृष्टया मेरे खिलाफ कुछ भी नहीं है. अगर यह (अपील के खिलाफ गोवा सरकार की अपील पर सुनवाई) खुली होगी है तो 'मीडिया ट्रायल' होगा.' पीठ ने कहा कि 'कानून ऐसा नहीं कहता है. बंद कमरे में सुनवाई संवेदनशील गवाहों के लिए है.' पीठ ने, हालांकि, तेजपाल को उच्च न्यायालय के समक्ष अनुरोध करने की स्वतंत्रता दी, ताकि वर्चुअल सुनवाई के बजाय भौतिक रूप से सुनवाई की जा सके. उच्च न्यायालय बलात्कार मामले में उनके बरी होने के खिलाफ राज्य द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को पत्रकार तरुण तेजपाल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 2013 के बलात्कार के मामले में उन्हें बरी किए जाने के खिलाफ दायर अपील पर बंबई उच्च न्यायालय में बंद कमरे में सुनवाई का अनुरोध किया गया था. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने तेजपाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और अमित देसाई की इस दलील को स्वीकर नहीं किया कि पत्रकार की प्रतिष्ठा और निजता की सुररक्षा के लिए सुनवाई बंद कमरे में की जाए.

पीठ ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 327 का हवाला दिया, जिसका जिक्र तेजपाल के वकीलों ने किया था. पीठ ने कहा कि आमतौर पर किसी आपराधिक मामले में सुनवाई खुली होना चाहिए और सुनवाई अदालत के न्यायाधीश को यह सुनिश्चित करने के लिए बंद कमरे में कार्यवाही का आदेश देने का अधिकार है कि महिला 'निडर होकर' अपना बयान दे. पीठ ने कहा कि किसी आरोपी या पुरुष के लिए ऐसा नहीं किया जा सकता है.

पढ़ें: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में धर्मांतरण का अधिकार शामिल नहीं'

सिब्बल ने तेजपाल की ओर से कहा, 'मैं मामले में बरी हो चुका हूं. प्रथम दृष्टया मेरे खिलाफ कुछ भी नहीं है. अगर यह (अपील के खिलाफ गोवा सरकार की अपील पर सुनवाई) खुली होगी है तो 'मीडिया ट्रायल' होगा.' पीठ ने कहा कि 'कानून ऐसा नहीं कहता है. बंद कमरे में सुनवाई संवेदनशील गवाहों के लिए है.' पीठ ने, हालांकि, तेजपाल को उच्च न्यायालय के समक्ष अनुरोध करने की स्वतंत्रता दी, ताकि वर्चुअल सुनवाई के बजाय भौतिक रूप से सुनवाई की जा सके. उच्च न्यायालय बलात्कार मामले में उनके बरी होने के खिलाफ राज्य द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Nov 28, 2022, 7:27 PM IST
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