नई दिल्ली : पेगासस सॉफ्टवेयर से जुड़े मामले की निगरानी उच्चतम न्यायालय के तहत एक समिति (Committee Under the Supreme Court) कर रही है और जिसकी रिपोर्ट का इंतजार है. एक सरकारी सूत्र ने शनिवार को यह जानकारी दी. सूत्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरवी रवींद्रन की देखरेख में गठित जांच समिति ने दो जनवरी को समाचार पत्रों में एक विज्ञापन भी दिया था, जिसमें उन लोगों से फोन जमा करने का आह्वान किया गया था, जिनका दावा है कि उनके उपकरण पेगासस (Devices Were Infected By Pegasus) के जरिए हैक किए गए थे. सूत्रों ने कहा, 'मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष है. न्यायालय ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश रवींद्रन की देखरेख में एक समिति गठित की है. समिति की रिपोर्ट का इंतजार है.
अमेरिकी अखबार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' की खबर के अनुसार, 2017 में भारत और इजराइल के बीच हुए लगभग दो अरब डॉलर के अत्याधुनिक हथियारों एवं खुफिया उपकरणों के सौदे में पेगासस स्पाईवेयर तथा एक मिसाइल प्रणाली की खरीद मुख्य रूप से शामिल थी. 'न्यूयॉर्क टाइम्स' की खबर के बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर चौतरफा हमला किया. एक मीडिया रिपोर्ट के इस दावे कि भारत ने 2017 में एक रक्षा सौदे के हिस्से के रूप में इजराइल से पेगासस स्पाइवेयर खरीदा है, कांग्रेस ने सरकार पर संसद और उच्चतम न्यायालय को धोखा देने, लोकतंत्र का अपहरण करने और देशद्रोह में शामिल होने का आरोप लगाया.
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कांग्रेस अगले हफ्ते शुरू हो रहे आगामी बजट सत्र के दौरान इस मुद्दे को उठाएगी और संसद के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार की जवाबदेही तय करने की मांग करेगी. प्रमुख विपक्षी दल ने उच्चतम न्यायालय से इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेने और सरकार के खिलाफ जानबूझकर और इरादतन उसे 'धोखा देने' के प्रयास के लिए उचित दंडात्मक कार्यवाही शुरू करने का भी आग्रह किया.
पेगासस मुद्दे के 2022 के बजट सत्र में फिर छाए रहने की आशंका है क्योंकि विपक्ष द्वारा संयुक्त रूप से इस मुद्दे पर कार्यवाही को रोकने के बाद 2021 का पूरा मॉनसून सत्र जाया हो गया था. कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों के एक संगठन ने दावा किया था कि कई भारतीय नेताओं, मंत्रियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कारोबारियों और पत्रकारों के खिलाफ पेगासस का कथित तौर पर इस्तेमाल किया गया है. इसके बाद इस मुद्दे को लेकर देश में सियासत गर्मा गई थी.
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