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केरल में 11वीं कक्षा की परीक्षा पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक - न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय

केरल में बढ़ते कोविड मामलों के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने 11वीं कक्षा के लिए ऑफलाइन परीक्षाओं पर रोक लगा दी. यह परीक्षा 6 से 27 सितंबर के बीच होने वाली थी. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने मौजूदा स्थिति पर गंभीरता से विचार नहीं किया.

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Published : Sep 3, 2021, 4:53 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से केरल उच्च न्यायालय के इनकार को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई की और स्थगन आदेश जारी किया.

कोर्ट ने पाया कि कि केरल में स्थिति खतरनाक है और यह देश के 70% से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार है. कोर्ट ने कहा कि कम उम्र के बच्चों को जोखिम में नहीं डाला जा सकता है. राज्य ने अदालत के समक्ष तर्क प्रस्तुत किया कि उसने एसएसएलसी और 12वीं कक्षा की परीक्षा सफलतापूर्वक आयोजित की है. जहां अप्रैल में 4 लाख से अधिक छात्र उपस्थित हुए थे.

इसने कहा कि राज्य ने सभी सुरक्षा उपाय किए हैं. कोर्ट हालांकि असंबद्ध रहा और उसने कहा कि उसे अप्रैल से स्थिति में बदलाव पर विचार करना चाहिए था. अदालत ने कहा कि हमें आश्वासन दें कि कोई भी छात्र प्रभावित नहीं होगा. ये कम उम्र के बच्चे हैं. यहां तक ​​कि एक छात्र के लिए भी मामला दर्ज किया गया तो हम आपको दोषी ठहराएंगे. राज्य यह आश्वासन नहीं दे सका.

न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने यह भी कहा कि वह केरल एचसी के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं और राज्य में देश में सबसे अच्छा चिकित्सा ढांचा है फिर भी कोविड के प्रसार को रोकने में सक्षम नहीं है. कोर्ट ने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों से परीक्षा में उपस्थित होने वाले छात्रों की वजह से वायरस का प्रसार हो सकता है.

यह भी पढ़ें-फ्यूचर-रिलायंस रिटेल विलय सौदा: एफआरएल का न्यायालय से अपील पर जल्द सुनवाई का अनुरोध

अदालत ने राज्य को सुनवाई की अगली तारीख तक मूल्यांकन के वैकल्पिक रूप के बारे में सूचित करने के लिए कहा है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से केरल उच्च न्यायालय के इनकार को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई की और स्थगन आदेश जारी किया.

कोर्ट ने पाया कि कि केरल में स्थिति खतरनाक है और यह देश के 70% से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार है. कोर्ट ने कहा कि कम उम्र के बच्चों को जोखिम में नहीं डाला जा सकता है. राज्य ने अदालत के समक्ष तर्क प्रस्तुत किया कि उसने एसएसएलसी और 12वीं कक्षा की परीक्षा सफलतापूर्वक आयोजित की है. जहां अप्रैल में 4 लाख से अधिक छात्र उपस्थित हुए थे.

इसने कहा कि राज्य ने सभी सुरक्षा उपाय किए हैं. कोर्ट हालांकि असंबद्ध रहा और उसने कहा कि उसे अप्रैल से स्थिति में बदलाव पर विचार करना चाहिए था. अदालत ने कहा कि हमें आश्वासन दें कि कोई भी छात्र प्रभावित नहीं होगा. ये कम उम्र के बच्चे हैं. यहां तक ​​कि एक छात्र के लिए भी मामला दर्ज किया गया तो हम आपको दोषी ठहराएंगे. राज्य यह आश्वासन नहीं दे सका.

न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने यह भी कहा कि वह केरल एचसी के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं और राज्य में देश में सबसे अच्छा चिकित्सा ढांचा है फिर भी कोविड के प्रसार को रोकने में सक्षम नहीं है. कोर्ट ने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों से परीक्षा में उपस्थित होने वाले छात्रों की वजह से वायरस का प्रसार हो सकता है.

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अदालत ने राज्य को सुनवाई की अगली तारीख तक मूल्यांकन के वैकल्पिक रूप के बारे में सूचित करने के लिए कहा है.

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