नई दिल्ली : न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुआई वाली पीठ गुजरात के अधिवक्ता यतिन ओझा द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जिनकी वरिष्ठ पदवी को हाई कोर्ट पर उनकी अपमानजनक टिप्पणी के कारण गुजरात उच्च न्यायालय ने छीन लिया था.
ओझा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी मंगलवार को अदालत के सामने पेश हुए. साथ ही उन्होंने बिना शर्त माफी मांगने और मामले को आगे नहीं बढ़ाने की बात कही. सिंघवी ने कहा कि ओझा, जो पहले से ही संघर्ष कर रहे हैं, माफी मांगने के अलावा कुछ नहीं कर सकते. उन्होंने अपने जीवन में यह सबक सीखा है और किसी के लिए भी वह ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे.
न्यायमूर्ति कौल ने जवाब दिया कि यह पहली बार नहीं है कि ऐसा हुआ है. कई बार न्यायाधीशों ने भी इसे देखा है. यह स्वीकार करते हुए कि एक वकील से वरिष्ठ पदनाम छीनना मौत की सजा की तरह है, अदालत ने सलाह मांगी कि क्या किया जा सकता है. यह सुझाव दिया गया कि वरिष्ठ पदनाम के बिना 9 महीने गुजारना उनके लिए पर्याप्त है.
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बेंच ने काउंसिल से यह सोचने के लिए कहा कि क्या वरिष्ठ पदनाम वापस करना संभव होगा और अगले सप्ताह फिर से सुनवाई के लिए मामले को स्थगित कर दिया.