श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर शहर के सोनावर इलाके की रहने वाली सुमार्टी जी सिर्फ 14 साल की थीं, जब पोलियो के कारण उनके दोनों पैर विकलांग हो गए थे. इसके बाद उनके इलाज में परिवार के लोग जुटे रहे मगर सफलता नहीं मिली. इस कड़ी में उन्हें मुंबई, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के कुछ बेहतरीन अस्पतालों में भी दिखाया गया. हालांकि, निराशा ही हाथ लगी. ऐसे में सुमार्टी जी हतोत्साहित और निराश भी हुईं. मगर वह जल्द ही इन सबसे बाहर निकल आईं और फिर उन्होंने अपनी विकलांगता को खुद के लिए परिभाषित करने से इंकार कर दिया.
बता दें कि आज सदफ स्पाइसेस और नैना बुटीक की मालकिन होने के अलावा, वह कई महिलाओं को रोजगार भी देती हैं. अपनी दृढ़ता, बहादुरी, कड़ी मेहनत और कभी हार न मानने वाले रवैये के कारण वह आज के युवाओं के लिए प्रेरणा मानी जाती हैं. सुमार्टी जी (34) ने ईटीवी भारत के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि 'रास्ते में मेरे सामने कई चुनौतियां थीं और यह एक आसान रास्ता नहीं था, जब मैं स्कूल में थी तो मुझे बहुत तेज बुखार था और डॉक्टरों ने कहा कि मुझे पोलियो हो गया और मैं फिर कभी चल नहीं पाऊंग. यह जानकर मैं हैरान रह गई और मैं अवसाद में चली गई. फिर मैंने खुद को संभाला और दृढ़ रहने का फैसला किया.
उन्होंने आगे कहा कि मेरे परिवार ने मेरा हौसला बढ़ाया और मुझे इलाज के लिए मुंबई ले गए. छह महीने तक मेरा इलाज करने और सर्जरी करने के बाद, डॉक्टरों ने आखिरकार मुझे छोड़ दिया. सीमित होने के बावजूद व्हीलचेयर पर मैं खुद को संभालती रही. मुझे एहसास हुआ कि मैं जिस दौर से गुजर रही थी वह ऊपर वाले की ओर से एक परीक्षा थी. मैंने आत्महत्या के बारे में सोचा था, लेकिन फिर मैंने अन्यथा निर्णय लिया क्योंकि यह सर्वशक्तिमान की ओर से एक परीक्षा थी. मुझे इस बात की बहुत चिंता रहती थी कि मेरे दोस्तों और पड़ोसियों सहित अन्य लोग क्या सोचेंगे और मैं अपने घर तक ही सीमित हो गई.
उन्होंने बताया कि मेरे परिवार ने मुझे आगे बढ़ाने की बहुत कोशिश की, लेकिन मैंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी नहीं की क्योंकि मैं बाहर जाने से डरती थी. बाद में मैंने नैना बुटीक लॉन्च किया. काम पर मेरे साथ चार लड़कियां थीं. सदफ स्पाइसेस का जन्म जीवन में प्रगति की मेरी आवश्यकता से हुआ था. मैं ईश्वर की दया से दस सहयोगियों से घिरा गई और आज सफल हूं. मेरे हर एक कार्यकर्ता के पास एक डिग्री है. अपने मसाला व्यवसाय के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा 'भगवान का शुक्र है! यह अच्छा चल रहा है. मैंने इसे चार साल पहले शुरू किया था, लेकिन मैं केवल पिछले तीन महीनों से इसका प्रचार कर रही हूं. मेरे मसाले जम्मू-कश्मीर और अन्य राज्यों में उपलब्ध हैं. हाल ही में मुझे मेरे काम के लिए सम्मानित भी किया गया है.
उन्होंने आगे कहा मेरा जन्म जम्मू में हुआ था, जहां एक डॉक्टर ने मेरा नाम सुमार्टी जी रखा क्योंकि उन्हें लगता था कि मैं स्मार्ट हूं. मैंने अपना व्यवसाय खोला और इसे नैना बुटीक कहा क्योंकि घर पर मैं इसी नाम से जानी जाती थी. मेरे दादा-दादी मुझे सदफ कहकर बुलाते थे, इसलिए मैंने अपने मसालों को यही नाम देने का फैसला किया. उन्होंने कहा मुझे विकलांगता वाले रोल मॉडल एंटरप्रेन्योर श्रेणी में सम्मानित किया गया और मेरे काम की समीक्षा करने के बाद, उन्होंने मुझे पुरस्कार दिया.