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तीन दिन में ही डिलीट कर दिया था सुल्ली डील ऐप, आरोपी का खुलासा - bully by app

सुल्ली डील एप मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. ओंकारेश्वर ठाकुर ने महज तीन दिन बाद ही इसे डिलीट कर दिया था. उसने जुलाई वे पहले सप्ताह में इसे बनाया और इस पर ग्रुप के कुछ सदस्यों ने 50 से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं की फोटो डाली थी

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Published : Jan 11, 2022, 10:38 AM IST

नई दिल्ली: सुल्ली डील ऐप बनाने वाले ओंकारेश्वर ठाकुर ने महज तीन दिन बाद ही इसे डिलीट कर दिया था. उसने जुलाई वे पहले सप्ताह में इसे बनाया और इस पर ग्रुप के कुछ सदस्यों ने 50 से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं की फोटो डाली थी. इसे लेकर काफी हंगामा मचने लगा जिसके बाद उसने गिटहब पर बनाये गए ऐप एवं ट्विटर पर बनाये गए ट्रेडमहासभा ग्रुप को डिलीट कर दिया था. उसे इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि 6 महीने बाद वह पकड़ा जाएगा क्योंकि वह सभी डिजिटल फुटप्रिंट मिटा चुका था.

सूत्रों के अनुसार, इंदौर से गिरफ्तार किए गए ओंकारेश्वर ठाकुर से डीसीपी केपीएस मल्होत्रा की देखरेख में एसीपी रमन लाम्बा, इंस्पेक्टर भानु प्रताप और विजय गहलावत की टीम ने कई घंटे तक पूछताछ की. उसने पुलिस को बताया कि स्कूल से लेकर बीसीए तक की पढ़ाई उसने इंदौर से ही की है. बीसीए करने के बाद से वह नौकरी की जगह फ्रीलांस का काम करता था. वह सोशल मीडिया पर अपना काफी समय बिताता है.

बीते वर्ष उसने देखा कि ट्विटर पर कई मुस्लिम महिलाएं मंदिर, भगवान एवं हिन्दू धर्म को लेकर टिप्पणी करती हैं. ऐसे ट्वीट को वह उस क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों को टैग कर देता था. लेकिन इससे कोई एक्शन नहीं होता था. इसलिए उसने सोशल मीडिया पर ऐसी महिलाओं को ट्रोल करने के लिए एक प्लेटफॉर्म बनाने की ठानी.

ओंकारेश्वर ठाकुर ने पुलिस को बताया कि उसने ट्वीटर पर ट्रेडमहासभा नाम से ग्रुप बनाया जिस पर उसके जैसी सोच रखने वाले लगभग 50 लोग जुड़ गए. इसके बाद उसने गिटहब पर सुल्ली डील के नाम से ऐप बनाया और उसे ग्रुप में सांझा किया.

ग्रुप के ही एक-दो साथियों ने इसकी ग्राफ़िक डिजाइनिंग की. इसके बाद 4-5 सदस्यों ने उन महिलाओं की तस्वीर वहां डालना शुरू किया जो हिन्दू धर्म, मंदिर या देवी-देवता के बारे में टिप्पणी करती थी. ट्विटर पर वह उन्हें तलाशते और उनकी फोटो को सुल्ली डील ऐप पर डाल देते थे.

आरोपी ने पुलिस को बताया कि दो-तीन दिन में ही इस ऐप को लेकर हंगामा होने लगा. कई जगहों पर इसकी शिकायत होने लगी. तब उसे लगा कि वह पकड़ा जा सकता है. इसलिए उसने ऐप एवं ग्रुप को डिलीट कर दिया था.

पढ़ें : सुल्ली डील पर हिन्दू विरोधी लड़कियों की लगती थी बोली, ट्विटर पर होती थी तलाश

उसने सभी डिजिटल फुटप्रिंट मिटा दिए थे ताकि पुलिस उस तक नहीं पहुंच सके. इस मामले की जांच में बीते छह महीने से जुटी पुलिस को भी उसका कोई सुराग नहीं मिल पाया था. उसने पुलिस को बताया कि वह निश्चिन्त होकर अब सामान्य जीवन बिता रहा था. आगामी अप्रैल माह में उसका विवाह होने वाला था. लेकिन इससे पहले ही वह पकड़ा गया.

नई दिल्ली: सुल्ली डील ऐप बनाने वाले ओंकारेश्वर ठाकुर ने महज तीन दिन बाद ही इसे डिलीट कर दिया था. उसने जुलाई वे पहले सप्ताह में इसे बनाया और इस पर ग्रुप के कुछ सदस्यों ने 50 से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं की फोटो डाली थी. इसे लेकर काफी हंगामा मचने लगा जिसके बाद उसने गिटहब पर बनाये गए ऐप एवं ट्विटर पर बनाये गए ट्रेडमहासभा ग्रुप को डिलीट कर दिया था. उसे इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि 6 महीने बाद वह पकड़ा जाएगा क्योंकि वह सभी डिजिटल फुटप्रिंट मिटा चुका था.

सूत्रों के अनुसार, इंदौर से गिरफ्तार किए गए ओंकारेश्वर ठाकुर से डीसीपी केपीएस मल्होत्रा की देखरेख में एसीपी रमन लाम्बा, इंस्पेक्टर भानु प्रताप और विजय गहलावत की टीम ने कई घंटे तक पूछताछ की. उसने पुलिस को बताया कि स्कूल से लेकर बीसीए तक की पढ़ाई उसने इंदौर से ही की है. बीसीए करने के बाद से वह नौकरी की जगह फ्रीलांस का काम करता था. वह सोशल मीडिया पर अपना काफी समय बिताता है.

बीते वर्ष उसने देखा कि ट्विटर पर कई मुस्लिम महिलाएं मंदिर, भगवान एवं हिन्दू धर्म को लेकर टिप्पणी करती हैं. ऐसे ट्वीट को वह उस क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों को टैग कर देता था. लेकिन इससे कोई एक्शन नहीं होता था. इसलिए उसने सोशल मीडिया पर ऐसी महिलाओं को ट्रोल करने के लिए एक प्लेटफॉर्म बनाने की ठानी.

ओंकारेश्वर ठाकुर ने पुलिस को बताया कि उसने ट्वीटर पर ट्रेडमहासभा नाम से ग्रुप बनाया जिस पर उसके जैसी सोच रखने वाले लगभग 50 लोग जुड़ गए. इसके बाद उसने गिटहब पर सुल्ली डील के नाम से ऐप बनाया और उसे ग्रुप में सांझा किया.

ग्रुप के ही एक-दो साथियों ने इसकी ग्राफ़िक डिजाइनिंग की. इसके बाद 4-5 सदस्यों ने उन महिलाओं की तस्वीर वहां डालना शुरू किया जो हिन्दू धर्म, मंदिर या देवी-देवता के बारे में टिप्पणी करती थी. ट्विटर पर वह उन्हें तलाशते और उनकी फोटो को सुल्ली डील ऐप पर डाल देते थे.

आरोपी ने पुलिस को बताया कि दो-तीन दिन में ही इस ऐप को लेकर हंगामा होने लगा. कई जगहों पर इसकी शिकायत होने लगी. तब उसे लगा कि वह पकड़ा जा सकता है. इसलिए उसने ऐप एवं ग्रुप को डिलीट कर दिया था.

पढ़ें : सुल्ली डील पर हिन्दू विरोधी लड़कियों की लगती थी बोली, ट्विटर पर होती थी तलाश

उसने सभी डिजिटल फुटप्रिंट मिटा दिए थे ताकि पुलिस उस तक नहीं पहुंच सके. इस मामले की जांच में बीते छह महीने से जुटी पुलिस को भी उसका कोई सुराग नहीं मिल पाया था. उसने पुलिस को बताया कि वह निश्चिन्त होकर अब सामान्य जीवन बिता रहा था. आगामी अप्रैल माह में उसका विवाह होने वाला था. लेकिन इससे पहले ही वह पकड़ा गया.

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