नई दिल्ली: सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को निधन हो गया. उन्होंने दोपहर तीन बजे के आसपास दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली. बताया जा रहा है कि सुलभ इंटरनेशनल के केंद्रीय कार्यालय में सुबह झंडोत्तोलन के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई थी. इसके बाद उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती कराया था, जहां उनका निधन हो गया. उनके पार्थिव शरीर को बुधवार सुबह सात से 9.30 बजे तक अंतिम दर्शन के लिए पालम डाबड़ी रोड स्थित सुलभ परिसर में रखा जाएगा. 11 बजे लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार होगा.
पाठक मूल रूप से बिहार के वैशाली के रहने वाले थे. उन्होंने आज सुबह ही ट्वीट कर देशवासियों को 77वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी थी. बताया जा रहा है कि कल यानी बुधवार को उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में होगा.
PM मोदी ने जताया शोकः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिंदेश्वर पाठक के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, "डॉ बिंदेश्वर पाठक जी का निधन हमारे देश के लिए एक गहरी क्षति है. वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जिन्होंने सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया. उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को महत्वपूर्ण समर्थन प्रदान किया."
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The passing away of Dr. Bindeshwar Pathak Ji is a profound loss for our nation. He was a visionary who worked extensively for societal progress and empowering the downtrodden.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Bindeshwar Ji made it his mission to build a cleaner India. He provided monumental support to the… pic.twitter.com/z93aqoqXrc
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डॉ. विन्देश्वर पाठक के साथ लगभग 20 वर्षों के अपने संपर्क और सामाजिक सेवा के अनुभवों का स्मरण करते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी-विभाग में सहायक आचार्य डॉ. अशोक कुमार ज्योति ने उन्हें एक महान मानवतावादी व्यक्तित्व और दलित समाज के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित करनेवाले समाजशास्त्री बताया.
उन्होंने कहा कि डॉ. पाठक ने 'सुलभ शौचालय' प्रदान कर आमजन को स्वच्छता से जुड़ी बेहतर सुविधा दी. उनके दो गड्ढे वाले जलप्रवाही शौचालय की तकनीक से देश में मैला ढोने की कुप्रथा को समाप्त करने में मदद मिली. उन्होंने कहा कि डॉ. पाठक हिंदी और अंगरेजी दोनों भाषाओं के लेखक और सहृदय कवि थे. पटना विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र विषय में पीएचडी और डीलिट की उपाधि प्राप्त डॉ. पाठक के दो दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं. उनके गीतों को कई भाषाओं में स्वर दिया गया है.
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Warm greetings on the momentous occasion of India’s 77th Independence Day 🇮🇳.#IndependenceDay2023 #IndependenceDayIndia #IndependenceDay pic.twitter.com/BZ6fnktuR8
— Bindeshwar Pathak (@bindeshwarpatha) August 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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महात्मा गांधी को मानते थे प्रेरणाः एक इंटरव्यू के दौरान पाठक ने अपना प्रेरणा स्रोत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को बताया था. पिछले 53 सालों में उन्होंने शौचालयों को साफ करने वाले, हाथ से मैला ढोने वालों के मानवाधिकारों के लिए शानदार काम किया. उनका उद्देश्य देश में हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करना था.
1970 में सुलभ शौचालय के जरिए किया था क्रांतिः पाठक ने 1970 में सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की थी. उनका भारतीय समाज सुधारकों में बड़ा नाम था. सुलभ इंटरनेशनल मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों, अपशिष्ट प्रबंधन और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहा है.
दुनियाभर में स्वच्छता में कमाया नामः उन्होंने तीन दशक पहले सुलभ शौचालयों को किण्वन संयंत्रों से जोड़कर बायोगैस निर्माण का उपयोग किया. अब दुनिया भर के विकासशील देशों में स्वच्छता के लिए एक पर्याय बन रहे हैं. उनको विशेष रूप से स्वच्छता और स्वच्छता के क्षेत्र में काम करने के कारण विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं.
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