बेंगलुरु: कर्नाटक की राजधानी में डॉक्टरों ने रोबोटिक एन-ब्लॉक प्रक्रिया के माध्यम से एक 13 महीने के बच्चे की दोनों किडनी को 30 वर्षीय व्यक्ति में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया. डॉक्टरों ने कहा कि यह दुनिया का बहुत ही दुर्लभ मामला है. यूरोलॉजी, यूरो-ऑन्कोलॉजी डॉ मोहन केशवमूर्ति और रोबोटिक सर्जरी के वरिष्ठ निदेशक फोर्टिस अस्पताल डॉ. श्रीहर्ष हरिनाथ की टीम ने एक दुर्लभ सफल जटिल सर्जरी की.
डॉ. केशवमूर्ति ने कहा कि 30 वर्षीय एक व्यक्ति लंबे समय से गुर्दे की विफलता से पीड़ित था और हेमोडायलिसिस से गुजर रहा था. उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत थी. इसी दौरान एक 13 माह के बच्चे की दम घुटने से मौत हो गई. बच्चे के माता-पिता की सहमति से किडनी दान के रूप में प्राप्त की गई थी. इस बच्चे का वजन महज 7.3 किलो था. 30 साल के इस शख्स का वजन 50 किलो था. ऐसे में बच्चे की किडनी ट्रांसप्लांट करना उनके लिए एक चुनौती भरा काम था. लेकिन हमने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और रोबोटिक एन-ब्लॉक के माध्यम से किडनी ट्रांसप्लांट किया.
रोबोटिक एन-ब्लॉक नामक एक तकनीक प्रतिरोपित गुर्दे को प्राप्तकर्ता के शरीर के वजन के अनुसार आकार में बढ़ने की अनुमति देती है. केशवमूर्ति ने कहा कि सर्जरी करीब चार घंटे तक चली. इस जटिल सर्जरी के बाद मरीज को इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा गया. उन्होंने बताया कि उन्हें 12 दिनों के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी.
फोर्टिस हॉस्पिटल के बिजनेस हेड अक्षय ओलेटी ने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट में रोबोटिक्स के इस्तेमाल से किसी भी मुश्किल सर्जरी को आसानी से हैंडल किया जा सकता है. खासकर एक छोटे बच्चे की किडनी को एक वयस्क में ट्रांसप्लांट करना एक चुनौती है. डॉक्टरों की हमारी टीम ने नवीनतम तकनीक का उपयोग करते हुए इस अभिनव प्रयास को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. अक्षय ओलेटी ने कहा कि यह दुनिया का पहला मामला है.