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चीन से लौटे छात्र ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर मानसिक तनाव के शिकार

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Published : Jun 23, 2021, 9:05 AM IST

Updated : Jun 23, 2021, 12:53 PM IST

चीन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हजारों भारतीय छात्र कोरोना के चलते पिछले 17 महीने से भारत में हैं. ऑनलाइन क्लासेस के चलते वे अपने करियर को लेकर चिंतित हैं. सूरत में कई छात्र मेडिकल क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए चीन के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे हैं और अब वे वर्तमान में मानसिक रूप से परेशान हैं.

ऑनलाइन क्लासेस
ऑनलाइन क्लासेस

सूरत : जिस चीन को कोरोना वायरस बीमारी के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार माना जा रहा है उसी चीन से पूर्वांचल के बहुत से युवाओं का कॅरियर जुड़ा हुआ है. वहीं चीन में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए हर साल कई भारतीय छात्रों का दाखिला होता है, लेकिन चीन में मेडिकल के छात्र मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. 17 महीने हो चुके हैं और वे कोरोना काल में ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं.

एमबीबीएस की पढ़ाई में प्रैक्टिकल होना भी बहुत जरुरी है लेकिन मेडिकल क्षेत्र में बिना प्रैक्टिकल ऑनलाइन पढ़ाई के कारण छात्र असमंजस में हैं. जिससे वे मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. सूरत की रहने वाली और चीन के वुहान के एक मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के तीसरे साल की पढ़ाई कर रही सिद्धि पांड्या इस समय अपने करियर को लेकर चिंतित हैं. वह 17 महीने से सूरत में रह रही है, लेकिन बिना किसी प्रैक्टिकल ज्ञान के वह ऑनलाइन एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है.

चीन से लौटे छात्र ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर मानसिक तनाव के शिकार

प्रैक्टिकल ज्ञान

कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई थी. उस समय सिद्धि पांड्या वुहान में थीं. कोरोना की शुरुआत उसी समय हुई थी. सिद्धि को नहीं पता था कि जिस शहर में वह रहती है और पढ़ती है, वह पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैला देगा. सिद्धि पंड्या ने कहा, भारत और चीन के समय में ढाई घंटे का अंतर है. ऑनलाइन कक्षाएं सुबह से शाम तक चलती हैं, लेकिन मेडिकल क्षेत्र में बिना प्रैक्टिकल के ज्ञान हासिल करना छात्रों के लिए चिंता का विषय बन गया है. चीन में इस समय मेडिकल की पढ़ाई कर रहे एक पाकिस्तानी युवक ने आत्महत्या कर ली है. वहीं अन्य जगह मानसिक तनाव के चलते एक छात्र को दिल का दौरा पड़ा गया.

पढ़ें : बढ़ता संक्रमण: MBBS छात्रों और इन्टर्नस को भी कोरोना ड्यूटी में लगाने का आदेश

मानसिक तनाव

सिद्धि पंड्या ने कहा कि इस समय छात्र मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. मानसिक तनाव के कारण छात्र ऑनलाइन कक्षाओं पर भी ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. ऑनलाइन क्लास के दौरान अक्सर नेटवर्क की समस्या होती है, जिसका सीधा असर उनकी पढ़ाई पर पड़ रहा है. कई छात्र गांवों में रहते हैं उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई के कारण परेशानी झेलना पड़ता हैं.

पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री में एडमिशन मुश्किल

हम भविष्य में मरीजों का इलाज करेंगे, लेकिन हम इस ऑनलाइन अध्ययन से मरीजों का इलाज कैसे कर पाएंगे? वहीं अगर प्रैक्टिकल की जगह ऑनलाइन पढ़ाई होगी तो पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री में एडमिशन मिलना मुश्किल होगा. चिकित्सा के क्षेत्र में प्रैक्टिकल ज्ञान बहुत आवश्यकता है. हजारों छात्रों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य मनीष कपाड़िया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय विदेश मंत्री और चीन में भारतीय राजदूत को पत्र लिखकर मांग की है कि छात्रों के मेडिकल की पढ़ाई को पूरा करने के लिए कुछ उचित कदम उठाए. मनीष कपाड़िया ने कहा कि चीन के मेडिकल कॉलेजों में हजारों भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं. कोरोना और लॉकडाउन के चलते चीन में फिलहाल छात्र पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. ऑनलाइन जो पढ़ाया जा रहा है उससे छात्र संतुष्ट नहीं हैं.

सूरत : जिस चीन को कोरोना वायरस बीमारी के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार माना जा रहा है उसी चीन से पूर्वांचल के बहुत से युवाओं का कॅरियर जुड़ा हुआ है. वहीं चीन में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए हर साल कई भारतीय छात्रों का दाखिला होता है, लेकिन चीन में मेडिकल के छात्र मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. 17 महीने हो चुके हैं और वे कोरोना काल में ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं.

एमबीबीएस की पढ़ाई में प्रैक्टिकल होना भी बहुत जरुरी है लेकिन मेडिकल क्षेत्र में बिना प्रैक्टिकल ऑनलाइन पढ़ाई के कारण छात्र असमंजस में हैं. जिससे वे मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. सूरत की रहने वाली और चीन के वुहान के एक मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के तीसरे साल की पढ़ाई कर रही सिद्धि पांड्या इस समय अपने करियर को लेकर चिंतित हैं. वह 17 महीने से सूरत में रह रही है, लेकिन बिना किसी प्रैक्टिकल ज्ञान के वह ऑनलाइन एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है.

चीन से लौटे छात्र ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर मानसिक तनाव के शिकार

प्रैक्टिकल ज्ञान

कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई थी. उस समय सिद्धि पांड्या वुहान में थीं. कोरोना की शुरुआत उसी समय हुई थी. सिद्धि को नहीं पता था कि जिस शहर में वह रहती है और पढ़ती है, वह पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैला देगा. सिद्धि पंड्या ने कहा, भारत और चीन के समय में ढाई घंटे का अंतर है. ऑनलाइन कक्षाएं सुबह से शाम तक चलती हैं, लेकिन मेडिकल क्षेत्र में बिना प्रैक्टिकल के ज्ञान हासिल करना छात्रों के लिए चिंता का विषय बन गया है. चीन में इस समय मेडिकल की पढ़ाई कर रहे एक पाकिस्तानी युवक ने आत्महत्या कर ली है. वहीं अन्य जगह मानसिक तनाव के चलते एक छात्र को दिल का दौरा पड़ा गया.

पढ़ें : बढ़ता संक्रमण: MBBS छात्रों और इन्टर्नस को भी कोरोना ड्यूटी में लगाने का आदेश

मानसिक तनाव

सिद्धि पंड्या ने कहा कि इस समय छात्र मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. मानसिक तनाव के कारण छात्र ऑनलाइन कक्षाओं पर भी ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. ऑनलाइन क्लास के दौरान अक्सर नेटवर्क की समस्या होती है, जिसका सीधा असर उनकी पढ़ाई पर पड़ रहा है. कई छात्र गांवों में रहते हैं उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई के कारण परेशानी झेलना पड़ता हैं.

पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री में एडमिशन मुश्किल

हम भविष्य में मरीजों का इलाज करेंगे, लेकिन हम इस ऑनलाइन अध्ययन से मरीजों का इलाज कैसे कर पाएंगे? वहीं अगर प्रैक्टिकल की जगह ऑनलाइन पढ़ाई होगी तो पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री में एडमिशन मिलना मुश्किल होगा. चिकित्सा के क्षेत्र में प्रैक्टिकल ज्ञान बहुत आवश्यकता है. हजारों छात्रों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य मनीष कपाड़िया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय विदेश मंत्री और चीन में भारतीय राजदूत को पत्र लिखकर मांग की है कि छात्रों के मेडिकल की पढ़ाई को पूरा करने के लिए कुछ उचित कदम उठाए. मनीष कपाड़िया ने कहा कि चीन के मेडिकल कॉलेजों में हजारों भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं. कोरोना और लॉकडाउन के चलते चीन में फिलहाल छात्र पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. ऑनलाइन जो पढ़ाया जा रहा है उससे छात्र संतुष्ट नहीं हैं.

Last Updated : Jun 23, 2021, 12:53 PM IST
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