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मिशन एडमिशन : डीयू में बैठकों का सिलसिला जारी, पहली ही काउंसलिंग में भर ली जाएंगी अधिक सीटें - सेंट्रल कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम

शैक्षणिक सत्र 2022-23 में छात्रों को डीयू में एडमिशन लेने के लिए Cucet देना होगा. दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह और कॉलेजों के प्रिंसिपल के साथ दाखिले के संबंध में एक बैठक हुई थी.

DU for academic session 2022-23
DU for academic session 2022-23
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Published : Jun 18, 2022, 1:39 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2022-23 में दाखिले की प्रक्रिया में बदलाव होने जा रहा है. छात्रों को डीयू में एडमिशन लेने के लिए सेंट्रल कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम (Cucet) देना होगा. विश्वविद्यालय में दाखिले को लेकर तैयारी चल रही है. मिली जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय प्रशासन पहली काउंसलिंग में ही अधिक सीटें भरने की तैयारी में है. जिससे कि एडमिशन की प्रक्रिया लंबी ना चले. मिली जानकारी के मुताबिक हर काउंसलिंग से पहले छात्रों को अपनी वरीयता भरने का मौका दिया जाएगा. बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह और कॉलेजों के प्रिंसिपल के साथ दाखिले के संबंध में एक बैठक हुई थी.



दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए बैठकों का सिलसिला जारी है. इस वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय में मेरिट के आधार पर नहीं बल्कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर छात्रों को एडमिशन मिलेगा. वहीं इससे पहले विश्वविद्यालय प्रशासन दाखिले की तैयारियों में जुटा हुआ है. इसको लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह और कॉलेजों के प्रिंसिपल के साथ हाल ही में एक बैठक हुई थी.

मिली जानकारी के मुताबिक इस बैठक में कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने एक प्रस्ताव दिया है कि पहली ही काउंसलिंग में निर्धारित सीटों पर सामान्य श्रेणी में 20 फ़ीसदी से अधिक और आरक्षित श्रेणी जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस में 30 फ़ीसदी से अधिक एडमिशन लें. उदाहरण के तौर पर यदि किसी कॉलेज में किसी पाठ्यक्रम में 100 सीट निर्धारित है तो कम से कम 120 सीट पर एडमिशन कर लिया जाए, जिससे कि अगर दूसरी काउंसलिंग में कोई छात्र कहीं और एडमिशन के लिए जाता है तो दाखिले के लिए कम ही सीट पर संभावना रहे.

बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में बीते वर्षों में मेरिट के आधार पर छात्रों का एडमिशन होता था. दाखिले के लिए बीते वर्षों तक 7 से 8 कट ऑफ जारी की जाती थी. दाखिला प्रक्रिया एक माह से भी अधिक समय तक चलती थी. वहीं मौजूदा समय में हुए बदलाव से दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन की कोशिश है कि कम से कम काउंसलिंग में सीटें भर ली जाए. जिससे कि महीनों तक चलने वाले दाखिले की प्रक्रिया पर विराम लगाया जा सके.

बता दें कि संभावना जताई जा रही है कि जुलाई माह के दूसरे सप्ताह में सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंटरेंस टेस्ट की परीक्षा आयोजित की जाएगी. यह परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित की जाएगी. मालूम हो कि दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक पाठ्यक्रम में 70,000 सीट है.

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2022-23 में दाखिले की प्रक्रिया में बदलाव होने जा रहा है. छात्रों को डीयू में एडमिशन लेने के लिए सेंट्रल कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम (Cucet) देना होगा. विश्वविद्यालय में दाखिले को लेकर तैयारी चल रही है. मिली जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय प्रशासन पहली काउंसलिंग में ही अधिक सीटें भरने की तैयारी में है. जिससे कि एडमिशन की प्रक्रिया लंबी ना चले. मिली जानकारी के मुताबिक हर काउंसलिंग से पहले छात्रों को अपनी वरीयता भरने का मौका दिया जाएगा. बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह और कॉलेजों के प्रिंसिपल के साथ दाखिले के संबंध में एक बैठक हुई थी.



दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए बैठकों का सिलसिला जारी है. इस वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय में मेरिट के आधार पर नहीं बल्कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर छात्रों को एडमिशन मिलेगा. वहीं इससे पहले विश्वविद्यालय प्रशासन दाखिले की तैयारियों में जुटा हुआ है. इसको लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह और कॉलेजों के प्रिंसिपल के साथ हाल ही में एक बैठक हुई थी.

मिली जानकारी के मुताबिक इस बैठक में कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने एक प्रस्ताव दिया है कि पहली ही काउंसलिंग में निर्धारित सीटों पर सामान्य श्रेणी में 20 फ़ीसदी से अधिक और आरक्षित श्रेणी जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस में 30 फ़ीसदी से अधिक एडमिशन लें. उदाहरण के तौर पर यदि किसी कॉलेज में किसी पाठ्यक्रम में 100 सीट निर्धारित है तो कम से कम 120 सीट पर एडमिशन कर लिया जाए, जिससे कि अगर दूसरी काउंसलिंग में कोई छात्र कहीं और एडमिशन के लिए जाता है तो दाखिले के लिए कम ही सीट पर संभावना रहे.

बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में बीते वर्षों में मेरिट के आधार पर छात्रों का एडमिशन होता था. दाखिले के लिए बीते वर्षों तक 7 से 8 कट ऑफ जारी की जाती थी. दाखिला प्रक्रिया एक माह से भी अधिक समय तक चलती थी. वहीं मौजूदा समय में हुए बदलाव से दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन की कोशिश है कि कम से कम काउंसलिंग में सीटें भर ली जाए. जिससे कि महीनों तक चलने वाले दाखिले की प्रक्रिया पर विराम लगाया जा सके.

बता दें कि संभावना जताई जा रही है कि जुलाई माह के दूसरे सप्ताह में सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंटरेंस टेस्ट की परीक्षा आयोजित की जाएगी. यह परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित की जाएगी. मालूम हो कि दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक पाठ्यक्रम में 70,000 सीट है.

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