नई दिल्ली: एक सांसद जो संसद के दूसरे सदस्य के साथ दुर्व्यवहार करता है उसे दंडित किया जाना चाहिए. यह कोई मामूली बात नहीं है. उन्होंने (बिधूड़ी) जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया, वह बेहद आपत्तिजनक है.' यह सदन के एक सदस्य का अत्यंत अपमान है. लोकसभा के पूर्व महासचिव और प्रसिद्ध संवैधानिक विशेषज्ञ पीडीटी आचार्य ने ईटीवी भारत से कहा.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा बिधूड़ी को जारी की गई चेतावनी के बारे में पूछे जाने पर आचार्य ने कहा, 'ऐसी चेतावनी पर्याप्त नहीं है.' उन्होंने कहा, 'मैं बीजेपी की योजना के बारे में कह सकता हूं या क्या वे अपने सांसद के खिलाफ कोई कार्रवाई करेंगे. लेकिन जहां तक लोकसभा का संबंध है, वास्तव में अब इस मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजना अध्यक्ष का काम है क्योंकि सदस्य पहले ही विशेषाधिकार हनन का नोटिस दे चुका है. यह विशेषाधिकार हनन का मामला बन गया है. समिति जांच कर सकती है और समाधान सुझा सकती है.
भाजपा के दक्षिणी दिल्ली से सांसद बिधूड़ी ने शुक्रवार को लोकसभा में चंद्रयान 3 पर चर्चा के दौरान बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) के सांसद दानिश अली के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की और भड़काऊ शब्दों का इस्तेमाल किया. विपक्षी नेताओं ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर ऐसे शब्दों के इस्तेमाल के लिए बिधूड़ी की तीखी आलोचना की और उनकी निंदा की.
प्रसिद्ध संवैधानिक विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील सत्य प्रकाश सिंह ने कहा, 'कई विपक्षी नेताओं ने भी बिरला को पत्र लिखकर इस मामले को लोकसभा विशेषाधिकार समिति को सौंपने का अनुरोध किया है. उन्होंने (बिधूड़ी) जो काम किया वह पूरी तरह से असंवैधानिक था. वह अपने शब्द वापस ले सकते थे और माफी मांग सकते थे. अब, इस मामले को विशेषाधिकार समिति को भेजा जाना चाहिए ताकि उक्त सांसद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके.'
उन्होंने कहा कि जब लोकसभा की विशेषाधिकार समिति अन्य राजनीतिक दलों के सांसदों खासकर विपक्षी सांसदों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है तो मामले को विशेषाधिकार समिति के पास क्यों नहीं भेजा जा सकता. इससे पहले भी आप सांसद संजय सिंह को अपने अभद्र व्यवहार के कारण विशेषाधिकार समिति की जांच का सामना करना पड़ा था. उसी तरह, बिधूड़ी का भी इलाज किया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि लोकसभा सचिवालय ने पिछले साल एक पुस्तिका जारी की थी, जिसमें उन शब्दों की सूची है, जिनका संसद के दोनों सदनों में इस्तेमाल असंसदीय माना जाता है. सिंह ने कहा कि बुकलेट जारी होने के बाद 'अराजकतावादी', 'शकुनी', 'तानाशाही', 'तानाशाह', 'तानाशाही', 'जयचंद', 'विनाश पुरुष', 'खालिस्तानी', 'खून से खेती' जैसे शब्दों का इस्तेमाल मिलता है.
यदि दोनों सदनों में बहस के दौरान या अन्यथा उपयोग किया जाता है तो निष्कासित कर दिया जाता है. यहां तक कि आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द जैसे 'शर्मिंदा', 'दुर्व्यवहार', 'विश्वासघात', 'भ्रष्ट', 'नाटक', 'पाखंड', 'अक्षम' और कई अन्य शब्द भी अब लोकसभा और राज्यसभा दोनों में असंसदीय माने जाते हैं. यह सच है संसद ने उत्तेजक और असंवैधानिक शब्दों के उपयोग को प्रतिबंधित करने वाली एक पुस्तिका जारी की.
हालाँकि, यह पाया गया है कि विधायक अभी भी कई शब्दों का उपयोग करते हैं जिन्हें सदन में किसी भी विषय पर चर्चा के दौरान हटा दिया जाता है. संपर्क करने पर पूर्व सांसद और सीपीआई के राष्ट्रीय महासचिव डी राजा ने कहा कि उनकी पार्टी ने ऐसे असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए सांसद की कड़ी आलोचना की है. उनकी पार्टी (भाजपा) को बिधूड़ी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी. कारण बताओ नोटिस जारी करना पर्याप्त नहीं है. मामला बढ़ता देख भाजपा ने शुक्रवार को बिधूड़ी को कारण बताओ नोटिस जारी किया और 15 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा.