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SC का मुंबई मेट्रो को निर्देश, आरे कॉलोनी में पेड़ नहीं काटने के वचन का पालन करें

मुंबई मेट्रो को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि वह मुंबई की आरे कॉलोनी में कोई पेड़ नहीं काटेगा और इसको नहीं मानने पर उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Aug 24, 2022, 4:48 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को मुंबई मेट्रो रेल निगम लिमिटेड (MMRCL) को निर्देश दिया कि वह मुंबई की आरे कॉलोनी में कोई पेड़ नहीं काटे जाने के अपने वचन का सख्ती से पालन करे और चेतावनी दी कि किसी भी तरह का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. न्यायमूर्ति यूयू ललित (Justice U U Lalit) की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि वह 30 अगस्त को मामले की सुनवाई करेंगे. इससे पहले, महाराष्ट्र सरकार के वकील ने दस्तावेजों को जुटाने के लिए समय मांगा था. पीठ में न्यायमूर्ति एसआर भट (Justice S R Bhat) और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) भी शामिल थे.

पीठ ने कहा, 'एमएमआरसीएल के वकील का कहना है कि उनके मुवक्किलों ने पहले ही एक हलफनामा दायर किया है कि किसी भी तरह से कोई पेड़ नहीं काटा गया है या नहीं काटा जाएगा. एमएमआरसीएल निदेशक द्वारा उक्त हलफनामे को पहले ही रिकॉर्ड में ले लिया गया है और एमएमआरसीएल इसका सख्ती से पालन करने के लिए बाध्य है.'

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनीता शेनॉय ने आरोप लगाया कि शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद पेड़ काटने और जमीन समतल करने का काम जारी है. एमएमआरसीएल ने पहले उच्चतम न्यायालय को बताया था कि अक्टूबर 2019 के बाद मुंबई की आरे कॉलोनी में कोई पेड़ नहीं काटा गया है. शीर्ष अदालत ने 2019 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश को संबोधित विधि के एक छात्र के पत्र पर संज्ञान लेते हुए इसे याचिका में बदल दिया था. पत्र में आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था.

सॉलिसिटर जनरल द्वारा महाराष्ट्र राज्य की ओर से निवेदन किए जाने के बाद कि आगे कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा, शीर्ष अदालत ने अधिकारियों को आरे कॉलोनी में और पेड़ काटने से रोक दिया था. कॉलोनी में पेड़ों की कटाई का हरित कार्यकर्ताओं और निवासियों ने विरोध किया है. अक्टूबर 2019 में बंबई उच्च न्यायालय ने आरे कॉलोनी को वन क्षेत्र घोषित करने से इनकार कर दिया और मुंबई नगर निगम के उस फैसले को रद्द करने से इनकार कर दिया, जिसमें मेट्रो कार शेड स्थापित करने के लिए 'ग्रीन जोन' में 2,600 से अधिक पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी.

ये भी पढ़ें - SC ने कहा, देश के कल्याण के लिए मुफ्त योजना के मुद्दे पर बहस की जरूरत

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को मुंबई मेट्रो रेल निगम लिमिटेड (MMRCL) को निर्देश दिया कि वह मुंबई की आरे कॉलोनी में कोई पेड़ नहीं काटे जाने के अपने वचन का सख्ती से पालन करे और चेतावनी दी कि किसी भी तरह का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. न्यायमूर्ति यूयू ललित (Justice U U Lalit) की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि वह 30 अगस्त को मामले की सुनवाई करेंगे. इससे पहले, महाराष्ट्र सरकार के वकील ने दस्तावेजों को जुटाने के लिए समय मांगा था. पीठ में न्यायमूर्ति एसआर भट (Justice S R Bhat) और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) भी शामिल थे.

पीठ ने कहा, 'एमएमआरसीएल के वकील का कहना है कि उनके मुवक्किलों ने पहले ही एक हलफनामा दायर किया है कि किसी भी तरह से कोई पेड़ नहीं काटा गया है या नहीं काटा जाएगा. एमएमआरसीएल निदेशक द्वारा उक्त हलफनामे को पहले ही रिकॉर्ड में ले लिया गया है और एमएमआरसीएल इसका सख्ती से पालन करने के लिए बाध्य है.'

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनीता शेनॉय ने आरोप लगाया कि शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद पेड़ काटने और जमीन समतल करने का काम जारी है. एमएमआरसीएल ने पहले उच्चतम न्यायालय को बताया था कि अक्टूबर 2019 के बाद मुंबई की आरे कॉलोनी में कोई पेड़ नहीं काटा गया है. शीर्ष अदालत ने 2019 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश को संबोधित विधि के एक छात्र के पत्र पर संज्ञान लेते हुए इसे याचिका में बदल दिया था. पत्र में आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था.

सॉलिसिटर जनरल द्वारा महाराष्ट्र राज्य की ओर से निवेदन किए जाने के बाद कि आगे कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा, शीर्ष अदालत ने अधिकारियों को आरे कॉलोनी में और पेड़ काटने से रोक दिया था. कॉलोनी में पेड़ों की कटाई का हरित कार्यकर्ताओं और निवासियों ने विरोध किया है. अक्टूबर 2019 में बंबई उच्च न्यायालय ने आरे कॉलोनी को वन क्षेत्र घोषित करने से इनकार कर दिया और मुंबई नगर निगम के उस फैसले को रद्द करने से इनकार कर दिया, जिसमें मेट्रो कार शेड स्थापित करने के लिए 'ग्रीन जोन' में 2,600 से अधिक पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी.

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(पीटीआई-भाषा)

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