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कुछ राज्य खुद से कोयला आयात कर रहे हैं : कोयला मंत्री - राज्यसभा

संसदीय कार्य, कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी (Minister for Parliamentary Affairs, Coal and Mines Prahlad Joshi ) ने राज्यसभा में आज बताया कि कई राज्य सरकारें खुद कोयले का आयात कर रही हैं और कुछ अन्य राज्य सीआईएल से कोयले के आयात के लिए डिमांड कर रहे हैं. पढ़िए पूरी खबर...

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Published : Aug 8, 2022, 10:43 PM IST

Updated : Aug 8, 2022, 10:50 PM IST

नई दिल्ली: विद्युत मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों के बाद, कई राज्य सरकारें अपने खुद के आदेश से कोयले का आयात कर रही हैं वहीं कुछ अन्य राज्यों ने कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) को कोयले के आयात के लिए अपने डिमांड पत्र दिए हैं. इस बारे में संसदीय कार्य, कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी (Minister for Parliamentary Affairs, Coal and Mines Prahlad Joshi ) ने सोमवार को राज्यसभा में जानकारी देते हुए कहा कि इस साल अप्रैल से जून तक की पहली तिमाही के दौरान विभिन्न उपयोगिताओं द्वारा सम्मिश्रण उद्देश्यों के लिए कोयले का कुल आयात 0.55 मीट्रिक टन था. वहीं अब तक पांच राज्यों ने अगस्त और सितंबर, 2022 के महीने के लिए 0.511 मीट्रिक टन के आयात के लिए सीआईएल के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

उन्होंने बताया कि वर्तमान आयात नीति के अनुसार कोयले को ओपन जनरल लाइसेंस (OGL) के तहत रखा जाता है और उपभोक्ता लागू शुल्क के भुगतान पर अपनी संविदा की कीमतों के मुताबिक अपनी पसंद के स्रोत से कोयले का आयात करने के लिए स्वतंत्र हैं. भारत सरकार इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करती है. हालांकि, बिजली मंत्रालय ने 28 अप्रैल को बिजली संयंत्रों को 2022-23 के दौरान सम्मिश्रण उद्देश्यों के लिए कोयले का आयात करने की सलाह दी ताकि मानसून की शुरुआत से पहले बिजली संयंत्रों में पर्याप्त कोयला स्टॉक सुनिश्चित किया जा सके.

वहीं 27 मई को यह निर्णय लिया गया था कि सीआईएल सम्मिश्रण उद्देश्यों के लिए कोयले का आयात करेगी और राज्य जेनकोस और आईपीपी के टीपीपी को आपूर्ति करेगी. हाल ही में, विद्युत मंत्रालय ने राज्यों और जेनकोस के कोयला स्टॉक की स्थिति की समीक्षा की है और पाया है कि राज्यों के पास मानक स्तर के 50 प्रतिशत से अधिक का कोयला स्टॉक है.

कोयला मंत्री जोशी ने कहा, इस तरह बिजली मंत्रालय ने 1 अगस्त को फैसला किया है कि अब से राज्य और आईपीपी और कोयला मंत्रालय घरेलू कोयले की आपूर्ति की उपलब्धता का आकलन करने के बाद सम्मिश्रण प्रतिशत तय कर सकते हैं. एक अन्य जवाब में, जोशी ने कहा कि अभी तक राष्ट्रीय कोयला सूचकांक को संशोधित करने की कोई योजना नहीं है जो कीमतों को सीधे विदेशी सूचकांकों से जोड़ेगी और सभी कोयला लेनदेन के मूल्य और मात्रा को भी मापेगी.

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत में कोकिंग कोल के लिए एक अलग सूचकांक होगा, जोशी ने कहा कि भारतीय कोयला अपने बहाव मूल के कारण प्रकृति में काफी हद तक विषम है और एक ही सीमा के भीतर गुणवत्ता भिन्नता के लिए अतिसंवेदनशील है. जोशी ने कहा कि कोयले की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए विस्फोट मुक्त खनन तकनीकों को अपनाने, कोयला सीमा से बाहरी सामग्री को हटाने के लिए यांत्रिक स्क्रैपिंग का उपयोग, खदानों से यांत्रिक कोयले की हैंडलिंग को फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी परियोजनाओं में लोडिंग पॉइंट तक अपनाने जैसे कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि सीआईएल के सभी उपभोक्ताओं के पास स्वतंत्र तृतीय-पक्ष नमूना एजेंसियों के माध्यम से आपूर्ति के गुणवत्ता मूल्यांकन का विकल्प है.

ये भी पढ़ें - देश के ताप विद्युत संयंत्रों के पास पर्याप्त कोयला : केंद्र

नई दिल्ली: विद्युत मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों के बाद, कई राज्य सरकारें अपने खुद के आदेश से कोयले का आयात कर रही हैं वहीं कुछ अन्य राज्यों ने कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) को कोयले के आयात के लिए अपने डिमांड पत्र दिए हैं. इस बारे में संसदीय कार्य, कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी (Minister for Parliamentary Affairs, Coal and Mines Prahlad Joshi ) ने सोमवार को राज्यसभा में जानकारी देते हुए कहा कि इस साल अप्रैल से जून तक की पहली तिमाही के दौरान विभिन्न उपयोगिताओं द्वारा सम्मिश्रण उद्देश्यों के लिए कोयले का कुल आयात 0.55 मीट्रिक टन था. वहीं अब तक पांच राज्यों ने अगस्त और सितंबर, 2022 के महीने के लिए 0.511 मीट्रिक टन के आयात के लिए सीआईएल के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

उन्होंने बताया कि वर्तमान आयात नीति के अनुसार कोयले को ओपन जनरल लाइसेंस (OGL) के तहत रखा जाता है और उपभोक्ता लागू शुल्क के भुगतान पर अपनी संविदा की कीमतों के मुताबिक अपनी पसंद के स्रोत से कोयले का आयात करने के लिए स्वतंत्र हैं. भारत सरकार इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करती है. हालांकि, बिजली मंत्रालय ने 28 अप्रैल को बिजली संयंत्रों को 2022-23 के दौरान सम्मिश्रण उद्देश्यों के लिए कोयले का आयात करने की सलाह दी ताकि मानसून की शुरुआत से पहले बिजली संयंत्रों में पर्याप्त कोयला स्टॉक सुनिश्चित किया जा सके.

वहीं 27 मई को यह निर्णय लिया गया था कि सीआईएल सम्मिश्रण उद्देश्यों के लिए कोयले का आयात करेगी और राज्य जेनकोस और आईपीपी के टीपीपी को आपूर्ति करेगी. हाल ही में, विद्युत मंत्रालय ने राज्यों और जेनकोस के कोयला स्टॉक की स्थिति की समीक्षा की है और पाया है कि राज्यों के पास मानक स्तर के 50 प्रतिशत से अधिक का कोयला स्टॉक है.

कोयला मंत्री जोशी ने कहा, इस तरह बिजली मंत्रालय ने 1 अगस्त को फैसला किया है कि अब से राज्य और आईपीपी और कोयला मंत्रालय घरेलू कोयले की आपूर्ति की उपलब्धता का आकलन करने के बाद सम्मिश्रण प्रतिशत तय कर सकते हैं. एक अन्य जवाब में, जोशी ने कहा कि अभी तक राष्ट्रीय कोयला सूचकांक को संशोधित करने की कोई योजना नहीं है जो कीमतों को सीधे विदेशी सूचकांकों से जोड़ेगी और सभी कोयला लेनदेन के मूल्य और मात्रा को भी मापेगी.

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत में कोकिंग कोल के लिए एक अलग सूचकांक होगा, जोशी ने कहा कि भारतीय कोयला अपने बहाव मूल के कारण प्रकृति में काफी हद तक विषम है और एक ही सीमा के भीतर गुणवत्ता भिन्नता के लिए अतिसंवेदनशील है. जोशी ने कहा कि कोयले की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए विस्फोट मुक्त खनन तकनीकों को अपनाने, कोयला सीमा से बाहरी सामग्री को हटाने के लिए यांत्रिक स्क्रैपिंग का उपयोग, खदानों से यांत्रिक कोयले की हैंडलिंग को फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी परियोजनाओं में लोडिंग पॉइंट तक अपनाने जैसे कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि सीआईएल के सभी उपभोक्ताओं के पास स्वतंत्र तृतीय-पक्ष नमूना एजेंसियों के माध्यम से आपूर्ति के गुणवत्ता मूल्यांकन का विकल्प है.

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Last Updated : Aug 8, 2022, 10:50 PM IST
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