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सड़कों बसर कर रहे बच्चों के पुनर्वास के लिए कदम उठाने के निर्देश

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Published : Dec 13, 2021, 8:36 PM IST

कोरोना महामारी के दौरान माता-पिता को गंवाने वाले बच्चों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश उनकी पहचान करने में धीमी गति से काम कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट तलब करने के साथ ही संबंधित जानकारी 'बाल स्वराज' पोर्टल पर भी अपलोड कराने के निर्देश दिए. sc on children suffering due to corona

Supreme Court   (file photo)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो-ईटीवी भारत)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश उन बच्चों की पहचान करने में 'धीमी गति' से काम कर रहे हैं, जिन्होंने कोविड 19 महामारी के दौरान अपने माता-पिता को खो दिया है और अब सड़कों पर गुजर-बसर कर रहे हैं.

कोर्ट ने उन्हें तत्काल कार्रवाई करने और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के 'बाल स्वराज' पोर्टल (Bal swaraj portal) पर आवश्यक जानकारी अपलोड करने का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ कोविड 19 के दौरान माता-पिता को खोने वाले बच्चों की स्थितियों, उनकी देखभाल और सुरक्षा के संबंध में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही थी.

एनसीपीसीआर ने कोर्ट को दी जानकारी
एनसीपीसीआर (NCPCR ) ने आज अदालत को सूचित किया कि उसने कोर्ट के निर्देशों के अनुसार अनाथ, परित्यक्त बच्चों की पहचान के संबंध में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की है. संबंधित रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है.

अदालत ने कहा, 'सड़कों पर बच्चों की संख्या को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि पहचान की प्रक्रिया धीमी गति से है. इस अदालत के संज्ञान में आया है कि 'सेव द चिल्ड्रन' ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में 2 लाख बच्चों की पहचान की है. ऐसे में देश के शेष हिस्से में सड़कों पर लाखों बच्चे हो सकते हैं जिन्हें पुनर्वास की आवश्यकता है.'

राज्यों से मांगी रिपोर्ट
कोर्ट ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एनसीपीसीआर या अदालत के निर्देशों की पृष्ठभूमि एकत्र करने, योजनाओं या लाभों के लिए बच्चों की पहचान करने, सीडब्ल्यूसी आदि द्वारा की जाने वाली पूछताछ के लिए आगे बढ़ने के लिए इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने कहा कि जरूरतमंद बच्चों की पहचान के बाद अगले चरण में उससे संबंधित जानकारी पोर्टल पर अपलोड करें.

पढ़ें- न सिर्फ अपराध बल्कि अपराधी, उसकी मानसिक स्थिति को ध्यान में रखना अदालतों का कर्तव्य है : SC

कोर्ट ने एनसीपीसीआर को 4 सप्ताह की अवधि के भीतर बालस्वराज पोर्टल पर राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्त जानकारी की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. वहीं, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 3 सप्ताह के भीतर जरूरतमंद बच्चों को बचाने और पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया गया है. अदालत 17 जनवरी को मामले की फिर से सुनवाई करेगी. तब गोद लेने जैसे मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश उन बच्चों की पहचान करने में 'धीमी गति' से काम कर रहे हैं, जिन्होंने कोविड 19 महामारी के दौरान अपने माता-पिता को खो दिया है और अब सड़कों पर गुजर-बसर कर रहे हैं.

कोर्ट ने उन्हें तत्काल कार्रवाई करने और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के 'बाल स्वराज' पोर्टल (Bal swaraj portal) पर आवश्यक जानकारी अपलोड करने का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ कोविड 19 के दौरान माता-पिता को खोने वाले बच्चों की स्थितियों, उनकी देखभाल और सुरक्षा के संबंध में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही थी.

एनसीपीसीआर ने कोर्ट को दी जानकारी
एनसीपीसीआर (NCPCR ) ने आज अदालत को सूचित किया कि उसने कोर्ट के निर्देशों के अनुसार अनाथ, परित्यक्त बच्चों की पहचान के संबंध में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की है. संबंधित रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है.

अदालत ने कहा, 'सड़कों पर बच्चों की संख्या को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि पहचान की प्रक्रिया धीमी गति से है. इस अदालत के संज्ञान में आया है कि 'सेव द चिल्ड्रन' ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में 2 लाख बच्चों की पहचान की है. ऐसे में देश के शेष हिस्से में सड़कों पर लाखों बच्चे हो सकते हैं जिन्हें पुनर्वास की आवश्यकता है.'

राज्यों से मांगी रिपोर्ट
कोर्ट ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एनसीपीसीआर या अदालत के निर्देशों की पृष्ठभूमि एकत्र करने, योजनाओं या लाभों के लिए बच्चों की पहचान करने, सीडब्ल्यूसी आदि द्वारा की जाने वाली पूछताछ के लिए आगे बढ़ने के लिए इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने कहा कि जरूरतमंद बच्चों की पहचान के बाद अगले चरण में उससे संबंधित जानकारी पोर्टल पर अपलोड करें.

पढ़ें- न सिर्फ अपराध बल्कि अपराधी, उसकी मानसिक स्थिति को ध्यान में रखना अदालतों का कर्तव्य है : SC

कोर्ट ने एनसीपीसीआर को 4 सप्ताह की अवधि के भीतर बालस्वराज पोर्टल पर राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्त जानकारी की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. वहीं, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 3 सप्ताह के भीतर जरूरतमंद बच्चों को बचाने और पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया गया है. अदालत 17 जनवरी को मामले की फिर से सुनवाई करेगी. तब गोद लेने जैसे मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा.

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