कोलकाता: काफी विचार-विमर्श, कानूनी लड़ाई और प्रशासनिक अड़चनों के बाद, कलकत्ता उच्च न्यायालय के दबाव में, राज्य चुनाव आयोग ने राज्य में आगामी पंचायत चुनावों में 62,000 से अधिक बूथों पर निगरानी रखने के लिए केंद्रीय बलों की 822 कंपनियों की मांग की है. 2013 के बाद पंचायत चुनावों में तैनात होने वाला यह अब तक का सबसे अधिक केंद्रीय बल है, जब ग्रामीण चुनावों के लिए 825 कंपनियां तैनात की गई थीं.
दिलचस्प बात यह है कि जिस आयोग ने पहले केंद्रीय बलों की 22 कंपनियों की मांग की थी, उसे कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा बलों के लिए प्रारंभिक अनुरोध को पूरी तरह से अपर्याप्त बताए जाने के बाद अपना निर्णय पलटना पड़ा और राज्य चुनाव आयोग को 24 घंटे के भीतर केंद्रीय बलों से 82,000 से अधिक कर्मियों की मांग करने का निर्देश दिया. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति उदय कुमार की एक खंडपीठ ने यह निर्देश दिए थे.
बता दें कि बुधवार को ही उच्च न्यायालय ने एक अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा को भी फटकार लगाई थी और कहा था कि अगर उनके लिए आदेश का पालन करना मुश्किल है, तो वह पद छोड़ सकते हैं. राज्य के पूर्व मुख्य सचिव राजीव सिन्हा फिलहाल राज्य चुनाव आयुक्त हैं. अदालत ने कहा कि आठ जुलाई को प्रस्तावित पंचायत चुनावों के लिए एसईसी ने केंद्रीय बलों की सिर्फ 22 कंपनियों की मांग की है, जो राज्य में 2013 के पंचायत चुनावों के दौरान लगाये गये 82,000 केंद्रीय पुलिसकर्मियों का एक छोटा अंश है.
याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया था कि एक कंपनी में 80 कर्मी होते हैं, इस प्रकार मांगे गए कर्मियों की कुल संख्या लगभग 1,700 है, जिसे अदालत ने पूरी तरह से अपर्याप्त करार दिया था. अदालत ने इस बात का भी संज्ञान लिया था कि साल 2013 में पश्चिम बंगाल में जिलों की संख्या 17 थी, जो बढ़कर वर्तमान में 22 हो गई है और इन 10 वर्षों में मतदाताओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है. अदालत ने एसईसी को निर्देश दिया था कि वह 24 घंटे में 82,000 से अधिक केंद्रीय बलों की मांग करें.
(इनपुट एजेंसी)