श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के छत्ताबल इलाके में नजीर अहमद मीर के आवास पर जश्न का माहौल है और इसकी वजह यह है कि मीर के करीब 30 साल के बेटे फैजान नजीर ने वो कर दिखाया है, जिसके बारे में बहुत कम लोग सपनों में भी सोचते हैं.
दरअसल, फैजान ब्रिटेन में रॉयल सरकार में सिविल सर्वेंट के पद पर कार्यरत हैं. हालांकि उन्होंने पिछले साल इस नौकरी के लिए क्वालिफाई किया था लेकिन इस साल जनवरी में उन्हें पोस्टिंग मिली. वह शाही सरकार में नियुक्त होने वाले पहले कश्मीरी हैं, जिनका जन्म श्रीनगर (कश्मीर) में हुआ है. जनवरी में पदभार संभालने के बाद वह पहली बार ईद-उल-अजहा की छुट्टियों पर घर आए थे.
ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि लंदन में द ऑफिस ऑफ गैस एंड इलेक्ट्रिसिटी मार्केट्स (ओएफजीईएम) में कानूनी सलाहकार के तौर पर काम कर रहा हूं. OFGEM यूके का स्वतंत्र ऊर्जा नियामक है. वर्तमान में मेरी स्थिति ग्रेड 7 (जी7) है, जिसका अर्थ है कि मैं अपनी टीम के नीति क्षेत्र में परिणामों के लिए जिम्मेदार हूं.
अपने चयन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "भारत में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा (जेकेएएस) परीक्षाओं की तरह, यूके में खुली और निष्पक्ष परीक्षाएं होती हैं. लेकिन, वहां परीक्षाएं क्षेत्रवार होती हैं."
अपने चयन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि जैसे भारत में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा (जेकेएएस) की निष्पक्ष परीक्षाएं होती हैं, वैसे ही ब्रिटिश में भी ऐसी परीक्षाएं होती हैं. लेकिन सेक्टर के हिसाब से होती हैं. वे पदों का विज्ञापन करते हैं और आपको आवेदन करना होता है. चूँकि भारत एक अर्ध-संघीय देश है जबकि यूनाइटेड किंगडम में एकात्मक सरकार है. और इसी वजह से ब्रिटेन में नौकरशाही के स्तर अलग-अलग हैं. मैं G7 में हूं और यह भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और जम्मू और कश्मीर प्रशासनिक सेवा (JKAS) के बीच आता है.
उन्होंने आगे कहा कि भारत में ब्यूरोक्रेट्स को उनके अनुभव और सेवा में वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नत किया जाता है. भारत के विपरीत, ब्रिटेन अपने सिविल सेवकों को उनकी योग्यता के आधार पर पदोन्नत करता है. मूल रूप से, इसका मतलब है कि अगर मैं कड़ी मेहनत करता हूं और अपनी योग्यता साबित करता हूं तो मैं ब्रिटिश नौकरशाही के शीर्ष पर पहुंच सकता हूं.
अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हुए उन्होंने कहा, "पहले खुदा और फिर मेरे माता-पिता. कोई भी कुछ भी हासिल कर सकता है, जब तक उसके पास अच्छा माहौल है. मैं अपने माता-पिता का शुक्रगुजार हूं." फैजान के पिता नजीर अहमद मीर भी अपने बेटे की सफलता पर कम खुश नहीं हैं. वह फैज़ान की सफलता को उन सभी कठिनाइयों का इनाम मानते हैं जिनका उन्होंने सामना किया है.
उन्होंने कहा, ''मेरे बेटे की सारी पढ़ाई दिल्ली में हुई. उसने वहीं कानून की पढ़ाई की और फिर वहीं की अदालतों में काम किया. उसके बाद उसने यूके की परीक्षा भी पास की और पिछले साल वहां की सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट आया लेकिन पोस्टिंग नहीं हो पाई.'' इस साल जनवरी में उसे पोस्टिंग मिली है. लंबे समय तक हमने इसके बारे में किसी को नहीं बताया लेकिन आखिरकार यह सबके सामने आ गया और तब से हर कोई हमें बधाई दे रहा है. मेरे बेटे ने क्षेत्र का नाम रोशन कर दिया है."
उन्होंने कहा, "हम गरीब लोग हैं. एक समय था जब हमारे पास उसकी (फैजान की) स्कूल की फीस देने के लिए भी पैसे नहीं थे. हमें कुछ समझ नहीं आता था. हम जानते हैं कि हमें क्या नहीं करना है. समय-समय पर लोगों ने समर्थन किया और आज यह खुशी मिली. यूके में परीक्षा के समय आपका नाम पुलिस रिकॉर्ड में नहीं होना चाहिए, इसकी पुष्टि पुलिस ने कई बार की है. आजकल के बच्चे अपने माता-पिता की बात नहीं मानते, लेकिन फैज़ान ने हमारी हर बात मानी है."
यह भी पढ़ें: