ईटानगर : अरुणाचल प्रदेश के साथ लगती सीमा (Border areas in Arunachal pradesh) पर चीन द्वारा गांवों का निर्माण किए जाने की खबरों के बीच, पूर्वोत्तर राज्य (north eastern state) ने सीमावर्ती गांवों में बुनियादी ढांचों के विकास के लिए एक व्यापक परियोजना का प्रस्ताव रखा है, ताकि बर्फ से ढके दूरदराज के क्षेत्रों से लोगों का पलायन नहीं हो.
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू (arunachal pradesh cm pema khandu) ने एक साथ साक्षात्कार में कहा, 'उच्च स्तरीय बैठक के बाद मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दे दी है और अब इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा. मंजूरी मिलने के बाद सीमावर्ती क्षेत्रों को सभी सुविधाओं के साथ विकसित किया जाएगा ताकि पलायन को रोका जा सके.'
खांडू ने कहा कि परियोजना का उद्देश्य सड़कों, स्वास्थ्य केंद्रों और शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण के अलावा नई सुरक्षित जलापूर्ति योजनाएं बनाना, गांवों का विद्युतीकरण करना और मोबाइल संपर्क को उन्नत करना है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने सीमावर्ती गांवों में विशेष 4जी टावर लगाए जाने के लिए भी केंद्र से अनुरोध किया है. इस तरह की खबरें आई थीं कि कई सीमावर्ती स्थान चीनी मोबाइल सिग्नल पकड़ते हैं लेकिन वहां मोबाइल फोन भारतीय मोबाइल या डेटा सेवा प्रदाताओं के सिग्नल नहीं पकड़ पाते.
खांडू जीवन की बेहतर गुणवत्ता की तलाश में सीमावर्ती आबादी का पलायन रोकने के लिए इन क्षेत्रों के विकास पर दृढ़ता से जोर दे रहे हैं. अरुणाचल प्रदेश सरकार भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्रों में तीन 'मॉडल गांव' भी विकसित कर रही है. राज्य के पूर्वी, मध्य और एक पश्चिमी हिस्से में इस तरह का एक-एक गांव होगा.
वित्त विभाग का प्रभार संभाल रहे उपमुख्यमंत्री चौना मीन ने 2021-22 के लिए राज्य का बजट पेश करते हुए कहा था, 'मुझे भारत-तिब्बत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रायोगिक तौर पर तीन मॉडल गांवों को विकसित करने की एक बड़ी पहल की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है. इनमें राज्य के पूर्वी, मध्य और पश्चिमी क्षेत्र में एक-एक गांव विकसित किया जाएगा. मैं इस उद्देश्य के लिए 30 करोड़ रुपये के एक कोष का प्रस्ताव पेश करता हूं.'
खांडू ने बताया, 'ये मॉडल गांव शुरुआती प्रायोगिक परियोजनाओं के रूप में काम करेंगे, जिसके दायरे में आगे ऐसे कई गांवों को शामिल कर परियोजना को विस्तारित किया जाएगा. इस योजना के तहत मॉडल गांवों की स्थापना के साथ ग्रामीण जीवन की सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अभिनव तरीकों का इस्तेमाल किया जाएगा.'
चीन द्वारा भारतीय सीमा के भीतर लगभग छह किलोमीटर में राज्य में दूसरे गांव (कम से कम 60 इमारतों के समूह) का निर्माण किए जाने को लेकर मीडिया में आई खबरों संबंधी एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने हाल में शि-योमी जिले का दौरा किया था और सेना, अर्द्धसैनिक बलों और मोनिगोंग क्षेत्र, जहां कथित तौर पर गांव बनाया गया था, वहां के स्थानीय निवासियों के साथ बातचीत की थी.
खांडू ने कहा, 'सेना, अर्द्धसैनिक बलों और स्थानीय निवासियों ने बताया कि वहां ऐसा कोई निर्माण नहीं हुआ है. जो भी निर्माण हुआ है वह तिब्बत-चीन क्षेत्र के भीतर हुआ है.' एक राष्ट्रीय चैनल के पास मौजूद तस्वीरों में नए गांवों को देखा जा सकता है और भारत सरकार की ऑनलाइन मानचित्र सेवा 'भारतमैप्स' पर इसके सटीक स्थान के होने का स्पष्ट संकेत मिलता है. ये तस्वीरें दो प्रमुख उपग्रह तस्वीर प्रदाताओं 'मैक्सार टेक्नोलॉजीज' और 'प्लैनेट लैब्स' से ली गई हैं.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नया गांव 2019 की उपग्रह तस्वीरों में मौजूद नहीं था, लेकिन एक साल बाद इसे देखा जा सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, यह चीनी बस्ती अरुणाचल प्रदेश के शी-योमी जिले के भीतर है और इसका निर्माण मार्च 2019 और फरवरी 2021 के बीच किया गया.
पढ़ें : अरुणाचल प्रदेश के ब्रांड एंबेसडर बने अभिनेता संजय दत्त
इस साल की शुरुआत में अमेरिकी रक्षा विभाग की एक रिपोर्ट ने पुष्टि की कि 2020 में चीन ने 100 मकानों वाला एक बड़ा असैन्य गांव बसाया है, जिसके बारे में उसने कहा कि यह चीनी तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पूर्वी क्षेत्र में अरुणाचल प्रदेश के बीच 'विवादित क्षेत्र' पर बनाया गया है.
अमेरिकी संसद को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में पेंटागन ने कहा कि 2020 में चीन ने एलएसी के पूर्वी क्षेत्र में अरुणाचल प्रदेश राज्य और चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के बीच विवादित क्षेत्र के अंदर 100 मकानों वाला एक बड़ा असैन्य गांव बनाया है.
अरुणाचल प्रदेश चीन के साथ 1,080 किलोमीटर, म्यांमार के साथ 440 किलोमीटर और भूटान के साथ 160 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. राज्य के 60 विधानसभा क्षेत्रों में से 20 अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटे हैं, जिनमें से 13 चीन के साथ लगते हैं.