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इंसाफ की खातिर...माथे से मिटा सकें नक्सली का दाग इसलिए दो साल से नहीं किया बेटे के शव का अंतिम संस्कार - Son body was not cremated for justice in Bijapur

बीजापुर में एक शव का अंतिम संस्कार पिछले दो सालों से नहीं किया जा सका है. परिजन इसे अब तक हत्या मानकर न्याय के इंतजार (Waiting For Justice) में हैं. हालांकि पुलिस ने इसे नक्सली एनकाउंटर (Bijapur Gampur Encounter Case) बताया था.

Bijapur Gampur Encounter Case
दो साल से नहीं किया बेटे के शव का अंतिम संस्कार
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Published : Mar 5, 2022, 7:58 PM IST

बीजापुर : छत्तीसगढ़ के बीजापुर (Bijapur Chhattisgarah) में एक शव का अंतिम संस्कार पिछले दो सालों से नहीं किया जा सका है. 19 मार्च 2020 को बीजापुर के गमपुर (Bijapur Gampur Encounter) निवासी ग्रामीण बदरू को सुरक्षा बल और नक्सली एनकाउंटर में गोली लग गई थी. गोली लगने के कारण उसकी मौत हो गई थी. शव परिजनों को सौंप दिया गया था. सुरक्षा बलों ने दावा किया था कि घटना में मृत बदरू 2 लाख रुपये का इनामी नक्सली था. इस दौरान यह आरोप भी लगाया गया था कि वह नक्सलियों की मेडिकल टीम का सदस्य था, साथ ही आईईडी ब्लास्ट में माहिर था. जबकि दूसरी तरफ बदरू के छोटे भाई सन्नू ने आरोप लगाया है कि बदरू को फर्जी एनकाउंटर में मार डाला गया. हालांकि सरकार ने इस पूरे मामले के जांच के आदेश भी दे दिये हैं.

पढ़ें: Jhiram valley Naxal Attack : NIA की अपील खारिज, अब राज्य की जांच एजेंसी जांच के लिए स्वतंत्र

बदरू का छोटा भाई सन्नू बताता है कि वह इस मामले का चश्मदीद गवाह है. पूरी घटना उसके सामने हुई है. वे दोनों जंगल में महुआ चनने गए थे. तभी पुलिस भी मौके पर पहुंची. उसके भाई को पुलिस जवानों ने घेर लिया और उसकी आंखों के सामने गोली मार दी. इसके बाद शव भी अपने साथ ले गए. सन्नू ने घर जाकर घटना परिवार को बताई. जब सन्नू मुख्यालय की तरफ आ ही रहा था कि उसे पता चला कि पुलिस ने बदरू को इनामी नक्सली बता दिया है. बदरू के शव को अभी तक रखने के सवाल पर उनकी मां मारको माड़वी की आंखें भर आईं.

जड़ी-बूटियों का लेप लगाकर शव को रखा है सुरक्षित

रुंधे गले से उन्होंने कहा कि पुलिस ने बेवजह नक्सली बताकर उनके बेटे की हत्या कर दी. जब तक इस मामले में न्यायिक जांच नहीं होगी. जब उन्हें न्याय नहीं मिल जाता, तब तक बेटे के शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा. वहीं बदरू की पत्नी पोदी आज भी सूनी आंखों से न्याय की उम्मीद कर रही है. चार साल पहले ही उसकी शादी बदरू से हुई थी. बदरू के परिजनों का कहना है कि उन्हें मालूम था कि कभी न कभी तो उन्हें न्याय मिलेगा. इसलिए शव का अंतिम संस्कार नहीं किया. लेकिन उनके सामने शव को लंबे समय तक संभाले रखने की चुनौती थी. इसके लिए उन्होंने करीब 6 फीट का गड्ढा खोदकर शव को सफेद कपड़ों में लपेटकर नमक, तेल और कई जड़ी-बूटियों का लेप लगाकर रखा है. मौसम की मार से बचाने के लिए गड्ढों के ऊपर लकड़ी के बत्ते से ढंकने के बाद शेड के तौर पर पॉलिथीन भी लगाई है. फिर शव को मिट्टी में दबा दिया है. हालांकि इतने एहतियात के बाद भी शव काफी हद तक कंकाल में बदल चुका है.

बीजापुर : छत्तीसगढ़ के बीजापुर (Bijapur Chhattisgarah) में एक शव का अंतिम संस्कार पिछले दो सालों से नहीं किया जा सका है. 19 मार्च 2020 को बीजापुर के गमपुर (Bijapur Gampur Encounter) निवासी ग्रामीण बदरू को सुरक्षा बल और नक्सली एनकाउंटर में गोली लग गई थी. गोली लगने के कारण उसकी मौत हो गई थी. शव परिजनों को सौंप दिया गया था. सुरक्षा बलों ने दावा किया था कि घटना में मृत बदरू 2 लाख रुपये का इनामी नक्सली था. इस दौरान यह आरोप भी लगाया गया था कि वह नक्सलियों की मेडिकल टीम का सदस्य था, साथ ही आईईडी ब्लास्ट में माहिर था. जबकि दूसरी तरफ बदरू के छोटे भाई सन्नू ने आरोप लगाया है कि बदरू को फर्जी एनकाउंटर में मार डाला गया. हालांकि सरकार ने इस पूरे मामले के जांच के आदेश भी दे दिये हैं.

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बदरू का छोटा भाई सन्नू बताता है कि वह इस मामले का चश्मदीद गवाह है. पूरी घटना उसके सामने हुई है. वे दोनों जंगल में महुआ चनने गए थे. तभी पुलिस भी मौके पर पहुंची. उसके भाई को पुलिस जवानों ने घेर लिया और उसकी आंखों के सामने गोली मार दी. इसके बाद शव भी अपने साथ ले गए. सन्नू ने घर जाकर घटना परिवार को बताई. जब सन्नू मुख्यालय की तरफ आ ही रहा था कि उसे पता चला कि पुलिस ने बदरू को इनामी नक्सली बता दिया है. बदरू के शव को अभी तक रखने के सवाल पर उनकी मां मारको माड़वी की आंखें भर आईं.

जड़ी-बूटियों का लेप लगाकर शव को रखा है सुरक्षित

रुंधे गले से उन्होंने कहा कि पुलिस ने बेवजह नक्सली बताकर उनके बेटे की हत्या कर दी. जब तक इस मामले में न्यायिक जांच नहीं होगी. जब उन्हें न्याय नहीं मिल जाता, तब तक बेटे के शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा. वहीं बदरू की पत्नी पोदी आज भी सूनी आंखों से न्याय की उम्मीद कर रही है. चार साल पहले ही उसकी शादी बदरू से हुई थी. बदरू के परिजनों का कहना है कि उन्हें मालूम था कि कभी न कभी तो उन्हें न्याय मिलेगा. इसलिए शव का अंतिम संस्कार नहीं किया. लेकिन उनके सामने शव को लंबे समय तक संभाले रखने की चुनौती थी. इसके लिए उन्होंने करीब 6 फीट का गड्ढा खोदकर शव को सफेद कपड़ों में लपेटकर नमक, तेल और कई जड़ी-बूटियों का लेप लगाकर रखा है. मौसम की मार से बचाने के लिए गड्ढों के ऊपर लकड़ी के बत्ते से ढंकने के बाद शेड के तौर पर पॉलिथीन भी लगाई है. फिर शव को मिट्टी में दबा दिया है. हालांकि इतने एहतियात के बाद भी शव काफी हद तक कंकाल में बदल चुका है.

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