नई दिल्ली : ट्रेनों में आग लगने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए रेलवे बोर्ड ने जोनल रेलवे के सभी महाप्रबंधकों को एक आदेश जारी किया है. जिसके अनुसार ट्रेन के माध्यम से ज्वलनशील पदार्थों के परिवहन और धूम्रपान के खिलाफ 22 मार्च से एक बड़ा अभियान शुरू किया गया है.
इस जागरूकता अभियान के बाद रेलवे 31 मार्च से कानूनी कार्रवाई करना शुरू कर देगा और यह 30 अप्रैल तक जारी रहेगा. यह आदेश उत्तराखंड में 13 मार्च को शताब्दी एक्सप्रेस के कोच में आग लगने की घटना की जांच के बाद आया है, जिसमें सिगरेट का स्टब्स घटना का कारण बना था. 7 दिनों तक चलने वाले गहन जागरूकता अभियान के तहत रेलवे के सभी कर्मचारियों को नो स्मोकिंग लागू करने, रेल के माध्यम से ज्वलनशील पदार्थ को ले जाने से रोकने, पट्टे पर पार्सल की जांच करने, पीए प्रणाली के माध्यम से घोषणा करने जैसी सावधानियों के बारे में शिक्षित किया जाएगा.
ये अधिकारी कर सकेंगे कार्रवाई
रेलवे ने यह भी बताया कि यदि ट्रेनों या रेलवे परिसर में कोई धूम्रपान करते हुए पकड़ा जाता है, तो रेलवे अधिनियम या तंबाकू अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है. इसके लिए वाणिज्यिक विभाग के टिकट कलेक्टर के पद से नीचे के अधिकारी, ऑपरेटिंग विभाग के समकक्ष रैंक के अधिकारी या फिर आरपीएफ में एएसआई रैंक से नीचे के अधिकारी को सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सक्षम के रूप में अधिसूचित किया गया है.
धूम्रपान पर 100 रुपये तक जुर्माना
रेलवे अधिनियम की धारा 167 के तहत किसी को भी सह-यात्री के निषेध या आपत्ति के बावजूद डिब्बे में धूम्रपान करते पाया गया, तो 100 रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है. प्लेटफॉर्म या कोच में खाना पकाने के लिए आग का उपयोग करने सहित आग लगने के मामलों की नियमित जांच भी की जाएगी. रेलवे ने कहा कि इन बिंदुओं के तहत ईंधन को भी कवर किया जा सकता है और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
यह भी पढ़ें-असम विधानसभा चुनाव के लिए जेपी नड्डा ने जारी किया भाजपा का संकल्प पत्र
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे बोर्ड के सदस्यों और जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों की बैठक में ट्रेनों में धूम्रपान के खिलाफ यात्रियों को जागरूक करने के लिए सक्रिय कदम उठाने को कहा है. क्योंकि इससे दूसरे के जान व माल का जोखिम होता है.