करनाल: हरियाणा कृषि के लिए जाना जाता है. प्रदेश में किसानों की मेहनत को अधिक बनाने में उनका साथ साइंटिस्ट भी दे रहे हैं. जिसकी मदद से किसान अपना नया मुकाम हासिल कर रहे हैं. साइंटिस्ट की खोजबीन से किसान नई-नई तकनीक से और भी बेहतर खेती करने लगे हैं. किसान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए खेती करने में दिलचस्पी भी ले रहै हैं और मुनाफा भी कमा रहे हैं. आर्टिफिशियल एजेंसी फार्मिंग के लिए बेहतर भविष्य है.
बदलते समय के साथ-साथ किसानों का खेती करने का तरीका भी बेहद खास हो गया है. अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस न केवल खेती करना आसान हो रहा है, बल्कि किसानों को घर बैठे ही फसल में लगे कीट और बीमारियों की जानकारी मिलेगी. साथ ही मौसम की भी पूरी अपडेट किसान भाइयों के पास रहेगी. यही वजह है कि आज स्मार्ट खेती की चर्चा न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी खूब हो रही है. जिसको देखने के लिए देश-विदेश से लोग हरियाणा के करनाल पहुंच रहे हैं.
AI के जरिए खेती करने वाले हरियाणा के पहले किसान: करनाल में गांव पधाना के रहने वाले किसान प्रदीप कुमार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए अपनी खेती कर रहे हैं. उनका दावा है कि इस प्रकार की खेती हरियाणा में वह एकमात्र किसान ही कर रहे हैं. हरियाणा में ही नहीं भारत में भी बहुत ही कम किसानों को इसके बारे में जानकारी है. प्रदीप कुमार पिछले करीब 25 वर्षों से टमाटर की खेती करते आ रहे हैं और उन के गांव में करीब 1000 एकड़ खेत में टमाटर की खेती की जाती है. लेकिन टमाटर की खेती में किट और रोग बहुत ज्यादा लगते हैं. किसान इसकी वजह से काफी घाटे में चल रहे थे. जिसके चलते प्रदीप कुमार ने सोचा कि जब हमें खेती ही करनी है तो क्यों ना इसको और बेहतर बनाया जाए.
कीट व रोगों की देता है जानकारी: उन्होंने कहा कि किसान 24 घंटे अपने खेत के अंदर नहीं रह सकते. क्योंकि किसानों को अपनी खेती से अलग अपने पशु और अपने घर के काम भी करने होते हैं. इसके अलावा, घर के अन्य काम भी होते हैं. जिसके चलते वह कई बार अपने नौकर के हवाले खेती छोड़ देते हैं और कई दिन अपनी फसल को देखने के लिए खेत में जाते हैं. लेकिन कई बार ऐसा हो जाता है कि उनको अपनी फसलों में बीमारियां लगी हुई मिलती है. लेकिन अब प्रदीप का कहना है कि वह घर बैठकर ही अपनी फसल की देखभाल करते हैं.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का लगा उपकरण एक बहुत अच्छा कृषि यंत्र के रूप में काम कर रहा है. इसमें दो कैमरे भी लगे हुए हैं. जो 24 घंटे में दो बार दो-दो फोटो उनको उनकी फसल में कीट पतंगों की भेजते रहते हैं. उनको स्मार्टफोन के जरिए एक ऐप से भी जोड़ा गया है. उस ऐप के जरिए उनको जानकारी मिलती रहती है. जैसे ही किसी कीट का उनकी फसल पर प्रकोप आता है तो वह इस उपकरण के जरिए उनको पहले ही पता लग जाता है. जिसके चलते वह उसका प्रकोप बढ़ने से पहले ही उसका नियंत्रण कर लेते हैं. इतना ही नहीं उनकी टमाटर की फसल में लगने वाले रोगों की जानकारी भी उपकरण के जरिए उनको मिलती रहती है.
कीट व रोगों के लिए बताई जाती है दवाई: प्रदीप कुमार ने बताया कि उनकी फसल में अगर कोई किट या बीमारी लग जाती है तो इस उपकरण के जरिए उनके स्मार्टफोन पर एप्लीकेशन के माध्यम से उसकी जानकारी दे दी जाती है. उस जानकारी में उसको यह बताया जाता है कि उनके खेत में कौन सी बीमारी या कीट आई है और उसके रोकथाम के लिए वह कौन सी दवाई का छिड़काव अपने खेत में करें. जिसके चलते वह समय रहते ही फसल में लगी बीमारियों को रोका जाता है.
मौसम की मिलती है जानकारी: उन्होंने बताया कि इस उपकरण के जरिए उनको मौसम की जानकारी भी मिलती रहती है. जिसके चलते वह उसका प्रबंधन अच्छे से कर पाते हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बना यह उपकरण यह भी जानकारी देता है कि उनके खेत में लगी हुई फसल को किस समय पानी की जरूरत होती है. उचित समय पर उसकी सिंचाई की जाती है. कई बार ऐसा होता है की जानकारी के अभाव में खेत में सिंचाई कर देते हैं. लेकिन उसके बाद बरसात हो जाती है जिसे उनकी फसल पर काफी प्रभाव पड़ता है और उनकी फसल का उत्पादन भी कम हो जाता है. इस उपकरण के जरिए इस समस्या से निजात मिल गई है.
कीट से बचाव के लिए लगाया येलो ट्रैप: प्रदीप कुमार ने अपने खेत में इस उपकरण के साथ कीटों से बचाव करने के लिए येलो ट्रैप मिल गया है. अगर कोई कीट उनके खेत में आता है तो वह पीला रंग देखकर उसकी ओर आकर्षित होता है. उस पर आकर बैठ जाता है. येलो ट्रैप पर एक चिपचिपा पदार्थ लगा होता है. जिसके चलते जब वह किट उस पर बैठता है, तो उसे पर चिपक कर वहीं पर मर जाता है और इसके चलते भी उनकी फसल कीटों से बच जाती है.
वैज्ञानिक और किसान पहुंच रहे स्मार्ट खेती देखने: प्रदीप कुमार ने कहा कि शुरुआती समय में वह परंपरागत तरीके से खेती करते आ रहे थे. जिसमें उनको खास मुनाफा नहीं होता था. क्योंकि किट और बीमारियों की वजह से उनको काफी नुकसान झेलना पड़ता था. लेकिन फिर उन्होंने सर्च करके इस उपकरण को नाबार्ड की सहायता से लगाया है. जिसमें उन्होंने ₹300 प्रति एकड़ अपनी रजिस्ट्रेशन फीस दी थी. उनका यह सिस्टम भारत ही नहीं विदेशों को भी काफी पसंद आ रहा है. जहां पर भारत के विभिन्न राज्यों से और विदेशों से साइंटिस्ट सहित किसान उनके इस स्मार्ट खेती मॉडल को देखने के लिए उनके खेत में पहुंचते हैं.
स्मार्ट खेती हो रहा मुनाफा: प्रदीप कुमार ने कहा कि हालांकि टमाटर की फसल वह पहले भी काफी अच्छी लेते आ रहे हैं. फिर भी कई बार बीमारी और कीट के चलते उनके उत्पादन पर काफी प्रभाव पड़ता था. अब स्मार्ट खेती करने के चलते उनका इन दोनों चीजों से निजात मिल चुकी है और अब सीजन शुरू होते ही वह अब तक करीब ₹300000 का टमाटर अपने 1 एकड़ खेत से बेच चुके हैं. जबकि आधा टमाटर अभी उसके खेत में और भी है. जिसमें से करीब अनुमान लगाया जा रहा है 1 एकड़ से ₹500000 का टमाटर आसानी से बचेंगे. उन्होंने कहा कि इसमें मुनाफा ज्यादा है क्योंकि उनके स्मार्ट खेती मॉडल के चलते उनके दवाइयों का और पेस्टिसाइड का खर्चा भी कम हुआ है.
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