नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) केंद्र सरकार द्वारा बनाई जाने वाली न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर प्रस्तावित समिति में भाग लेने के लिए सहमत हो गया है. यह समिति किसानों के लिए एमएसपी को और अधिक प्रभावी बनाने पर चर्चा करेगी. बता दें कि सरकार ने एसकेएम से तीन किसान नेताओं के नाम मांगे थे जो समिति का हिस्सा होंगे. हालांकि प्रारंभ में किसान मोर्चा ने समिति के लिए नाम देने से इनकार कर दिया था और सरकार से समिति के गठन और इसमें भाग लेने वालों पर अधिक स्पष्टता बरतने के लिए कहा था. इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए एसकेएम के कोर ग्रुप सदस्य डॉ. अशोक धावले (Ashok Dhawle, Core group member of the SKM) ने कहा कि लिखित में दो बार भेजे गए प्रश्नों का कोई जवाब नहीं मिलने के बाद एसकेएम नेता अब आगे बढ़ने के लिए चर्चा कर रहे हैं और इस महीने के अंत तक नई दिल्ली में होने वाली किसान यूनियनों की बैठक में तीन नामों पर फैसला किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि सरकार ने हमें अपनी ओर से तीन प्रतिनिधियों के नाम देने को कहा है जिस पर हम फैसला करेंगे. धावले ने कहा कि हमने सरकार से पूछा था कि इस समिति के विचारार्थ विषय क्या अधिकार होंगे. इसके अलावा इस समिति की सिफारिशों पर अमल होगा या नहीं और समिति का हिस्सा कौन होगा. उन्होंने कहा कि हमने इस बारे में दो बार सरकार को लिखा लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि एमएसपी आज देश भर के किसानों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है. एसकेएम में हम पहले से ही लंबित मुद्दों पर अपने अगले कदम पर चर्चा कर रहे हैं और कुछ निर्णय लेने के लिए मई में एक और बैठक होगी.
उन्होंने कहा कि एमएसपी पर प्रस्तावित समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, किसान संघों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि अर्थशास्त्रियों के प्रतिनिधि होंगे. इसको लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले महीने कहा था कि किसान संघों से नाम मिलते ही समिति का गठन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति के सदस्य किसान नेता युद्धवीर सिंह के पास मार्च के अंत में केंद्रीय कृषि सचिव ने फोन कर एसकेएम के दो-तीन नेताओं के नाम मांगे थे. इस पर दो बार संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा नाम भेजे जा चुके हैं लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई जवाब सरकार की तरफ से नहीं भेजा गया है.
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अशोक धावले ने संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक में चुनावी राजनीति में भाग लेने की वजह से निलंबित किए किसान नेताओं को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब के 22 किसान संघों में से 16 ने पंजाब में चुनाव लड़ने की वजह से खुद को संगठन से अलग कर लिया है लेकिन अब वे फिर एसकेएम के नेतृत्व में होने वाले आंदोलन में वापस आना चाहते हैं. एसकेएम नेता ने कहा कि बाकी पांच से छह संगठनों के भी उसी मार्ग का अनुसरण किए जाने की संभावना है. उन्होने कहा कि हमारी एकता बरकरार है और हम अपनी अगली बैठक में इन किसान संघों को फिर से शामिल किए जाने पर विचार-विमर्श करेंगे.