तिरुवनंतपुरम : केरल के पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी सचिव एम. शिवशंकर को राहत देते हुए सरकार द्वारा नियुक्त एक समिति ने पाया है कि अमेरिका की प्रौद्योगिकी कंपनी स्प्रिंकलर के साथ डेटा सौदे के संबंध में किसी भी 'गलत नीयत, द्वेष या दुर्भावना' के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. इस मामले के कारण पिनराई विजयन नेतृत्व वाली सरकार काफी विवादों में घिर गयी थी.
राज्य के पूर्व कानून सचिव के. शशिधरन नायर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने स्प्रिंकलर के साथ सौदे के कारण कोई डेटा नुकसान नहीं होने का संकेत देते हुए कहा कि अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि राज्य के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.
हालांकि, रिपोर्ट ने पूर्व प्रधान सचिव द्वारा किए गए विभिन्न प्रक्रियागत खामियों की पुष्टि की और कहा कि उन्होंने स्प्रिंकलर को शामिल करते समय अपनाए जाने वाले बुनियादी सुरक्षा उपायों को भी सुनिश्चित नहीं किया. शिवशंकर सोना तस्करी मामले के संबंध में निलंबित हैं.
राज्य में कोविड-19 के मरीजों के डेटा के स्थानांतरण के संबंध में विवादास्पद सौदे की जांच के लिए वाम सरकार द्वारा नियुक्त यह दूसरा पैनल था. राज्य में विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा कि रिपोर्ट का उद्देश्य शिवशंकर और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को पाक-साफ करार देना था और विवादास्पद सौदे के बारे में सच्चाई सामने लाने के लिए न्यायिक जांच की जानी चाहिए.
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्नीतला ने कहा कि समिति द्वारा यह घोषित करना अजीब है कि शिवशंकर दोषी नहीं थे, जबकि प्रक्रियागत उल्लंघन की पुष्टि की गयी है. उन्होंने कहा, 'समिति का कहना है कि शिवशंकर ने गलत किया लेकिन दोषी नहीं है. यह आश्चर्यजनक है. तो, अपराधी कौन है? नौकरशाही समिति ने न केवल शिवशंकर बल्कि मुख्यमंत्री को भी बचाने के लिए यह कदम उठाया है.
केरल प्रदेश कांग्रेस समिति (केपीसीसी) के प्रमुख के. सुधाकरन और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने भी यही विचार जताए. स्प्रिंकलर सौदे ने राज्य में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था क्योंकि विपक्षी दलों ने लोगों के संवेदनशील स्वास्थ्य संबंधी डेटा को उनकी जानकारी या स्वीकृति के बिना एक विदेशी कंपनी को स्थानांतरित करने का आरोप लगाया था.
(पीटीआई भाषा)